May 21, 2024 : 5:43 PM
Breaking News
Other

तालिबान का काबुल: ‘हाथ में हथियार लिए हरेक शख़्स को लगता है, वही बादशाह है’- ग्राउंड रिपोर्ट

तुम किसी महरम को साथ लिए बगैर सफ़र क्यों कर रही हो?”

तालिबान के एक लड़ाके ने एक अकेली अफ़ग़ान औरत से ये सवाल पूछा क्योंकि उसके साथ घर का कोई पुरुष सदस्य नहीं था. काबुल में चलने वाली एक पीली टैक्सी की पिछली सीट पर वो औरत अकेली बैठी थी.

शहर की एक सुरक्षा चौकी पर दूसरी गाड़ियों की तरह उस टैक्सी को भी रोका गया था. सुरक्षा चौकी पर तालिबान का सफ़ेद झंडा लहरा रहा था, जिस पर काली स्याही में कुछ इबारतें लिखी थीं.

काबुल में अब किस चीज़ की इजाज़त है और किस चीज़ की नहीं? सिर पर साफ़ा पहने उस तालिबान लड़ाके के कंधे पर राइफल लटक रही थी. उसने उस औरत से कहा कि अपने पति को फ़ोन करो.

जब महिला ने बताया कि उसके पास फ़ोन नहीं है तो तालिबान के गार्ड ने एक दूसरे टैक्सी वाले से उस महिला को घर ले जाने के लिए कहा ताकि वो अपने पति को साथ लेकर वापस आ सके.महिला ने जब इस फरमान को पूरा कर दिया तो ये मामला सुलझ गया.

काबुल अभी भी एक ऐसे शहर की तरह लगता है, जहाँ ज़िंदगी ठहरी हुई मालूम पड़ती है. अफ़ग़ान अंगूर और गहरे जामुनी रंग के आलूबुखारे लिए रेहड़ी वाले और सड़कों पर फटे-पुराने कपड़े पहने इधर-उधर भटकते बच्चे हर तरफ़ देखे जा सकते हैं.

ऊपर से देखने पर लगता है कि काबुल ज़िंदगी पहले जैसी ही है लेकिन ऐसा नहीं है. ये एक ऐसा शहर बन गया है, जहाँ हुकूमत तालिबान के फरमानों से चल रहा है और कुछ तालिब लड़ाके सड़कों पर मौजूद हैं.

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने काबुल से आख़िरी अमेरिकी सैनिक के जाने के एक दिन बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आप लोगों से किस तरह से पेश आते हैं, इसे लेकर एहतियात बरतने की ज़रूरत है. मुल्क को बहुत नुक़सान हो चुका है. लोगों से नरमी से पेश आएं.”

कुछ चीज़ों को कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. पिछले महीने जब तालिबान तेज़ी से काबुल की तरफ़ बढ़ रहा था तो अफ़ग़ान लोगों को मालूम था कि तालिबान के नए निज़ाम में उन्हें क्या करना है.

मर्दों ने दाढ़ी बनाना बंद कर दिया, औरतों ने चमकीले रंगों की जगह काले रंग के स्कार्फ़ पहनना अपने कपड़ों की लंबाई देखनी शुरू कर दी थी. अफ़ग़ानिस्तान में अनिश्चितता और निराशा का माहौल कुछ इस कदर बना हुआ है.

बर्बाद हो गए सपने’

“मुझे क्या करना चाहिए?” बहुत से अफ़ग़ान लोग ये सवाल पूछ रहे हैं. देश छोड़ने के लिए मदद मांग रहे हैं. मरियम राजाई उन लोगों में से हैं, जिन्हें पता था कि राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी की हुकूमत के पतन के बाद उन्हें क्या करना है.

15 अगस्त के दिन जब तालिबान लड़ाके काबुल की सड़कों पर दिखने लगे तो उस वक़्त वो अटॉर्नी जनरल के दफ़्तर में महिला वकीलों के एक वर्कशॉप का संचालन कर रही थीं.

जब आने वाले ख़तरे को लेकर उन्हें आगाह किया गया तो एक छात्रा ने कहा, “हमें ये जारी रखना चाहिए.” लेकिन जल्द ही उनकी क्लास बीच में ही रुक गई. उसके बाद मरियम राजाई अपने परिवार के साथ एक जगह से दूसरी जगह भटक रही हैं. उनके साथ दो छोटे बच्चे भी हैं.

मरियम की तीन साल की बेटी निलोफर इंजीनियर बनना चाहती है. मिट्टी-गारे से बने कमरे के एक कोने में प्लास्टिक ब्लॉक्स से नीलोफर की बनाई एक इमारत रखी है. कमरे की खिड़कियों से धूप भीतर झांक रही है.

यहाँ किसी को इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि तालिबान नेता के इस बयान का क्या मतलब है कि “महिलाओं और लड़कियों को इस्लाम के तहत उनके सभी हक़” दिए जाएंगे.

