पत्नी साथ नहीं रहती भोपाल में मायके के मकान में रहती है, उसका पूरा खर्चा पति को उठाना पड़ता है। गांव में रहा पति किस मजदूर से काम कराएगा, किससे नहीं, ये भी पत्नी तय करती है। पति गांव किस से बात करे इस पर पत्नी हस्तक्षेप करती है। अपनी पीड़ा सुनाते हुए पति ने कहा पत्नी की दादागिरी से मेरा जीवन खराब हो गया है। काउंसलिंग के बाद पत्नी खुद में सुधार लाने और पति के साथ गांव में रहने को राजी हो गई।
रायसेन के नजदीकी गांव के एक युवक ने आवेदन देकर पत्नी की प्रताड़ना की शिकायत की है। पति ने बताया कि उसकी पत्नी का बाहर के कामों में भी बहुत अधिक दखल है, खेती-किसानी के काम में किसे मजदूर रखना है, किसे नहीं इस पर भी वह विवाद करती है।
पत्नी ने बताया कि फलां व्यक्ति से उसका विवाद है तो पति को उससे काम नहीं कराना चाहिए, लेकिन गांव के आदमियों से उसका विवाद कैसे हो जाता है, इस वह कुछ नहीं बोली। आए दिन होने वाले झगड़ों के बाद पत्नी गांव से दूर भोपाल में अपने मायके के मकान में छोटे बेटे के साथ रह रही है, जिसका पूरा खर्च पति को गांव से भेजना पड़ता है।
दूसरा बेटा पिता के साथ गांव में है। भोपाल में रहते हुए भी पत्नी गांव में खेती के कामकाज में हस्तक्षेप करती है। पत्नी को समझाया गया कि अनावश्यक पति के कामकाज में दखल से उसका परिवार बिखर गया है। अलग-अलग रहने से आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है पत्नी कामकाज के बारे में पति को सलाह दे, वहां तक उचित है, लेकिन बहुत अधिक हस्तक्षेप गलत है। करीब एक घंटे की काउंसलिंग के बाद पत्नी गांव आकर पति के साथ रहने को राजी हो गई। साथ ही अपने परिवार की खुशहाली लिए अपने आप में सुधार लाने का भी वचन दिया है।