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बैंक ऑफ राजस्थान में इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपियों पर सेबी ने लगाया 3 करोड़ रुपए की पेनाल्टी, नहीं देने पर जब्त होगी प्रॉपर्टी

  • 2013 में 118 संस्थानों पर इसी मामले में 30 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई थी
  • एक आरोपी पर कोई पेनाल्टी नहीं, क्योंकि 2018 में उनकी मृत्यु हो चुकी है

दैनिक भास्कर

May 30, 2020, 07:21 PM IST

मुंबई. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बैंक ऑफ राजस्थान के पूर्व डायरेक्टर्स और उससे जुड़े कुल 6 लोगों पर 3 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है। यह पेनाल्टी शेयरों में कारोबार को लेकर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में लगाई गई है। एक आरोपी संजय तयाल पर कोई पेनाल्टी नहीं लगी, क्योंकि 2018 में उनकी मृत्यु हो चुकी है। बैंक ऑफ राजस्थान का साल 2010 में आईसीआईसीआई बैंक में विलय हो चुका है। सेबी ने 2013 में 118 संस्थानों पर इसी मामले में 30 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई थी।

सात आरोपी कर रहे थे इनसाइडर ट्रेडिंग

सेबी ने शनिवार को जारी अपने आदेश में रोहित गुप्ता, नवीन कुमार तयाल, ज्योतिका तयाल, संजय तयाल, आदविक टेक्सटाइल्स, कुलविंदर कुमार नायर और आजम शेख को इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोपी माना है। सेबी ने बैंक ऑफ राजस्थान के शेयरों में जांच की थी। साल 2010 में बैंक ऑफ राजस्थान का विलय आईसीआईसीआई बैंक के साथ हो गया था।

इनसाइडर ट्रेडिंग 7 मई से 18 मई 2010 में की गई

सेबी ने जांच में पाया कि इन 7 लोगों ने बैंक ऑफ राजस्थान के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग की। यह ट्रेडिंग 7 मई 2010 से 18 मई 2010 के बीच की गई। इसमें सेबी के संबंधित नियमों का उल्लंघन किया गया। इस इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए सभी आरोपियों ने अच्छा पैसा कमाया। सेबी ने इस संबंध में शोकॉज नोटिस भी जारी किया था। बैंक ऑफ राजस्थान ने 18 मई 2010 को एनएसई को सूचना दी कि उसने अपने एक डायरेक्टर संजीव तयाल से अर्जेंट बोर्ड मीटिंग की अपील प्राप्त की है। यह बोर्ड मीटिंग सूचना मिलने वाले दिन ही की गई। बैंक ने इसी दिन आईसीआईसीआई बैंक के साथ विलय का प्रस्ताव रखा।

18 मई को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई थी विलय की सूचना

सेबी ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ राजस्थान ने 7 मई को इस विलय की मीटिंग रखी थी। इस बीच 7 मई से 17 मई के बीच दोनों बैंकों ने स्टॉक एक्सचेंज को यह सूचना नहीं दी। पर इसी बीच सेंसेटिव प्राइस की सूचना पर रोहित गुप्ता ने शेयरों में कारोबार किया और इससे उन्हें 95,77,614 रुपए का लाभ हुआ। हालांकि बैंक ऑफ राजस्थान और आईसीआईसीआई बैंक ने 18 मई को स्टॉक एक्सचेंज को सूचना दी कि वे विलय करने जा रहे हैं। इसी दौरान ज्योतिका तयाल ने भी शेयरों में कारोबार किया।

बैंक ऑफ राजस्थान का शेयर 99 से बढ़कर 205 रुपए पर पहुंच गया था

सेबी के मुताबिक इस दौरान बैंक ऑफ राजस्थान का शेयर 119 रुपए पर खुला जो एक दिन पहले के 99 रुपए की तुलना में 20 प्रतिशत बढा। यही नहीं, यह शेयर 13 अगस्त 2010 को 205 रुपए तक पहुंच गया। नवीन तयाल और ज्योतिका तयाल आपस में रिश्तेदार थे और दोनों एक दूसरे से शेयरों के बेचने के समय संपर्क में थे। जांच में पता चला कि आदविक टेक्सटाइल्स ने रोहित गुप्ता को पैसा दिया और इससे बैंक के शेयर खरीदे गए। इसी दौरान नवीन तयाल ने एक दूसरे आरोपी को अपना बैंक खाता चलाने के लिए अधिकृत भी कर दिया।

शेयर खरीदने वाले सभी आपस में जुड़े थे

जांच में पता चला है कि उपरोक्त सभी लोग शेयरों को खरीदते समय एक दूसरे से जुड़े हुए थे और सूचनाओं को साझा कर रहे थे। जांच में पता चला कि रोहित एलीमेंटों लाइफ स्टाइल के प्रबंध निदेशक थे और इस कंपनी का पता बैंक ऑफ राजस्थान के ही पते पर था। इस तरह से साबित हुआ कि दोनों मिले थे और दोनों ने इसमें मिलकर काम किया।

रोहित ने 10 दिन में कमाए 95 लाख रुपए

रोहित ने 1,40,000 शेयर बैंक ऑफ राजस्थान के खरीदे थे। यह शेयर 17 और 18 मई को खरीदा गया। इसका कुल मूल्य 1.28 करोड़ रुपए था। यह शेयर 83 से 91.97 रुपए के भाव पर अलग-अलग समय पर खरीदे गए। रोहित ने यह शेयर 8-10 दिन में बेचकर 95,77,614 रुपए कमाए। सेबी की जांच में पता चला कि जब दोनों बैंकों की मीटिंग चल रही थी, उसी समय संजय की पत्नी ज्योतिका ने 22,000 इक्विटी शेयर खरीदे। उसके बाद अगले दिन यानी 18 मई को 1,18,000 शेयर उन्होंने खरीदा।

डायरेक्टर बदले गए, पर बैंक में साइन पुराने डायरेक्टर का ही चल रहा था

बताते हैं कि नवीन और ज्योतिका आदविक टेक्सटाइल्स में हिस्सेदार थे। इन्होंने 2008 से 2010 के बीच यह हिस्सेदारी ली थी। मजे की बात यह थी कि इस इनसाइडर ट्रेडिंग से पहले ही आदविक टेक्सटाइल्स का करेंट खाता आईसीआईसीआई बैंक में खोला गया था। इसमें नवीन भी अधिकृत साइन करनेवाला अधिकारी था। यह भी पाया गया कि 2008 से 2015 के बीच कई बार आदविक के डायरेक्टर बदले गए, पर बैंक में साइन अथॉरिटी के लिए पुराने नाम ही चल रहे थे।

16 कंपनियों में आरोपी ही डायरेक्टर थे

सेबी की जांच में पता चला कि कम से  कम 16 कंपनियां ऐसी बनाई गई थी जिसमें यही आरोपी एक दूसरे में डायरेक्टर थे। सेबी की जांच में पता चला है कि सभी ने एक दूसरे से मिलकर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया और एक ही कंपनी में डायरेक्टर बनकर शेयरों में कारोबार किया। सेबी ने कहा है कि अगर 45 दिनों के अंदर पेनाल्टी की रकम नहीं चुकाई गई तो आरोपियों की प्रॉपर्टी जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी। 

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