May 15, 2024 : 10:47 PM
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गौतम अडानी: मुकेश अंबानी से अमीरी की रेस लगाते कारोबारी की कहानी

 बात 1978 की है. कॉलेज का एक नौजवान पढ़ाई के दौरान बड़े ख़्वाब देख रहा था. एक दिन उसने अचानक कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.

8 फ़रवरी को ब्लूमबर्ग बिलियनेर्स इंडेक्स की सूची में गौतम अडानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को पछाड़ दिया था जिनकी कुल संपत्ति उस दिन 87.9 अरब डॉलर थी. हालांकि इसके एक दिन बाद ही अंबानी फिर आगे निकल गए.

घर के राशन से लेकर कोयले की खदान तक, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह से लेकर बिजली बनाने तक ऐसे दर्जनों कारोबार हैं जहां गौतम अडानी की बड़ी दखल है. गौतम अडानी की इस कामयाबी का राज़ क्या है? क्या है उनकी ज़िंदगी और व्यापार का सफ़रनामा?

सफ़र की कहां हुई शुरुआत?

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार गौतम अडानी ने 1978 में अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ मुंबई के हीरा बाज़ार में हाथ आज़माया.

लेकिन उनकी क़िस्मत चमकनी शुरू हुई 1981 से जब उनके बड़े भाई ने उन्हें अहमदाबाद बुलाया. भाई ने सामानों को लपेटने वाली प्लास्टिक की एक कंपनी ख़रीदी थी मगर वो चल नहीं पा रही थी. उस कंपनी को जो कच्चा माल चाहिए था वो पर्याप्त नहीं होता था. इसे एक अवसर में बदलते हुए अडानी ने कांडला पोर्ट पर प्लास्टिक ग्रैनुएल्स का आयात शुरू किया और 1988 में अडानी एंटरप्राइज़ लिमिटेड बनी जिसने धातु, कृषि उत्पाद और कपड़ा जैसे उत्पादों की कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू की.

कुछ ही सालों में ये कंपनी और अडानी इस बिज़नेस में बड़ा नाम बन गए.

अडानी इंटरप्राइज़ेज़ के मुताबिक़ साल 1994 में बीएसई और एनएसई में कंपनी का शेयर सूचीबद्ध हुआ था. उस समय इसके एक शेयर की क़ीमत 150 रुपये थी. लेकिन ये सिर्फ़ एक शुरुआत थी.

मुंदरा पोर्ट

साल 1995 में अडानी समूह ने मुंदरा बंदरगाह का परिचालन शुरू किया. क़रीब 8 हजार हेक्टेयर में फैला अडानी का मुंदरा पोर्ट आज भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है.

मुंदरा बंदरगाह से पूरे भारत के लगभग एक-चौथाई माल की आवाजाही होती है. गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे सात समुद्री राज्यों में 13 घरेलू बंदरगाहों में अडानी ग्रुप की उपस्थिति है.

इसमें कोयले से चलने वाला विशाल बिजली स्टेशन और विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है.

मुंदरा बंदरगाह पर दुनिया में कोयले की सबसे बड़ी माल उतराई की क्षमता है. ये बंदरगाह स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के तहत बना है, जिसका मतलब होता है कि उसकी प्रमोटर कंपनी को कोई टैक्स नहीं देना होगा.

इस ज़ोन में बिजली प्लांट, निजी रेलवे लाइन और एक निजी हवाई अड्डा भी है.

राशन के सामानों का कारोबार

जनवरी 1999 में अडानी ग्रुप ने विल एग्री बिजनेस ग्रुप विल्मर के साथ हाथ मिलाकर खाद्य तेल के बिज़नेस में क़दम रखा. आज देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला फ़ॉर्च्यून खाद्य तेल अडानी-विल्मर कंपनी ही बनाती है. फ़ॉर्च्यून तेल के अलावा अडानी ग्रुप उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में आटा, चावल, दालें, चीनी जैसे दर्जनों उत्पाद बनाता है.

2005 में अडानी ग्रुप ने भारतीय खाद्य निगम के साथ मिलकर देश में बड़े-बड़े साइलोज़ बनाने की शुरुआत की. साइलोज़ में बड़े पैमाने पर अनाज का भंडारण किया जाता है.

शुरू में 20 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर अडानी ग्रुप ने देश में अलग-अलग राज्यों में साइलोज़ का निर्माण किया. इनकी कनेक्टिविटी के लिए अडानी ग्रुप ने निजी रेल लाइनों को भी बनाया ताकि साइलो यूनिट से पूरे भारत में वितरण केंद्रों तक अनाज की आवाजाही को आसान बनाया जा सके.

आज की तारीख़ में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड देश में भारतीय खाद्य निगम और मध्य प्रदेश सरकार के अनाज को अपने साइलोज़ में रखता है. इसमें भारतीय खाद्य निगम का 5.75 लाख मीट्रिक टन और मध्य प्रदेश सरकार का तीन लाख मीट्रिक टन अनाज शामिल है.

