May 17, 2024 : 7:56 AM
Breaking News
राज्य

अयोध्या जमीन विवाद : मेयर के भांजे से नजूल की जमीन खरीदकर और फंस गया ट्रस्ट

[ad_1]

सार
राजस्व विभाग के अफसर ने कहा कि फ्रीहोल्ड हुए बगैर बिक्री-नामांतरण अवैध, रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी। बताया जाता है कि दशरथ महल बड़ास्थान के महंत से दीप नारायण ने 20 लाख में खरीदा, फिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेच दिया।

राम मंदिर के लिए चल रहा खोदाई कार्य।
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बगैर वैधानिक जांच-पड़ताल के बिचौलियों के जरिए कराई जा रहीं भूमि-भवन की रजिस्ट्रियां फंसती जा रही हैं। ताजा मामला बेहद गंभीर और चौंकाने वाला है। अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीप नारायण ने दशरथ महल बड़ास्थान के महंत से जो जमीन 20 लाख में खरीदकर ढाई करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेची थी, वह दस्तावेजों में नजूल की है। राजस्व विभाग के आला अधिकारी नियमों का हवाला देते हुए कहते हैं कि बगैर फ्रीहोल्ड कराए इस भूखंड की बिक्री अवैध होगी, तहसील से नामांतरण नहीं हो सकता।

अयोध्या में सदर तहसील के ग्रामसभा कोट रामचंदर, परगना हवेली अवध की गाटा संख्या 135 रकबा 0.126 एकड़ यानि 890 वर्गमीटर भूमि नजूल दर्ज है। इसका स्वामित्व सरकार के पास है। कागजातों में सरकार बहादुर खेवट एक से महंत विश्वनाथ प्रसादाचार्य काश्तकार के रूप में दर्ज हैं। इसी भूखंड को यहां की सबसे बड़ी पीठ दशरथ महल बड़ास्थान के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य चेला स्व. महंत विश्वनाथ प्रसादाचार्य ने 22 फरवरी 2021 को 20 लाख में मेयर के भांजे दीप को बेची थी। दीप ने करीब ढाई माह बाद इसी जमीन को ढाई करोड़ में ट्रस्ट को बेच दिया।

रजिस्ट्रीकर्ता को सच्चाई बतानी चाहिए‘ट्रस्ट की भूमि खरीद-फरोख्त मामलों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। बगैर फ्रीहोल्ड या पर्चा दर्ज हुए नजूल भूमि की रजिस्ट्री करने का अधिकार नहीं है। रजिस्ट्रीकर्ता को सच्चाई बतानी चाहिए।’- अनुज कुमार झा, डीएम अयोध्या

बताया था कि जमीन नजूल की है‘दीप नारायण को मैंने जमीन फरवरी में बेची थी। मुझे कहा गया कि रामलला ट्रस्ट को जमीन की आवश्यकता है। मैंने बता दिया था जमीन नजूल की है, मेरी निजी नहीं है, बल्कि कब्जा है। मुझे 30 लाख देकर दो जगह कब्जा लिखाया था। ट्रस्ट के लोग मुझसे नहीं मिले थे, मेयर मिले थे। ट्रस्ट को ढाई करोड़ में कैसे बेची गई, मैं नहीं जानता। मुझे तो पता था कि यह जमीन मेरी थी ही नहीं, नजूल की है, तो जो मिला वही बहुत था।’- देवेंद्र प्रसादाचार्य, महंत दशरथ महल बड़ा स्थान

‘ट्रस्ट ने जो नजूल भूमि खरीदी है, वह हमारे कब्जे में थी, खेती करते थे। उससे सटी हुई मेरी भूमि धरी है। कोरोना के दौरान एडीएम प्रशासन संतोष कुमार सिंह मौके पर दल-बल के साथ आए और कहा कि भूमि ट्रस्ट को देनी है, खाली कर दीजिए। मैंने इसमें से तीन बिस्वा फकीरे राम मंदिर को नापकर दिया। बाकी सात बिस्वा ट्रस्ट को दे दी। सबको पता था कि यह नजूल है।’- बृजमोहन दास, महंत चौबुर्जी मंदिर

कानूनी दांवपेंच से घिरे मौजा बाग बिजैसी के दो भूखंड की खरीद में घोटाले का आरोप ठंडा भी नहीं पड़ा था कि नजूल भूमि की खरीद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राममंदिर के लिए दान देने वालों को मामले में सरकार और प्रशासनिक मशीनरी की चुप्पी ज्यादा कचोट रही है।

सवाल उठ रहे हैं कि जिस श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में यहां के डीएम अनुज कुमार झा खुद ऑफिसियो ट्रस्टी हों, राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व केंद्र सरकार की ओर से गृह विभाग के विशेष सचिव ज्ञानेश कुमार का बतौर ट्रस्टी प्रतिनिधित्व हो, वहां भूमि खरीद के मामले कैसे बगैर प्रशासनिक सहयोग और जांच के हो रहे हैं। राममंदिर के भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष पीएम मोदी के करीबी व पीएमओ के सीनियर आईएएस रहे नृपेंद्र मिश्र खुद विस्तारीकरण योजना की यहां आकर लगातार समीक्षा करते हैं, फिर भी कैसे बगैर जांचे-परखे भूमि-भवन के सौदों में कानूनी संकट की स्थिति पैदा हो रही है।

