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- Sonakpur Scheme Could Not Be Settled Even After 15 Years Due To Lawsuits, VC Asked The Status, Then The Officers Started Peeping, Stopped The Salary Of AE And Lekhpal
मुरादाबाद9 घंटे पहले
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मुकदमों की वजह से 15 साल बाद भी नहीं बस सकी विकास प्राधिकरण की सोनकपुर योजना।
मुकदमों के झमेले में फंसी MDA की सोनकपुर योजना 15 साल बाद भी बस नहीं सकी है। यहां MDA करोड़ों रुपये खर्च करके सड़क, पार्क, बिजली लाइन और दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर चुका है। लेकिन MDA के ही कुछ कारिंदों की मिलीभगत से इस योजना की अधिकांश जमीन पर मुकदमे होते चले गए। योजना ऐसी लटकी कि अब तक नहीं बस पाई।
नवागत VC मधुसूदन हुलगी ने इस योजना का निरीक्षण किया। उन्होंने मातहत अधिकारियों से पूछा कि योजना में आवंटन का क्या स्टेटस है। कितने भूखंड और मकान अभी तक आवंटित हुए हैं और कितने बाकी हैं। इस पर उन्हें बताया गया कि भूमि अधिग्रहण के कुछ मामले कोर्ट में चले गए हैं। जिसकी वजह से आवंटन प्रक्रिया रुकी हुई है।
JE और लेखपाल नहीं दे सके जवाब
VC ने जानना चाहा कि कोर्ट में चल रहे मुकदमों का स्टेटस क्या है तो सभी अधिकारी बगलें झांकने लगे। योजना के JE केएन जगूड़ी और लेखपाल सीताराम भी जवाब नहीं दे सके। इस पर VC ने दोनों का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं। दरअसल योजना के ज्यादातर मुकदमों के पीछे MDA का ही स्टाफ है। इनमें से कुछ मुकदमों में तो संबंधित भूमि का एग्रीमेंट MDA के ही अधिकारी और कर्मचारी करा चुके हैं। यही वजह है कि मुकदमों में सटीक और दमदार पैरवी नहीं की जाती।
किसानों के पीछे खडे़ हैं प्रॉपर्टी डीलर और MDA स्टाफ
सोनकपुर योजना की भूमि पर किसानों को आगे करके कोर्ट में मुकदमे डाले गए हैं। यहां तक कि प्राधिकरण द्वारा काटे जा चुके भूखंडों में भी खेती शुरू कर दी गई। इसके पीछे प्रॉपर्टी डीलरों और MDA के स्टाफ का पूरा सिंडिकेट काम कर रहा है। किसानों से ये लोग भूमि का अपने नाम एग्रीमेंट करा चुके हैं। इसमें शहर के कई डाक्टर भी शामिल हैं। किसानों को सिर्फ मुकदमे डालने के लिए आगे खड़ा किया गया है। वास्तव में इस भूमि पर इसी सिंडिकेट की नजरें हैं। इसमें सीलिंग की भूमि भी शामिल है। पूर्व में इस मामले में एक जिलाधिकारी का नाम भी उछला था। उन्होंने सीलिंग की करोड़ों रुपये की भूमि इन्हीं कथित किसानों के पक्ष में छोड़ने के आदेश कर दिए थे। बाद में ये आदेश रद्द कर दिए गए थे।