May 11, 2024 : 7:28 PM
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पीएम की सुरक्षा में 15 मिनट की भी चूक क्यों बड़ी बात है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

बुधवार को पीएम मोदी की पंजाब के फ़िरोज़पुर में एक रैली थी लेकिन गृह मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा में भारी चूक के कारण प्रधानमंत्री रैली में नहीं जा सके.

पूरे मामले पर बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था, ”ख़राब मौसम के कारण बठिंडा एयरपोर्ट से पीएम का काफ़िला सड़क मार्ग से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक के लिए रवाना हुआ था. शहीद स्मारक से क़रीब 30 किलोमीटर दूर जब प्रधानमंत्री मोदी का काफ़िला एक फ्लाइओवर पर पहुँचा तो पता चला कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर रखी है. प्रधानमंत्री फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट तक फँसे रहे. यह पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक थी.”

बीजेपी ने आक्रामक रुख़ अपनाते हुए इसे कांग्रेस का ‘खूनी इरादा’ क़रार दिया है.दूसरी तरफ़ कांग्रेस ने कहा है कि रैली में कुर्सियां ख़ाली थीं, इसलिए प्रधानमंत्री ने सुरक्षा का बहाना लगाकर वापस जाने का फ़ैसला किया .

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी बुधवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ”प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर कोई ख़तरा नहीं था. पंजाब सरकार का इसमें कोई रोल नहीं था.”

हालांकि सुरक्षा जानकार और पूर्व अधिकारी मानते हैं कि यह सुरक्षा में चूक थी. वे कहते हैं कि पीएम का एक जगह 15 मिनट तक फंसे रहना ख़तरनाक हो सकता था. ख़ासतौर पर तब जब वो इलाक़ा पाकिस्तान बॉर्डर से दस किलोमीटर दूर ही था.

वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि इस मामले को गंभीरता से लिए गया है और पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है. अमित शाह ने कहा कि पूरे मामले में जवाबदेही तय होगी.

कितनी बड़ी चूक थी यह

पूर्व आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद मानते हैं कि प्रधानमंत्री के काफ़िले का एक बॉर्डर एरिया में लगभग 15 मिनट तक रुके रहना सुरक्षा में एक बहुत बड़ी चूक है.

वह कहते हैं, “यह बड़ी चूक इसलिए है क्योंकि एक बॉर्डर स्टेट में, एक ओवर ब्रिज पर प्रधानमंत्री का काफ़िला एक कैप्टिव की तरह 15-20 मिनट तक खड़ा रहे तो यह सुरक्षा के लिहाज़ से गंभीर बात है. यह गंभीर बात इसलिए है क्योंकि जहाँ भी पीएम जाते हैं, वहाँ एसपीजी की ज़िम्मेदारी तो होती ही है लेकिन सुरक्षा की ओवरऑल ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होती है.”

आज़ाद कहते हैं कि जिनकी सुरक्षा को लेकर बहुत ज़्यादा ख़तरा है ही, ऐसे में इस तरह कैप्टिव सिचुएशन में रहना, सिर्फ़ एक बुलेट प्रूफ़ कार के अंदर, बड़ी चूक है.

कैसे हुई यह चूक

एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किसी राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की ज़िम्मेदारी पुलिस की होती है. लेकिन बात जब पीएम की होती है तो उनकी सुरक्षा में एसपीजी भी तैनात होती है.

उनके मुताबिक़, “पीएम के किसी भी दौरे में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसपीजी की टीम पहले ही जाती हैं. स्थानीय ख़ुफ़िया अधिकारियों से मिलती है. कहाँ क्या व्यवस्था होनी चाहिए, क्या रूट होना चाहिए ये सारा कुछ तय करती हैं. पुलिस आउटर सर्किल में सुरक्षा देती है और एसपीजी इनर सर्कल में.

वह कहते हैं कि पीएम के दौरे से पहले राज्य सरकार को सूचित किया जाता है और प्रधानमंत्री की सुरक्षा की दृष्टि से हर मुकम्मल तैयारी की जाती है.

वह मानते हैं कि यह एक चूक है लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि जाँच रिपोर्ट आने तक इंतज़ार करना चाहिए.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने एक ट्वीट में आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने सड़क मार्ग से जाने का फ़ैसला किया जबकि वह उनके मूल कार्यक्रम में नहीं था.

