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न्याय के पहरेदार:भारतीय मूल के गुरबीर ग्रेवाल अमेरिका के सिक्योरिटी बोर्ड में अहम् भूमिका निभाएंगे, नागरिकों पर पुलिस की सख्त कार्रवाई को रोकने की नई नीति

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एक घंटा पहलेलेखक: ट्रेसी टली

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अटॉर्नी जनरल ने अश्वेतों को न्याय दिलाने के लिए कई कदम उठाए। - Dainik Bhaskar

अटॉर्नी जनरल ने अश्वेतों को न्याय दिलाने के लिए कई कदम उठाए।

भारतीय मूल के गुरबीर ग्रेवाल ने अमेरिका के सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन (एसइसी) में शक्तिशाली भूमिका निभाने के बारे में पहले कभी नहीं सोचा होगा। वे न्यूजर्सी राज्य में अटॉर्नी जनरल रहे। इस बीच एसइसी के अधिकारियों ने ग्रेवाल से बोर्ड के पूर्व डायरेक्टर के इस्तीफे से खाली प्रमुख पद संभालने का आग्रह किया। वे सोमवार से नया काम शुरू करेंगे।

उन्होंने रंगभेद और अश्वेतों के खिलाफ नफरत की मुहिम के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। जर्सी सिटी में भारतीय अप्रवासियों के यहां जन्मे ग्रेवाल बर्जेन काउंटी में अपनी डॉक्टर पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहते हैं। बोर्ड का काम देखने के लिए उन्हें वॉशिंगटन आना पड़ेगा। वे अमेरिका में किसी राज्य के पहले सिख अटॉर्नी जनरल थे।

पिछले शुक्रवार को न्यूजर्सी में अपने भावनात्मक विदाई भाषण में उन्होंने सरकार और आपराधिक न्याय सिस्टम में लोगों खासकर अश्वेतों का भरोसा बहाल करने और बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि न्याय केवल गिरफ्तारियों या सजा की संख्या भर नहीं है। न्याय उन मामलों से भी संबंधित है जिन्हें दर्ज नहीं किया जाता है। ऐसे लोगों से भी जुड़ा है जो आपराधिक न्याय के दायरे से बाहर हैं।

साढ़े तीन साल पहले अटॉर्नी जनरल बनाए जाने के बाद ग्रेवाल ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के खिलाफ कई मुकदमों मेंं हिस्सा लिया। इन मुकदमों से दूसरे देशों से आए कई लोगों को जनगणना में शामिल करने में मदद मिली है। 48 वर्षीय ग्रेवाल के आलोचक भी हैं। कई वकीलों ने उनके आपराधिक न्याय सुधारों को कमजोर बताया है। उन्होंने पुलिस के बलप्रयोग की नई सीमा तय की है।

ग्रेवाल की नीति के अनुुसार यदि पुलिसकर्मी अपने किसी सहयोगी को अतिरिक्त बलप्रयोग करते देखते हैं तो उन्हें दखल देना चाहिए। पुलिस के नागरिकों पर गोली चलाने या उन पर कुत्ते छोड़ने जैसे उपायों की भी सीमा बांधी गई है। उन्होंने ट्रम्प के कार्यकाल में केंद्र सरकार के अधिकारियों को इमीग्रांट की गिरफ्तारी में न्यूजर्सी पुलिस के सहयोग पर रोक लगा दी थी।

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