May 21, 2024 : 2:10 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

कोरोना के गंभीर मरीजों में खून के थक्के जम रहे ये फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं लेकिन देश में ऐसे मामले कम हैं : एक्सपर्ट

  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव डॉ. नरेंद्र सैनी के मुताबिक, ज्यादातर संक्रमित लोग खुद ही ठीक हो जाते हैं क्योंकि उनके अंदर एंटीबॉडी बनते हैं
  • बाहर से आने के बाद कपड़ों को साबुन से धोएं और हाथों को अच्छी तरह साफ करें, वायरस के शुरुआती लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं और डॉक्टर से सम्पर्क करें

दैनिक भास्कर

May 14, 2020, 03:39 PM IST

नई दिल्ली. बिना दवा कोरोना के मरीजों में कैसे सुधार हो रहा है, संक्रमित लोगों में रक्त के थक्के जमने की हकीकत क्या है….ऐसे कई सवालों के जवाब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव डॉ. नरेंद्र सैनी ने आकाशवाणी को दिए। जानिए कोरोना से जुड़े सवाल और एक्सपर्ट का जवाब…
#1) बिना दवा के कोरोना के मरीज कैसे ठीक हो रहे हैं?
जब मौसम बदलता है तो अक्सर लोग अलग-अलग तरह के वायरस से संक्रमित होते हैं, जिसे इंफ्लूएंजा कहते हैं। इससे अक्सर लोग खुद ही ठीक हो जाते हैं। वैसे ही कोरोनावायरस भी है। ज्यादातर संक्रमित लोग खुद ही ठीक हो जाते हैं क्योंकि उनके अंदर एंटीबॉडी बनते हैं, जो वायरस को नष्ट करते हैं। जब उन्हें दवा की जरूरत नहीं पड़ती। कई लोगों को देखा गया है लक्षण नहीं आए लेकिन टेस्ट में पॉजिटिव मिले। उसी तरह कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें संक्रमण हुआ और थोड़े दिनों में सही हो गए। लेकिन हां, अगर संक्रमण ज्यादा है तो इलाज करना बेहद जरूरी है।

#2) क्या कोरोनावायरस के कारण रक्त के थक्के भी जम रहे हैं?
वायरस का संक्रमण होने पर सूखी खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत शुरुआती लक्षण के तौर पर दिखते हैं। कुछ लोगों में संक्रमण अधिक होने पर सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। इसके बाद जिनमें वायरस का अटैक गंभीर रूप से होता है, तब रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉटिंग) जमने लगते हैं। खून के जरिए ये फेफड़ों तक जा सकते हैं और मुश्किल पैदा करते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों में ऐसा होता है।

#3) आरटी पीसीआर टेस्ट और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट में क्या अंतर है?
सबसे पहले मरीज को जो टेस्ट कराया जाता है वो आरटी पीसीआर टेस्ट होता है, वायरस का संक्रमण कितना है, यह देखने के लिए यह जांच की जाती है। अगर ये पॉजिटिव आता है तो मरीज में वायरस है। वहीं, रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शरीर का रिएक्शन जानने के लिए किया जाता है। इससे पता लगाते हैं कि शरीर ने वायरस को मारने के लिए किस तरीके से काम किया है। इस टेस्ट को कभी शुरुआत में नहीं किया जाता, यह संक्रमण के 8वें या 10वें दिन बाद होता है। 

#4) डॉक्टरों को संक्रमण से बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?

जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ तब हमारे देश में पीपीई किट और एन95 मास्क की कमी थी। दूसरे देशों की तुलना में हमारे यहां सुविधाएं कम थीं लेकिन अब इसकी कमी दूर की जा रही है। चिकित्सकों के लिए पर्याप्त मात्रा में सैनेटाइजर मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही अस्पताल में आने वाले मरीजों से भी अपील की जा रही है कि वे किसी स्टाफ या डॉक्टर को घेरकर न खड़े हों। उनसे दूरी बनाकर रखें।

#5) संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है ऐसे में मेडिकल स्टाफ कितना तैयार है?

देश का पूरा मेडिकल स्टाफ दिनरात मरीजों की सेवा में लगा है। सच पूछिए तो पीपीई किट को 7-8 घंटे तक लगातार पहनकर काम करना बेहद मुश्किल है, लेकिन वो हर दिन ऐसा करके चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में भी वे इसी तल्लीनता से सेवा करते रहेंगे।

अमेरिका के सेंटर्स ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने हाल ही में कोरोना संक्रमण के नए लक्षण जारी किए हैं ताकि समय पर अलर्ट हुआ जा सके।

Related posts

शुक्र ग्रह का उदय: मेष, कर्क, धनु और मकर राशि के नौकरीपेशा लोगों के लिए रहेगा अच्छा समय, धन लाभ के योग भी हैं

Admin

दुनियाभर में धुआंरहित तम्बाकू से 7 साल में मौत का आंकड़ा 3 गुना बढ़ा, इसके सबसे ज्यादा 70 फीसदी रोगी भारत में

News Blast

Ujjain Crime News : कार और साढ़े तीन लाख रुपये लूटने वाले पांच आरोपित गिरफ्तार

News Blast

टिप्पणी दें