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टैक्स सेविंग के साथ बेहतर रिटर्न पाने के लिए PPF या ELSS में 30 जून तक कर सकते हैं निवेश

दैनिक भास्कर

Jun 18, 2020, 01:37 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के चलते सरकार ने टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट के लिए समय सीमा 30 जून बढ़ा दी है। ऐसे में अगर आपने अभी तक कहीं निवेश नहीं किया है तो PPF या ELSS में निवेश करने पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम को चुनते हैं तो इन योजनाओं पर निवेश के जरिए टैक्स की बचत कर सकते हैं। इनमें निवेश करने पर 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स की छूट ली जा सकती है। हम आपको इन दोनों योजनाओं के बारे में बता रहे हैं।

PPF की खास बातें

  • इस स्कीम को बैंक या पोस्ट ऑफिस में कहीं भी खोला जा सकता है। इसके अलावा इसे किसी भी बैंक में या किसी भी पोस्ट ऑफिस में ट्रांसफर भी किया जा सकता है। 
  • इसे खोला तो केवल 100 रुपए से जा सकता है, लेकिन फिर बाद में हर साल 500 रुपए एक बार में जमा करना जरूरी है। इस अकाउंट में हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपए ही जमा किए जा सकते हैं।
  • यह स्कीम 15 साल के लिए है, जिससे बीच में नहीं निकला जा सकता है। लेकिन इसे 15 साल के बाद 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। 
  • इसे 15 साल के पहले बंद नहीं किया जा सकता है, लेकिन 3 साल बाद से इस अकाउंट के बदले लोन लिया जा सकता है। अगर कोई चाहे तो इस अकाउंट से 7वें साल से नियमों के तहत पैसा निकाल सकता है। 
  • ब्याज दरों की समीक्षा हर तीन माह में सरकार करती है। यह ब्याज दरें कम या ज्यादा हो सकती है। फिलहाल इस अकाउंट पर 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है।

ELSS की खास बातें 

  • देश में 42 म्युचुअल फंड कंपनियां टैक्स सेविंग स्कीम चलाती हैं। हर कंपनी के पास इनकम टैक्स बचाने के लिए ELSS है। इसे ऑनलाइन घर बैठे-बैठे या किसी एजेंट के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
  • इसमें अगर इनकम टैक्स बचाने के लिए एक बार में निवेश करना है तो आम तौर पर न्यूनतम 5 हजार रुपए और अगर हर माह निवेश करना है तो आमतौर पर न्यूनतम 500 रुपये महीने का निवेश शुरू किया जा सकता है। हालांकि इसमें 1.5 लाख रुपए की अधिकतम टैक्स छूट ली जा सकती है, लेकिन अधिकतम निवेश की इसमें कोई सीमा नहीं है। 
  • इस इनकम टैक्स बचाने वाली स्कीम में निवेश 3 साल के लिए लॉकइन रहता है। इसके बाद निवेशक चाहे तो यह पैसा निकाल सकता है। तीन साल के बाद चाहें तो पूरा निकाल लें या जितनी जरूरत हो उतना पैसा निकाल ले और बाकी पैसा इस ELSS में जब तक चाहे बना रहने दें।
  • ELSS केवल 3 साल के लिए लॉकइन होती है, लेकिन अगर निवेशक इसमें डिविडेंट पेआउट का आप्शन लेता है तो उन्हें बीच-बीच में पैसा मिलता रहेगा। हालांकि इनकम टैक्स बचाने वाली ELSS स्कीम से बीच में पैसा निकाला नहीं जा सकता है।
  • इसमें निवेश पर ब्याज दर की जगह मार्केट लिंक रिटर्न मिलता है। बीते 10 साल में ईएलएसएस म्‍यूचुअल फंडकैटेगरी ने करीब 8.46 फीसदी का रिटर्न दिया है।

दोनों में ये हैं समानताएं 
दोनों बेस्ट टैक्स सेविंग स्कीम में कुछ बातें काॅमन हैं। पहली यह कि दोनों में अधिकतम 1.5 लाख रुपए का निवेश करके अधिकतम इनकम टैक्स बचाया जा सकता है। इसके अलावा दोनों स्कीम्स को बीच में बंद नहीं किया जा सकता है। यह अलग बात है कि पीपीएफ में पैसा 15 साल बाद निकाला जा सकता है, ELSS में पैसा 3 साल बाद ही निकाला जा सकता है।

कहां करें निवेश?
दोनों ही जगह निवेश करके इनकम टैक्स बचाया जा सकता है। इसके अलावा दोनों की स्कीम की अपनी खासियत और कमियां हैं। ऐसे में अगर कोई इनकम टैक्स बचाने में थोड़ा सा रिस्क लेना चाहता है उनके लिए ELSS बेहतर विकल्प हैं। इसमें पैसा एसआईपी (SIP) के माध्यम से लगाना चाहिए, जिसमें हर महीने निवेश किया जाता है। इससे जहां निवेश पर रिस्क कम हो जाता है और अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। वहीं अगर आप मार्किट के रिस्क से दूर रहना चाहते हैं तो PPF में निवेश करना सही रहेगा। 

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