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भास्कर इंटरव्यू:डीप फेक तकनीक सच को झूठ बना सकती है और झूठ में सच जड़ सकती है, आज सबसे बड़ी समस्या गलत सूचनाएं

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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क्रिस उमे - Dainik Bhaskar

क्रिस उमे

  • मशहूर डीप फेकर क्रिस बता रहे हैं एआई से बन रहे वीडियो फायदेमंद हैं या खतरनाक

हाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाए गए वीडियो दुनिया में चर्चा का विषय बने। एआई से बने ऐसे वीडियो सिंथेटिक मीडिया या डीप फेक कहे जाते हैं। माना जाता है कि अधिकतर पोर्न वीडियो भी डीप फेक हैं। मूलत: फिनलैंड के रहने वाले डीप फेकर क्रिस उमे के अनुसार डीप फेक सच को झूठ बना सकता है और झूठ में सच जड़ सकता है। क्रिस अभी बैंकॉक में हैं।

प्रस्तुत है भास्कर के रितेश शुक्ल की उनसे बातचीत के चुनिंदा अंश-

डीप फेक क्या है?
एआई और मशीन लर्निंग तकनीक की मदद से झूठ बोलने वाले के चेहरे पर भ्रामक तस्वीर चिपकाई जा सकती है। किसी भी व्यक्ति की आवाज, भावों को किसी दूसरे चेहरे से बदला जा सकता है, जो सच जैसा लगे। क्रिस बताते हैं, ‘मैंने सिंघम के अजय देवगन की शक्ल को कियानू रीव्स से बदल कर वीडियो बनाया है।’

टॉम क्रूज का फेक वीडियो बनाने के पीछे आपका क्या नजरिया था?

मैं जानता हूं कि कुछ ही सालों में मशीन लर्निंग और एआई इतना परिपक्व हो जाएगा कि फॉरेंसिक साइंस की मदद के बिना सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल होगा। यह सिर्फ मान्यताओं पर निर्भर रहेगा। मौजूदा दशक के अंत से पहले 90% मीडिया सिंथेटिक यानी डीपफेक होगा। इस चुनौती से आगाह करने के लिए ही मैंने यह वीडियो बनाया। हम ऐसे जमाने में जी रहे हैं जहां झूठ का मुकाबला झूठ से ही किया जा सकता है। डीपफेक का मुकाबला भी डीपफेक से ही हो सकता है।

क्या यह तकनीक खतरनाक नहीं है?

यह तो आपके इस्तेमाल का नजरिया तय करेगा कि तकनीक फायदेमंद होगी या खतरनाक। आग सबसे पुरानी तकनीक है। यह खाना भी पकाती है और लोगों को मारती भी है। असल समस्या तो गलत सूचनाएं हैं। कंप्यूटर या प्रिंट तो सिर्फ माध्यम हैं।

डीपफेक तकनीक फायदेमंद कैसे हो सकती है?

स्वास्थ्य, पत्रकारिता, फिल्म उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में डीपफेक तकनीक काफी प्रभावी साबित हो सकती है। किसी की आवाज चली गई हो, तो डीपफेक की मदद से वो अपने विचारों को आवाज दे सकता है। शिक्षा में मुश्किल विषयों को भी डीपफेक रोचक बना सकता है। विज्ञापन क्षेत्र में भी डीपफेक की काफी संभावनाएं हैं। बेल्जियम में हमने एक प्रयोग किया, जिसमें दिवंगत हो चुके फुटबॉल टीम मैनेजरों को बात करते दिखाया गया। यह काफी पसंद किया गया।

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