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नई दिल्ली18 मिनट पहले
सोनिया गांधी ही अभी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। 7 घंटे बैठक के बावजूद सीडब्ल्यूसी की बैठक में नए अध्यक्ष पर फैसला नहीं हो पाया। माना जा रहा था कि वर्किंग कमेटी की बैठक में नए अध्यक्ष पर फैसला हो जाएगा। सोनिया ने खुद बैठक में पद छोड़ने की इच्छा जाहिर की, पर फैसला यही हुआ कि सोनिया ही यह जिम्मा संभालती रहेंगी। हालांकि, बैठक में यह फैसला जरूर किया गया कि पार्टी का नया अध्यक्ष 6 महीने के भीतर चुन लिया जाएगा।
राहुल के बयान पर बैठक में हुआ बवाल, कांग्रेस ने साढ़े चार घंटे में किया डैमेज कंट्रोल
पार्टी की सबसे बड़ी संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की सोमवार को जब बैठक शुरू हुई, तो सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की।
वहीं, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए। राहुल का आरोप था कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान को बमुश्किल 20-25 मिनट नहीं बीते होंगे कि उनका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। बाद में कांग्रेस ने कहा कि राहुल ने ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था।
दरअसल, करीब 15 दिन पहले पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए।
सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में आज क्या हुआ?
- सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश करते हुए कहा कि मुझे रिप्लेस करने की प्रक्रिया शुरू करें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उनसे पद पर बने रहने को कहा।
- बीते दिनों पार्टी नेतृत्व में बदलाव को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी पर राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब सोनिया गांधी हॉस्पिटल में भर्ती थीं, उस वक्त पार्टी लीडरशिप को लेकर लेटर क्यों भेजा गया। पार्टी लीडरशिप में बदलाव की मांग का लेटर भाजपा की मिलीभगत से लिखा गया। (इस चिट्ठी से जुड़ी पूरी खबर यहां पढ़ें)
- ‘भाजपा से मिलीभगत’ के राहुल के आरोपों पर विवाद हो गया। बमुश्किल 20-25 मिनट के अंदर पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी के साथ लड़ा। बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?’ कुछ देर बात सिब्बल ने ट्विटर से अपना परिचय बदल दिया और कांग्रेस शब्द को हटा दिया।
- थोड़ी ही देर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर भाजपा से मिलीभगत होने के राहुल गांधी के आरोप साबित हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
- कांग्रेस की पूर्व नेता दिव्या स्पंदना ने कहा कि मुझे लगता है कि राहुलजी ने गलती की। उन्हें कहना चाहिए था कि कांग्रेस के नेताओं ने यह चिट्ठी भाजपा और मीडिया के मिलीभगत से भेजी। उन्होंने कहा कि ना केवल मीडिया में चिट्ठी को लीक किया, बल्कि अभी चल रही सीडब्ल्यूसी की बैठक की बातचीत को मीडिया में मिनट टु मिनट लीक भी किया जा रहा है। गजब है।
- कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दोपहर 1:30 बजे से कहा कि राहुल ने ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था।
Sh. Rahul Gandhi hasn’t said a word of this nature nor alluded to it.
Pl don’t be mislead by false media discourse or misinformation being spread.
But yes, we all need to work together in fighting the draconian Modi rule rather then fighting & hurting each other & the Congress. https://t.co/x6FvPpe7I1
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 24, 2020
- भाजपा से मिलीभगत के आरोप पर गुलाम नबी आजाद ने दोपहर 3:50 बजे सफाई दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कभी नहीं कहा। ना ही सीडब्ल्यूसी में और ना ही इसके बाहर।
सिब्बल ने पहले ट्वीट कर नाराजगी जताई
एक घंटे बाद ट्वीट हटा लिया
कपिल सिब्बल ने कहा, ‘राहुल गांधी ने मुझे निजी तौर पर बताया कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा है इसलिए मैं अपना ट्वीट हटा रहा हूं।’
Was informed by Rahul Gandhi personally that he never said what was attributed to him .
I therefore withdraw my tweet .
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 24, 2020
पिछले साल अगस्त में अंतरिम अध्यक्ष बनी थीं सोनिया
राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सोनिया ने अगस्त में एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
कांग्रेस की कलह पर भाजपा का तंज
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए कई योग्य उम्मीदवार हैं। इनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा शामिल हैं। कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है, जहां सिर्फ हेडमास्टर के बच्चे ही क्लास में टॉप आते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में सही बात करने वाला गद्दार है। तलवे चाटने वाले कांग्रेस में वफादार हैं। जब पार्टी की ये स्थिति हो जाए तो उसे कोई नहीं बचा सकता। उधर, उमा भारती ने कहा, ‘गांधी-नेहरू परिवार का अस्तित्व संकट में हैं। इनका राजनीतिक वर्चस्व खत्म हो गया है। इसलिए अब पद पर कौन रहता है या कौन नहीं यह मायने नहीं रखता है। कांग्रेस को बिना कोई विदेशी एलीमेंट के स्वदेशी गांधी की तरफ लौटना चाहिए।’
सोमवार सुबह दिल्ली स्थित पार्टी के मुख्यालय के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कहा कि गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष बना तो पार्टी टूट जाएगी।
आखिर बदलाव की मांग क्यों उठ रही?
1. पार्टी का जनाधार कम हो रहा: 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी अध्यक्ष थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे कम 44 सीटें ही मिल सकीं। 2019 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी अध्यक्ष थे। पार्टी सिर्फ 52 सीटें ही जीत सकी।
2. कैडर कमजोर हुआ: देश में कांग्रेस का कैडर कमजोर हुआ है। 2010 तक पार्टी के सदस्यों की संख्या जहां चार करोड़ थी, वहीं, अब यह लगभग एक करोड़ से कम रह गई। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस में नेताओं की खींचतान का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर पड़ा है।
3. कांग्रेस की 6 राज्यों में सरकार: कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र में बची। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई।
अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय
राहुल के पक्ष में: सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा, ‘आंतरिक चुनावों की बजाय सबकी सहमति देखी जानी चाहिए। राहुल को कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन है।’ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि फिलहाल गांधी परिवार को ही पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी में भरोसा जताया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल को आगे आना चाहिए और पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।
पार्टी में बदलाव के पक्ष में: गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव पर जोर दिया। इन्होंने कहा- लीडरशिप फुल टाइम (पूर्णकालिक) और प्रभावी हो, जो कि फील्ड में एक्टिव रहे। उसका असर भी दिखे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के चुनाव करवाए जाएं। इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप मैकेनिज्म तुरंत बने, ताकि पार्टी में फिर से जोश भरने के लिए गाइडेंस मिल सके। हालांकि, इन्होंने यह नहीं लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार से हो।
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