कोयला खदान

फ़ॉर्च्यून इंडिया मैगज़ीन के मुताबिक साल 2010 में अडानी ने ऑस्ट्रेलिया की लिंक एनर्जी से 12,147 करोड़ में कोयला खदान ख़रीदी थी. गेली बेस्ट क्वीन आइलैंड में मौजूद इस खदान में 7.8 बिलियन टन के खनिज भंडार हैं जो हर साल 60 मिलियन टन कोयला पैदा कर सकती है.

इंडोनेशिया में तेल, गैस और कोयला जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन आधारभूत सुविधाओं के अभाव में इन संसाधनों का पर्याप्त लाभ उठाना संभव नहीं था.

2010 में अडानी ग्रुप ने इंडोनेशिया के दक्षिणी सुमात्रा से कोयले की ढुलाई के लिए डेढ़ अरब डॉलर की पूंजी निवेश करने की घोषणा की थी. इसके लिए दक्षिणी सुमात्रा में बनने वाली रेल परियोजना के लिए वहाँ की प्रांतीय सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.

उस समय इंडोनेशिया निवेश बोर्ड ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अडानी समूह पाँच करोड़ टन की क्षमता वाले एक कोल हैंडलिंग पोर्ट का निर्माण करेगा और दक्षिणी सुमात्रा द्वीप की कोयला खदानों से कोयला निकालने के लिए 250 किलोमीटर रेल की लाइन बिछाएगा.

नीता अंबानी के साथ अडानी

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES

कारोबार का विस्तार

अडानी साम्राज्य का कारोबार 2002 में 76.5 करोड़ डॉलर था जो 2014 में बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गया था.

साल 2015 के बाद अडानी समूह ने सेना को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का काम भी शुरू किया. कुछ समय बाद प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में बिज़नेस को बढ़ाया. 2017 में सोलर पीवी पैनल बनाना शुरू किया.

2019 में अडानी समूह ने हवाई अड्डे के क्षेत्र में प्रवेश किया. अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के छह हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और संचालन की ज़िम्मेदारी अडानी समूह के पास है. अडानी समूह 50 सालों तक सभी छह हवाई अड्डों का संचालन, प्रबंधन और विकास का काम संभालेगा.

अडानी से जुड़े विवाद

गुजरात सरकार पर अडानी समूह को भारत के सबसे बड़े बंदरगाह मुंदरा के लिए बड़े पैमाने पर कौड़ियों के भाव ज़मीन देने के आरोप लगते रहे हैं.

2010 के फ़रवरी महीने में अडानी के भाई राजेश अडानी को कथित तौर पर कस्टम ड्यूटी चोरी के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. वे अडानी ग्रुप के प्रबंध निदेशक हैं.

2014 में ऑस्ट्रेलिया की फ़ेयरफ़ैक्स मीडिया ने इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट की थी. फ़ेयरफ़ैक्स मीडिया ने गुजरात में बन रहे लग्ज़री हाउसिंग प्रोजेक्ट में लगे 6 हज़ार मज़दूरों की कथित बदहाली पर रिपोर्ट छापी थी. रिपोर्ट में मज़दूरों की कथित बदहाली के लिए अडानी समूह को ज़िम्मेदार बताया गया था. ये मज़दूर अडानी समूह के लिए काम कर रहे ठेकेदारों ने रखे थे. हालांकि अडानी समूह का कहना था कि उसने कोई क़ानून नहीं तोड़ा है.

मई 2014 में सरकारी अधिकारियों ने बिजली बनाने के काम में आने वाले उपकरणों के आयात की क़ीमत को कथित तौर पर क़रीब एक अरब डॉलर बढ़ाकर दिखाने के लिए नोटिस जारी किया था.

उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य में कारमाइकल कोयला खदान है. यहां अडानी की कंपनी को कोयला खनन की इजाज़त मिली है. इसे लेकर अडानी समूह को काफ़ी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

नरेंद्र मोदी के साथ गौतम अडानी

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES

मोदी के साथ रिश्ते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गौतम अडानी की क़रीबी साल 2002 से ही दिखनी शुरू हो गई थी जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

गुजरात में तब सांप्रदायिक दंगे हुए जिसके बाद व्यापार जगत की संस्था कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (सीआईआई) से जुड़े उद्योगपतियों ने उस वक़्त हालात पर क़ाबू पाने में ढिलाई बरतने के लिए मोदी की आलोचना भी की थी.

वहीं मोदी गुजरात को निवेशकों के पसंदीदा ठिकाने के तौर पर पेश करने की कोशिश में थे. तब गौतम अडानी ने गुजरात के अन्य उद्योगपतियों को मोदी के पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सीआईआई के समानांतर एक और संस्था खड़ी करने की चेतावनी भी दी थी.

मार्च 2013 में अमेरिका के व्हार्टन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस के एक कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी को मुख्य वक्ता के तौर पर बुलाया गया था. शिक्षकों और छात्रों के विरोध के बाद नरेंद्र मोदी को मुख्य वक्ता के रूप में हटा दिया गया था.

तब इस आयोजन के मुख्य प्रायोजकों में से एक अडानी ग्रुप ने वित्तीय सहायता वापस ले ली थी.

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