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दुनियाभर में धुआंरहित तम्बाकू से 7 साल में मौत का आंकड़ा 3 गुना बढ़ा, इसके सबसे ज्यादा 70 फीसदी रोगी भारत में

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4 दिन पहले

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  • यार्क यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आए आंकड़े, धुआंरहित तम्बाकु के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के सबसे ज्यादा रोगी भारत में बढ़ रहे
  • रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 7 साल में इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 3 लाख पचास हजार हुई

दुनिया में धुआंरहित तम्बाकू के सेवन से होने वाली मौत की संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले 7 साल में मौत का आंकड़ा तीन गुना बढ़ा है। मौतों की संख्या 3 लाख पचास हजार हो गई है। यह आंकड़े यार्क यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आए हैं। रिसर्च के मुताबिक, दुनियाभर में धुआंरहित तम्बाकु के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 फीसदी रोगी भारत में हैं।

ऐसे धूम्रपान से कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा

बीएमसी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, यह रिसर्च कोरोना के दौर में की गई है, जब तम्बाकू चबाने और थूकने वालों की आदत से वायरस फैलने का खतरा है। शोधकर्ताओं ने सरकारी और स्वास्थ्य संस्थाओं से अपील की है कि धुआंरहित तम्बाकु का उत्पादन और ब्रिकी रोकें। कोरोना काल में ऐसा करके संक्रमण के मामलों में कमी लाई जा सकती है।

2017 में इससे होने वाले कैंसर से 90 हजार मौते हुईं

शोधकर्ता कामरान सिद्दीकी के मुताबिक, तम्बाकू चबाने से लार अधिक अधिक बनती है, ऐसा होने पर इससे थूकना जरूरी हो जाता है जिससे वायरस के फैलने का खतरा है। 2017 में धुआंरहित तम्बाकू के कारण होने वाले मुंह, सांसनली और भोजन की नली के कैंसर से 90 हजार से अधिक मौते हुईं। धुआंरहित तम्बाकू से होने वाली बीमारियों में भारत की 70 फीसदी हिस्सेदारी, वहीं इसके पाकिस्तान में 7 फीसदी और बांग्लादेश में मात्र 5 फीसदी मामले हैं।

किसी भी तरह का धूम्रपान खतरनाक है, और कोरोना काल में यह खतरा और भी बढ़ता, इसे एक्सपर्ट से समझें

एक सर्वे कहता है, 27 फीसदी टीनएजर्स ई-सिगरेट पीते हैं। उनका मानना है कि ये स्मोकिंग नहीं सिर्फ फ्लेवर है और सेहत के लिए खतरनाक नहीं। इस पर मेदांता की विशेषज्ञ डॉ. सुशीला का कहना है, यह एक गलतफहमी है, वैपिंग भी सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।

कोरोना और तम्बाकू के कनेक्शन पर डब्ल्यूएचओ और मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया की सलाह

लॉकडाउन तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय

डॉ. कटारिया कहती हैं, यह तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय है। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है। आप इस दौरान दुनिया के सबसे बड़े एडिक्शन से पीछा छुड़ा सकते हैं।

टीनएजर्स में सिगरेट से ज्यादा आसान ई-सिगरेट की लत पड़ना

कुछ लोग कहते हैं हम तो सिगरेट नहीं ई-सिगरेट पी रहे हैं और इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इस पर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि ई-सिगरेट में खासतौर पर एक लिक्विड होता है, जिसमें अक्सर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं। हमे इसकी लत लग जाती है और फेफड़े भी डैमेज होते हैं।

इन दिनों यह कई फ्लेवर में उपलब्ध हैं ऐसे में बच्चों में इसकी लत लगना सिगरेट से भी ज्यादा आसान है। ई-सिगरेट की आदत पड़ने के बाद सिगरेट और तम्बाकू की लत पड़ना काफी आसान हो जाता है, ऐसा कई शोध में भी सामने आया है।

4 सवालों में डब्ल्यूएचओ की नसीहत : तम्बाकू हर रूप में है खतरनाक और संक्रमण का खतरा भी बढ़ाता है

Q-1) मैं स्मोकिंग करता हूं, क्या मुझे कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है?

डब्ल्यूएचओ : स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटाता है। अब तक कि रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है।

Q-2) मैं स्मोकिंग नहीं करता सिर्फ तम्बाकू लेता हूं तो संक्रमण का कितना खतरा है?

डब्ल्यूएचओ : यह आदत आपके और दूसरे, दोनों के लिए खतरनाक है। तम्बाकू लेने के दौरान हाथ मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण का जरिया है और कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है। या हाथों में मौजूद कोरोना तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे मुंह, जीभ, होंठ और जबड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

Q-3) स्मोकिंग के अलग-अलग तरीकों से कैसे कोविड-19 का खतरा कितना बढ़ता है?

डब्ल्यूएचओ : सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वाले कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधेतौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा जा सकता है।

Q-4) स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने पर शरीर में कितना बदलाव आता है?

डब्ल्यूएचओ : इससे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है। 12 मिनट बाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है। 2 से 12 हफ्तों के अंदर फेफड़ों के काम करने की हालत में सुधार होता है। 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ कम हो जाती है।

कितना दम घोट रहा तम्बाकू

तम्बाकू से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इनमें 70 लाख मौत सीधेतौर पर तम्बाकू लेने वालों की हो रही हैं और दुनिया छोड़ने वाले करीब 12 लाख ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने के कारण प्रभावित हुए।

बीमार और स्वस्थ फेफड़ों के बीच फर्क बताता यह वीडियो आपको अलर्ट रखने के लिए काफी है

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