छत्तीसगढ़ के कबीरधाम में दो पक्षों के बीच विवाद के बाद फ़ैली हिंसा के दौरान, शहर में पूर्व भाजपा सांसद अभिषेक सिंह और भाजपा सांसद संतोष पांडेय के नेतृत्व में एक बड़ी रैली निकाली गई थी, जिसमें विवादित नारे लगाये गये थे.
शुक्रवार को इस रैली का वीडियो वायरल होने के बाद इस विवाद में भाजपा के पूर्व सांसद अभिषेक सिंह की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
इस बीच ज़िला प्रशासन ने अभिषेक सिंह के अलावा भाजपा सांसद संतोष पांडेय और पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी समेत भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के 16 नेताओं के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
अभिषेक सिंह ने इस पर बीबीसी से कहा कि पुलिस राजनीतिक दबाव में काम कर रही है.
स्थानीय पुलिस के मुताबिक़ तीन अक्टूबर से लेकर अब तक 5 अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 93 लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है. इन सबके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 153(क), 188, 295, 332, 353, 109 और लोक संपत्ति की क्षति की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हिंसा के बाद ज़िला मुख्यालय में कर्फ़्यू
अभिषेक सिंह, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे हैं और कबीरधाम उनका गृह ज़िला है. लेकिन पिछले चुनाव में गृह ज़िले में भारतीय जनता पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था.
राज्य में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत का रिकॉर्ड बना कर कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद अक़बर इस इलाक़े से विधायक चुने गये थे. मोहम्मद अक़बर अभी राज्य के वन मंत्री हैं.
पुलिस के अनुसार मंगलवार को हिंसक भीड़ ने कई घरों पर हमला किया था और धर्मस्थलों को घेर कर नारेबाजी की थी. शहर में हुई हिंसा के बाद ज़िला मुख्यालय में कर्फ़्यू लागू कर दिया गया था और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
हिंसा के कई वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस को शहर में हुई हिंसा के वीडियो को सार्वजनिक करने और उनमें नज़र आने वाले लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा, “मैंने निर्देश दिया है कि सच्चाई को सामने लाया जाए और एडीजी विवेकानंद जी से मैंने कहा है कि उसके बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के पूरे प्रदेश की जनता को उससे अवगत कराएं.
हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण कबीरधाम की स्थिति ख़राब हुई है.
शुक्रवार को राज्यपाल से भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और कबीरधाम के मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया.
राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, “कबीरधाम शांति का टापू है. लेकिन रायपुर से संचालित होने वाले एफआईआर की बदौलत वह विस्फोटक स्थिति में पहुंच गया है.”
इस बीच कबीरधाम में शनिवार को भी कर्फ़्यू में पांच घंटे की छूट दी गई है. प्रशासन का कहना है कि इस दौरान आम लोग अपने ज़रुरी कामकाज निपटा सकेंगे.
किस बात पर हुआ था विवाद
रविवार को कबीरधाम के ज़िला मुख्यालय के लोहारा नाका चौक पर बिजली के खंबे पर एक झंडा लगाने और फिर उसे उतारने को लेकर दो पक्षों में जम कर मारपीट हुई. झंडा लगाने वाले युवक के साथ भी मारपीट की गई. इसके बाद से विवाद बढ़ता चला गया.
मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद ने कबीरधाम को बंद रखने की घोषणा की थी. हालांकि प्रशासन ने धारा 144 लागू किया था लेकिन भारी संख्या में पहुँची भीड़ ने एक बड़ी रैली निकाली.
भीड़ की माँग थी कि इस विवाद में जिन लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ़्तार किया जाए.
पुलिस का दावा है कि कबीरधाम ज़िले में सुनियोजित तरीक़े से भीड़ को भड़काने की कोशिश की गई थी. बंद की रैली के लिए कई पड़ोसी ज़िलों से लोग मंगलवार को शहर पहुँचे थे और उन्होंने जगह-जगह तोड़फोड़ और आगज़नी की.
पुलिस का दावा है कि हिंसक और बेक़ाबू भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया, इसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. इसके बाद शहर में कर्फ़्यू लागू करना पड़ा था.