April 27, 2024 : 11:14 AM
Breaking News
अन्तर्राष्ट्रीय खबरें खेल टेक एंड ऑटो ताज़ा खबर बिज़नेस महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय लाइफस्टाइल हेल्थ

दिव्यांग मंदिर’ में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती- शंकराचार्य

 

मोदी जी ने कह दिया है कि विकलांग मत कहो, दिव्यांग कहो, तो आज की तारीख में यह दिव्यांग मंदिर है. दिव्यांग मंदिर में सकलांग भगवान को, जिनके सकल(सभी) अंग हैं, उन्हें कैसे प्रतिष्ठित कर सकते हैं?.”

“पीएम मोदी तीन बार धर्मनिरपेक्षता की शपथ ले चुके हैं…इसलिए किसी धर्म कार्य में उनका सीधा अधिकार नहीं बनता.”

“अगर वे विवाहित हैं, तो पत्नी के साथ बैठना होगा. पत्नी को दूर कर कोई भी विवाहित व्यक्ति किसी भी धर्म कार्य में अधिकारी नहीं हो सकता.”

“शिखर और ध्वज के बिना मंदिर में प्रतिष्ठा की गई तो वह मूर्ति तो राम की दिखाई देगी लेकिन उसमें असुर होगा. उसमें आसुरी शक्ति आकर बैठ जाएगी.”शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने न सिर्फ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं बल्कि पहली बार उन सवालों के जवाब भी दिए हैं, जो लगातार सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे हैं.

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से आप नाराज क्यों हैं?

मंदिर परमात्मा का शरीर होता है. उसका शिखर, उनकी आंखें होती हैं. उसका कलश, उनका सर और ध्वज पताका उनके बाल होते हैं. इसी चरण में सब चलता है. अभी सिर्फ धड़ बना है और धड़ में आप प्राण प्रतिष्ठा कर देंगे तो यह हीन अंग हो जाएगा.

मोदी जी ने कह दिया है कि विकलांग मत कहो, दिव्यांग कहो, तो आज की तारीख में यह दिव्यांग मंदिर है. दिव्यांग मंदिर में सकलांग भगवान को, जिनके सकल(सभी) अंग हैं, उन्हें कैसे प्रतिष्ठित कर सकते हैं?

वह तो पूर्ण पुरुष है, पूर्ण पुरुषोत्तम है, जिसमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मंदिर के पूरा होने के बाद ही प्राण प्रतिष्ठा शब्द जुड़ सकता है. अभी वहां कोई प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, अगर हो रही है तो करने वाला तो कुछ भी बलपूर्वक कर लेता

 शंकराचार्य

ऐसे में इसे क्या कहना ठीक  होगा

अभी सर बना नहीं है. उसमें प्राण डालने का कोई मतलब नहीं है. पूरा शरीर बनने के बाद ही प्राण आएंगे और जिसमें अभी समय शेष है. इसलिए जो अभी कार्यक्रम हो रहा है, धर्म की दृष्टि से उसे प्राण प्रतिष्ठा नहीं कहा जा सकता.

आप आयोजन कर सकते हैं…रामधुन करिए, कीर्तन करिए, व्याख्यान कीजिए. ये सब कर सकते हैं, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा शब्द का इस्तेमाल मंदिर बन जाने के बाद ही लागू होगा.

क्या प्रधानमंत्री प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं?

प्रधानमंत्री जी ने तीन बार धर्मनिरपेक्षता की शपथ ली है. एक बार बीजेपी का सदस्य बनने के लिए, क्योंकि पार्टी ने चुनाव आयोग में धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का शपथ पत्र दिया हुआ है.

दूसरी बार संविधान की शपथ से वे सांसद बने और तीसरी बार प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की शपथ ली. इसलिए किसी भी धर्म कार्य में उनका सीधा अधिकार नहीं बनता है.

आपको कहा जा रहा है कि आप खुद ब्राह्मण नहीं हैं?

ब्राह्मण ही संन्यासी हो सकता है, दंडी संन्यासी. हमारे धर्मशास्त्र में यह स्थापित विधि है और इसे ही कानून में भी माना गया है कि ब्राह्मण ही संन्यासी होगा और वह ही दंडी संन्यासी बनेगा और दंडी संन्यासी ही शंकराचार्य होगा.

जो लोग यह कह रहे हैं कि मैं ब्राह्मण नहीं हूं तो किसी कोर्ट में मुकदमा करना चाहिए. उन्हें कोर्ट में यह साबित करना चाहिए…अगर यह साबित हो जाता है तो हमें खुद ही इस सीट से उतर जाना पड़ेगा.

Related posts

रिश्ते ही सुख और शांति का आधार होते हैं, रिश्तों की पहली शर्त सम्मान है, जो सम्मान नहीं दे सकते, वो रिश्ते नहीं निभा सकते

News Blast

पुश्तैनी जमीन पर बने स्कूल का नाम ‘परदादा-परदादी’; पढ़ाई-खाना मुफ्त, स्कूल आने पर रोज 10 रुपए भी देते हैं

News Blast

बंगाल में 86 मौतें, बिजली-पानी की किल्लत; सेना मदद करेगी; ओडिशा में 44 लाख लोग प्रभावित

News Blast

टिप्पणी दें