कर्नाटक के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद थमा नहीं है. मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है कि जब तक ये मामला सुलझ नहीं जाता तब तक धार्मिक पोशाकों पर रोक रहेगी, फिर वह हिजाब हो या भगवा कपड़ा. हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिस तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.
किसी की नज़र में ये संवैधानिक अधिकार है तो किसी का मानना है कि शिक्षण संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों को पहनना सही नहीं. लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं जहां बरसों पहले ही सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने या इस्लामिक नक़ाबों पर रोक लगा दी गई. कुछ देशों में तो नियमों के उल्लंघन पर मोटे जुर्माने का भी प्रावधान है.
11 अप्रैल 2011 को फ़्रांस सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था. इस प्रतिबंध के तहत कोई भी महिला फिर वो फ्ऱांसिसी हो या विदेशी, घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती थी. नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया.
उस समय निकोला सारकोज़ी फ़्रांस के राष्ट्रपति हुआ करते थे. प्रतिबंध लगाने वाले सारकोज़ी प्रशासन का मानना था कि पर्दा महिलाओं के साथ अत्याचार के समान है और फ़्रांस में इसका स्वागत नहीं किया जाएगा.
इसके पांच साल बाद यानी साल 2016 में फ़्रांस में एक और विवादित क़ानून लाया गया. इस बार बुर्किनी के नाम से मशहूर महिलाओं के पूरे शरीर ढंकने वाले स्विम सूट पर बैन लगाया गया. हालांकि, बाद में फ़्रांस की शीर्ष अदालत ने इस क़ानून को रद्द कर दिया.
फ़्रांस में क़रीब 50 लाख मुस्लिम महिलाएं रहती हैं. पश्चिमी यूरोप में ये संख्या सबसे ज़्यादा है, लेकिन महज़ 2 हज़ार महिलाएं ही बुर्क़ा पहनती हैं.
ऐसा करने के लिए 150 यूरो का जुर्माना तय किया गया. अगर कोई किसी महिला को चेहरा ढकने पर मजबूर करता है तो उस पर 30 हज़ार यूरो के जुर्माने का प्रावधान है.
बेल्जियम
बेल्जियम में भी पूरा चेहरा ढकने पर जुलाई 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था. नए क़ानून में सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक थी जो पहनने वाले की पहचान ज़ाहिर न होने दे.
दिसंबर 2012 में बेल्जियम की संवैधानिक अदालत ने इस प्रतिबंध को रद्द करने की मांग वाली याचिका को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है.
बेल्जियम के कानून को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने साल 2017 में भी बरकरार रखा.
नीदरलैंड्स
नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के सांसदों ने स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सफ़र के दौरान पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नक़ाबों पर रोक का समर्थन किया.
हालांकि, इस प्रतिबंध को क़ानून बनने के लिए बिल का संसद में पास होना ज़रूरी था. आख़िरकार जून 2018 में नीदरलैंड्स ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया.
इटली
इटली के कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध है. इसमें नोवारा शहर भी शामिल है. इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्क़ा पर प्रतिबंध को लेकर सहमति बनी और ये जनवरी 2016 से लागू हुआ था. हालांकि, ये नियम पूरे देश में लागू नहीं है.
जर्मनी
6 दिसंबर 2016 को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा कि “देश में जहां कहीं भी क़ानूनी रूप से संभव हो, पूरा चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.”
हालांकि, जर्मनी में अभी तक ऐसा कोई क़ानून नहीं है, लेकिन ड्राइविंग के दौरान यहां पूरा चेहरा ढकना ग़ैर-क़ानूनी हैजर्मनी की संसद के निचले सदन ने जजों, सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आंशिक प्रतिबंध की मंज़ूरी दी थी. यहां पूरा चेहरा ढकने वाली महिलाओं के लिए ज़रूरत पड़ने पर चेहरा दिखाए जाने को भी अनिवार्य किया गया है.
ऑस्ट्रिया
अक्टूबर 2017 में ऑस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
नॉर्वे
नॉर्वे में जून 2018 में पारित एक क़ानून के तहत शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है.
स्पेन
यूं तो स्पेन में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध की कोई योजना नहीं है, लेकिन साल 2010 में इसके बार्सिलोना शहर में नगर निगम कार्यालय, बाज़ार और पुस्तकालय जैसे कुछ सार्वजनिक जगहों पर पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नक़ाबों पर प्रतिबंध की घोषणा की गई थी.
हालांकि, लीडा शहर में लगे प्रतिबंध को स्पेन की सुप्रीम कोर्ट ने फ़रवरी 2013 में पलट दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन है.
ब्रिटेन
अफ़्रीका
साल 2015 में बुर्काधारी महिलाओं ने कई बड़े आत्मघाती धमाकों को अंजाम दिया. इसके बाद चाड, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नीजेर के कुछ क्षेत्रों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में पूरा चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई थी.
डेनमार्क
डेनमार्क की संसद ने 2018 में पूरा चेहरा ढकने वालों के लिए जुर्माने का प्रावधान करने के बिल को मंज़ूरी दी थी. इस क़ानून के मुताबिक़, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार इस पाबंदी का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उस पर पहली बार के मुक़ाबले 10 गुना अधिक जुर्माना लगाया जाएगा या छह महीने तक जेल की सज़ा होगी. जबकि किसी को बुर्क़ा पहनने के लिए मजबूर करने वाले को जुर्माना या दो साल तक जेल हो सकती है.
इससे दस साल पहले सरकार ने घोषणा की थी कि जजों को कोर्ट रूम में हेडस्कार्फ़ और इसी तरह के अन्य धार्मिक या राजनीतिक प्रतीकों जैसे क्रूस, टोपी या पगड़ी, को पहनने से रोकेगी.
रूस
रूस के स्वातरोपोल क्षेत्र में हिजाब पहनने पर रोक है. रूस में ये इस तरह का पहला प्रतिबंध है. जुलाई 2013 में रूस की सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को बरक़रार रखा था.