न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Sat, 10 Jul 2021 08:07 PM IST
सार
देश की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के बाद सुस्ती से बाहर से निकल रही है। इसका संकेत प्रत्यक्ष कर संग्रह में अब तक 91 फीसदी की वृद्धि से मिल रहा है।
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विस्तार
आयकर सूत्रों के अनुसार प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़ोतरी की मुख्य वजह निजी या वैयक्तिक आयकर और अग्रिम कर में वृद्धि के कारण हुई है। 1 अप्रैल से 3 जुलाई के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 2.49 लाख करोड़ रुपये रहा। जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1.29 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस तरह इसमें 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने का यह बड़ा संकेत माना जा सकता है।
वित्त वर्ष 2021-2022 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है, जबकि कोरोना महामारी के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। चालू वित वर्ष 2021-22 में अब तक रिफंड के पूर्व देश का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रहण 2.86 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1.94 लाख करोड़ रुपये रहा था।
प्रत्यक्ष कर में ये टैक्स शामिल
आयकर विभाग को प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष कर में कंपनी आयकर (CIT), निजी आयकर (PIT), प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) और एडवांस टैक्स शामिल है। बैंकों से अभी और जानकारियां मिलना बाकी हैं, इसलिए आंकड़ा और बढ़ने का अनुमान है।
11.08 लाख करोड़ का लक्ष्य
आयकर विभाग को उम्मीद है कि कर संग्रह के आंकड़े उत्साहवर्धक हैं। उम्मीद है कि बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा तय लक्ष्यों को हासिल कर लिया जाएगा। देश में आर्थिक गतिविधियां बहाल होने से उम्मीद बढ़ी है। मुश्किल दौर के बाद भी 11.08 लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य को पा लिया जाएगा। मौजूदा कर संग्रहण के आंकड़े पहली तिमाही यानी अप्रैल, मई, जून के ही हैं।