लखनऊएक घंटा पहले
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यह तस्वीर बाराबंकी की है। यहां तिलवारी गांव सरयू नदी की बाढ़ में डूब गया है। तमाम ग्रामीण अभी गांव में मौजूद हैं। पूरे घर में पानी भर चुका है। ऐसे में नाव पर खाना बनातीं महिलाएं।
- यूपी के 15 जिलों में 788 गांवों में बाढ़ की स्थिति
- बहराइच, गोंडा, लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी व श्रावस्ती जिले में सैकड़ों गांव बाढ़ में डूबे
उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में बाढ़ से हालात बेकाबू हैं। इन जिलों के 788 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से 454 गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। राहत बचाव के नाम मोमबत्ती, तिरपाल, लइया-बतासा व 4-4 पूड़ियां बांटी जा रही हैं। लेकिन ये राहत ऊंट के मुंह में जीरा है। जिन हाथों से तिनका-तिनका जोड़कर मकान बनाया था, अब लोग उसके अपने हाथों से उजाड़ रहे हैं। नावों पर गृहस्थी समेटकर सुरक्षित स्थानों की तरफ लोग जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर जलस्तर घटने लगा तो कटान तेज हो गई है। सैकड़ों एकड़ फसल नदियों में समा रही हैं। बाढ़ से निपटने के लिए योगी सरकार ने 331 बाढ़ शरणालय बनाया है। जबकि 741 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई। अब तक प्रदेश में 14 की जान जा चुकी है। 20 फोटो में देखिए छह जिलों में बाढ़ की स्थिति…
बहराइच: तीन तहसील सरयू नदी की बाढ़ से प्रभावित
नेपाल सीमा पर बसे बहराइच जिले में नानपारा, कैसरगंज व महसी तहसील में सरयू नदी उफान पर है। यहां 25 गांवों में बाढ़ की स्थिति है। तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अपना मकान छोड़कर गृहस्थी समेटकर पलायन करने को मजबूर हैं।
महसी तहसील क्षेत्र में बाढ़ के पानी से घिरा गांव व रास्ता पार करते ग्रामीण।
महसी तहसील क्षेत्र में बाढ़ के पानी से घिरे मकान।
महसी के गंगापुरवा में भरे बाढ़ के पानी से घिरे मकान।
मोतीपुर के दूधनाथपुरवा में सरयू नदी की कटान के कारण अपने मकान उजाड़ते ग्रामीण।
बाराबंकी: खेत खलिहान समेत गांव डूबे
सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। यहां बाढ़ की चपेट में आए प्रभावित गांवों के लोग घर छोड़कर पलायन को मजबूर हैं। तटवर्ती इलाकों के करीब 80 गांव इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों में पानी भरने घरों में रखा अनाज व अन्य सामान खराब होने से लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, तटबंध पर जीवन गुजार रहे लोगों के लिए बारिश मुसीबत बनी है।
तहसील सिरौली में गृहस्थी समेटकर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर लोग।
सरयू नदी की विकरालता को देखते ग्रामीण।
तिलवारी गांव में टापू बने कई घर।
सीतापुर: 35 हजार की आबादी की जिंदगी मझधार में
यहां गांजरी इलाका हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका का दंश झेलने को मजबूर होता है। शासन और प्रशासन के दावे महज कागजों पर ही सिमट कर रह जाते हैं। गांजरी इलाके की तकरीबन 35 हजार से अधिक की आबादी इस वक्त बाढ़ की चपेट में है और लोग घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजदूर हैं। बिसवां और महमूदाबाद तहसील के तकरीबन 30 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी भर चुका है और नदी किनारे नदियां कटान कर रही हैं।
ग्रामीणों के घरों में भरा बाढ़ का पानी।
बाढ़ के पानी में डूबे धार्मिक स्थल व मकान।
बाढ़ के बीच हैंडपंप। लोगों को पीने के पानी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
साइकिल को छप्पर टांगकर बचाने का प्रयास किया गया।
श्रावस्ती: राप्ती की कटान से सहमे ग्रामीण
राप्ती का जलस्तर घटने के साथ कटान तेज हो गई है। यहां तहसील इकौना के नारायनपुर गांव के पास राप्ती नदी की कटान से ग्रामीण सहमे हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 50 मीटर की दूरी पर गांव और विद्यालय है। यदि ऐसी ही कटान होती रही तो जल्द ही गांव नदी में समा जाएगा।
नदी की कटान देखते ग्रामीण।
लखीमपुर: मोहना नदी में समाई सैकड़ों एकड़ फसल
निघासन तहसील के अंतर्गत नेपाल से सटे इलाके में बाढ़ ने दर्जनों गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। रन नगर के ग्रामीणों ने बताया कि सैकड़ों एकड़ जमीन मोहना नदी में समा गई है। जिससे किसान काफी परेशान हैं। यहां हर तरफ बाढ़ का पानी नजर आ रहा है।
कटान करती मोहना नदी।
बाढ़ का पानी ग्रामीणों के घरों तक पहुंचा।
गोंडा: 33 गांव में रहने वाले 780 परिवार प्रभावित
ऐली परसौली में बिशनपुरवा के सामने भिखारीपुर सकरौर तटबंध पर घाघरा का कहर बरपा है। यहां 50 मीटर के दायरे में बांध का करीब 80% हिस्सा पानी में समा गया है। यहां 33 गांव में रहने वाले 780 परिवार पूरी तरह बाढ़ की चपेट में है। करीब 80 परिवार अपना घर बार छोड़कर पलायन कर चुके हैं। वहीं, मवेशियों के लिए चारे का संकट है। जिले में अब तक 68 लोगों का घर अब तक पानी में समा चुका है।
गृहस्थी लेकर पलायन करते ग्रामीण।
केवटही माझा गांव के रहने वाले ग्रामीणों में बाढ़ को लेकर दहशत है।
मवेशियों के लिए चारे का संकट है।
प्रशासन ने लोगों को मोमबत्ती व अन्य जरूरी के सामान वितरित किए हैं7
घाघरा की कटान में तटबंध कटा।
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