लेकिन जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री के काफ़िले के लिए कभी भी एक ही नियत मार्ग नहीं होता. वैकल्पिक मार्ग भी होते हैं. ताकि अगर किसी एक मार्ग पर कोई अड़चन आ जाए तो वैकल्पिक मार्ग से पीएम का काफ़िला आगे बढ़ सके.

यशोवर्धन कहते हैं, “बठिंडा से फ़िरोज़पुर की दूरी लगभग 110 किलोमीटर की है. बठिंडा एयरपोर्ट पर पहुँचने के बाद प्रधानमंत्री को आगे जाना था लेकिन मौसम ख़राब था. वहाँ थोड़ी देर रुककर मौसम के ठीक होने का इंतज़ार भी किया गया लेकिन उसके बाद सड़क मार्ग से जाना तय हुआ. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा आकस्मिक तैयारी भी की जाती है. वैसे भी प्रधानमंत्री के दौरे के लिए वैकल्पिक मार्ग भी तैयार रखा जाता है.”

आज़ाद कहते हैं, “जब पीएम के रूट को सड़क से जाने का क्लीयरेंस दिया गया तो यह तो स्पष्ट होगा कि पुलिस ने कहा होगा कि उस रूट को वे क्लीयर करेंगे. जब पीएम का काफ़िला चलेगा तो राज्य पुलिस तो आगे चलेगी ही चलेगी.”

यशोवर्धन यह भी मानते हैं कि पूरे 110 किलोमीटर लंबे रास्ते पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस को तैनात नहीं किया जा सकता है लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा में पूरी व्यवस्था होती है.

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि किसान संगठन केएमएससी और अन्य किसान पीएम मोदी का विरोध कर रहे थे.

इस पर पीएम की सुरक्षा को समझने वाले जानकार मानते हैं कि अगर किसान विरोध कर रहे थे तो उन्हें मना करना चाहिए था. उनके साथ बातचीत करनी चाहिए थी और अगर वो तब भी नहीं मान रहे थे तो पीएम के काफ़िले को कोई और वैकल्पिक मार्ग देना चाहिए था. या फिर काफ़िले के एयरपोर्ट से आगे बढ़ने से पहले ही यह सूचना देनी चाहिए थी, क्योंकि बिना पुलिस की हरी झंडी के काफ़िला आगे नहीं बढ़ा होगा.

यशवर्धन कहते हैं, “कुछ लोगों ने रास्ता रोक रखा था. यानी प्रधानमंत्री के काफ़िले के सड़क मार्ग से जाने की जानकारी लीक हुई. नहीं, चूक यह नहीं है. आजकल मोबाइल के दौर में, वो भी 110 किलोमीटर लंबे रास्ते पर पीएम के गुज़रने की जानकारी तो हो ही जाती लेकिन चूक यह हुई कि लोग वहाँ जमा हो गए. ये किसान थे और उन्होंने रास्ता रोक दिया. पुलिस की एडवांस यूनिट ने पीएम की गाड़ी को पीछे रखा और वो आगे आकर उनसे नेगोशिएट करने लगे.”

यशोवर्धन मानते हैं कि उस दौरान जो हुआ, जो तरीक़ा पुलिस ने अपनाया वह पीएम की सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही ख़तरनाक था.

वह कहते हैं, ”प्रदर्शनकारियों से बात आप आम दिनों में कर सकते हैं लेकिन पीएम के काफ़िले की राह में नहीं. पुलिस को तुरंत रास्ता ख़ाली करा देना चाहिए था. वह चाहे बलपूर्वक ही क्यों ना हो.”

यशोवर्धन पुलिस के बल प्रयोग ना करने के पीछे तर्क देते हैं कि आजकल जो कार्रवाई करता है, उसी पर उल्टे कार्रवाई हो जाती

मोदी

क्या है प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रोटोकॉल

यशोवर्धन कहते हैं कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बहुत व्यापक स्तर पर तैयारी की जाती है.

उनके मुताबिक़, प्रधानमंत्री अगर किसी चुनावी रैली में जा रहे हैं तो अलग तरह की तैयारी की जाती है. अगर वह किसी कार्यक्रम में या यूं ही जा रहे हैं तो अलग तरह की तैयारी होती है लेकिन उनकी तैयारी में चप्पे-चप्पे का ख़याल रखा जाता है.

पीटीआई-भाषा के एडिटर और लंबे समय तक पीएमओ कवर करने वाले निर्मल पाठक कहते हैं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक काफी बड़ी है.

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