लेकिन मरियम रजाई जैसी कई औरतों को साफ़ लफ्जों में ये भी हुक्म दिया गया है कि कि वे दफ़्तर न आएं. बहुत से लोगों को ये डर है कि इस शहर में जो ज़िंदगी वो अब तक जीते आ रहे थे, वो दोबारा नहीं मिलने वाली है. ये शहर अब उन्हें बेगाना लगने लगा है.

मरियम कहती हैं, “पढ़ना-लिखना, नौकरी करना, समाज में भागीदारी करना मेरा हक़ है.” उनकी बगल में यूनिवर्सिटी की किताबों का अंबार रखा है. टूटती-बिखरती आवाज़ में वो कहती हैं, “मेरे सभी सपने बर्बाद हो गए.”

पीछे छूट गए कॉन्ट्रैक्टर्स

अफ़ग़ानिस्तान में दो दशकों तक रही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मौजूदगी के कारण एक नए तबके का उदय हुआ. इनमें से कुछ लोग अब जोखिम की स्थिति में फंस गए हैं.

काबुल स्थित ब्रितानी दूतावास में 13 सालों तक चीफ़ शेफ़ रहे हमीद याद करते हैं, “क्रिसमस पार्टी की कई ख़ूबसूरत यादें हैं. हम लजीज खाना बनाया करते थे. हम सब बहुत ख़ुश थे.”

हम एक कालीन पर उनके साथ बैठे. साथ में उनके पाँच छोटे बच्चे भी थे. सामने कुछ पुरानी तस्वीरें और उनके काम की सराहना में जारी किए गए प्रशस्ति पत्र रखे थे.

हमीद समेत दूतावास के 60 अन्य कर्मचारी एक प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर के ज़रिए रखे गए थे. सूत्रों का कहना है कि ब्रितानी विदेश मंत्रालय द्वारा सीधे नियुक्त किए गए तकरीबन सभी कर्मचारियों को तालिबान के काबुल आने से पहले वहाँ से हटा दिया गया जबकि प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर्स यहीं छूट गए.

उदास लहजे में हमीद कहते हैं, “हमने कड़ी मेहनत की थी, यहाँ तक कि कोविड लॉकडाउन के दौरान भी हम काम कर रहे थे. अगर वे हमें यहां से नहीं ले जाते हैं तो ये बहुत बड़ा धोखा होगा.”

ब्रिटेन ने दूसरे पश्चिमी देशों की तरह ये वादा किया है कि वो मदद के लिए रास्ते खोजेगा.

अफ़ग़ानिस्तान, तालिबान, काबुल, महिलाएं, ज़िंदगी

‘क्या ये हकीकत है?’

काबुल शहर में बैंकों के बाहर लंबी क़तारे लगी हैं. ज़्यादातर बैंक बंद हैं, ज़्यादातर के पास पैसे नहीं हैं.

भीड़ में एक शख़्स ने तेज़ आवाज़ में कहा, “एक हफ़्ता बीत गया है. हम हर रोज़ पैसे के लिए आ रहे हैं. पीछे लौटने की दिशा में ये नई शुरुआत है.”

काबुल से दूर अफ़ग़ानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में कुछ लोग इस बात को लेकर राहत महसूस कर रहे हैं कि लड़ाई ख़त्म हो गई है.

लाखों अफ़ग़ान लोगों के लिए ज़िंदा रहने की लड़ाई में रत्ती भर भी बदलाव नहीं आया है.

काबुल एयरपोर्ट पर फ्रीलांस अफ़ग़ान पत्रकार अहमद मांगली कहते हैं, “क्या ये इतिहास है, क्या ये हकीकत है. जो मैं देख रहा हूं, उसे लेकर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता है.”

“तालिबान के प्रवक्ता मीडिया के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हर किसी के हाथ में यहां हथियार है. यहां हर किसी को ये लगता है कि वही बादशाह है. मुझे नहीं मालूम कि मैं कब तक जोख़िम उठा सकूंगा पर मैं इतिहास का हिस्सा बनना चाहता हूं.”

अफ़ग़ानिस्तान में इतिहास करवट बदल रहा है. अतीत में जो कुछ भी हुआ, उसे बदला जा रहा है. रेड लिपस्टिक और सफेद गाउन पहनी हुई मॉडल वाले होर्डिंग्स अब हटाए जा रहे हैं.

सालों तक कई जंग लड़ चुके एक पुराने दोस्त मसूद खलीली ने कुछ पंक्तियां मुझे लिख भेजीं, “बीती रात नसीब लिखने वाले ने मेरी कान में कहा, हमारी किस्मत की किताब में मुस्कुराहटें और आंसू भरी हुई हैं.”

Related posts

20 हजार से कम हुए नए कोरोना मामले, एक्टिव केस भी ढाई लाख से कम

News Blast

बदला मौसम का मिजाज, रीवा-शहडोल, जबलपुर समेत इन जिलों में बारिश की संभावना

News Blast

17 औरतों को झांसा देकर शादी और करोड़ों का फ़रेब करने वाला कैसे पकड़ा गया

News Blast

टिप्पणी दें