) मध्य प्रदेश से अब तक ढाई लाख टन गेहूं निर्यात हो चुका है। यह गुजरात और आंध्रप्रदेश के बंदरगाहों से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम भेजा गया है। इसमें सर्वाधिक 97 हजार 887 टन गेहूं इंदौर से निर्यात किया गया है। इसके अलावा जबलपुर, उज्जैन, हरदा, छिंदवाड़ा और दतिया से व्यापारियों ने गेहूं भेजा है। मिस्र, फिलीपिंस, जिम्बाब्वे सहित अन्य देशों में भी निर्यात की संभावनाओं पर सरकार काम कर रही है। पिछले साल मध्य प्रदेश से कुल पौने दो लाख टन कृषि उपज और उससे जुड़े उत्पाद निर्यात हुए थे। इसमें भी चावल की मात्रा सर्वाधिक एक लाख 27 हजार टन थी।विदेश में बढ़ रही गेहूं की मांग को बड़ा अवसर मानते हुए शिवराज सरकार ने निर्यात बढ़ाने पर पूरा जोर लगा दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं। वे प्रति सप्ताह निर्यात की स्थिति को लेकर समीक्षा करते हैं तो कृषि विभाग ने प्रतिदिन निर्यातक और व्यापारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था बनाई है। इसका फायदा भी मिल रहा है। अब तक ढाई लाख टन गेहूं मध्य प्रदेश से निर्यात हो चुका है। सरकार का मकसद है कि मध्य प्रदेश के गेहूं की मांग विदेश में बन जाए, जिससे निर्यात का रास्ता खुल जाएगा।इसका लाभ किसानों के साथ-साथ सरकार को भी होगा। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक बड़ी कंपनियां मंडियों से गेहूं खरीदकर अपने स्तर पर निर्यात करती थीं। पहली बार सरकार अपने स्तर पर इसे प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए मंडी शुल्क में छूट देने के साथ रेलवे की रैक और बंदरगाहों पर स्थान उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराई गई है। 26 लाख टन गेहूं के लिए रैक पाइंट पर भंडारण की व्यवस्था बनाई जा चुकी है।अभी तक 87 रैक गेहूं बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, विएतनाम भेजा जा चुका है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने बताया कि निर्यात के लिए विभिन्न् कंपनियों ने दो हजार से ज्यादा रेलवे रैक के लिए मांग पत्र भेजे हैं। दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक और जिम्बाब्वे के आयोजकों को गेहूं के लागत पत्रक भी भेज दिए हैं।
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