मंदिरों की रजिस्ट्री भी सवालों के घेरे मेंजानकार बताते हैं कि राममंदिर ट्रस्ट ने कौशल्या भवन, फरीके भवन, दीन-दीन कुटी आदि मंदिरों की भी प्रबंधकीय अधिकार के जरिए रजिस्ट्री कराई है, जबकि आराध्य के मंदिर को न कोई बेच सकता है न खरीद सकता है। इसका स्वामित्व वहां स्थापित आराध्य का होता है, सिर्फ उनकी पूजा, सेवा, भोग, आरती आदि का अधिकार प्रबंधकीय अधिकार ट्रांसफर करके बदली जा सकती है।

विस्तार

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बगैर वैधानिक जांच-पड़ताल के बिचौलियों के जरिए कराई जा रहीं भूमि-भवन की रजिस्ट्रियां फंसती जा रही हैं। ताजा मामला बेहद गंभीर और चौंकाने वाला है। अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीप नारायण ने दशरथ महल बड़ास्थान के महंत से जो जमीन 20 लाख में खरीदकर ढाई करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेची थी, वह दस्तावेजों में नजूल की है। राजस्व विभाग के आला अधिकारी नियमों का हवाला देते हुए कहते हैं कि बगैर फ्रीहोल्ड कराए इस भूखंड की बिक्री अवैध होगी, तहसील से नामांतरण नहीं हो सकता।

अयोध्या में सदर तहसील के ग्रामसभा कोट रामचंदर, परगना हवेली अवध की गाटा संख्या 135 रकबा 0.126 एकड़ यानि 890 वर्गमीटर भूमि नजूल दर्ज है। इसका स्वामित्व सरकार के पास है। कागजातों में सरकार बहादुर खेवट एक से महंत विश्वनाथ प्रसादाचार्य काश्तकार के रूप में दर्ज हैं। इसी भूखंड को यहां की सबसे बड़ी पीठ दशरथ महल बड़ास्थान के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य चेला स्व. महंत विश्वनाथ प्रसादाचार्य ने 22 फरवरी 2021 को 20 लाख में मेयर के भांजे दीप को बेची थी। दीप ने करीब ढाई माह बाद इसी जमीन को ढाई करोड़ में ट्रस्ट को बेच दिया।

रजिस्ट्रीकर्ता को सच्चाई बतानी चाहिए
‘ट्रस्ट की भूमि खरीद-फरोख्त मामलों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। बगैर फ्रीहोल्ड या पर्चा दर्ज हुए नजूल भूमि की रजिस्ट्री करने का अधिकार नहीं है। रजिस्ट्रीकर्ता को सच्चाई बतानी चाहिए।’
– अनुज कुमार झा, डीएम अयोध्या

बताया था कि जमीन नजूल की है
‘दीप नारायण को मैंने जमीन फरवरी में बेची थी। मुझे कहा गया कि रामलला ट्रस्ट को जमीन की आवश्यकता है। मैंने बता दिया था जमीन नजूल की है, मेरी निजी नहीं है, बल्कि कब्जा है। मुझे 30 लाख देकर दो जगह कब्जा लिखाया था। ट्रस्ट के लोग मुझसे नहीं मिले थे, मेयर मिले थे। ट्रस्ट को ढाई करोड़ में कैसे बेची गई, मैं नहीं जानता। मुझे तो पता था कि यह जमीन मेरी थी ही नहीं, नजूल की है, तो जो मिला वही बहुत था।’
– देवेंद्र प्रसादाचार्य, महंत दशरथ महल बड़ा स्थान

‘ट्रस्ट ने जो नजूल भूमि खरीदी है, वह हमारे कब्जे में थी, खेती करते थे। उससे सटी हुई मेरी भूमि धरी है। कोरोना के दौरान एडीएम प्रशासन संतोष कुमार सिंह मौके पर दल-बल के साथ आए और कहा कि भूमि ट्रस्ट को देनी है, खाली कर दीजिए। मैंने इसमें से तीन बिस्वा फकीरे राम मंदिर को नापकर दिया। बाकी सात बिस्वा ट्रस्ट को दे दी। सबको पता था कि यह नजूल है।’

– बृजमोहन दास, महंत चौबुर्जी मंदिर

जमीन खरीद को लेकर खड़े हो रहे कई सवाल, रजिस्ट्रियों को लेकर घिर रहा राममंदिर ट्रस्ट 

कानूनी दांवपेंच से घिरे मौजा बाग बिजैसी के दो भूखंड की खरीद में घोटाले का आरोप ठंडा भी नहीं पड़ा था कि नजूल भूमि की खरीद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राममंदिर के लिए दान देने वालों को मामले में सरकार और प्रशासनिक मशीनरी की चुप्पी ज्यादा कचोट रही है।

सवाल उठ रहे हैं कि जिस श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में यहां के डीएम अनुज कुमार झा खुद ऑफिसियो ट्रस्टी हों, राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व केंद्र सरकार की ओर से गृह विभाग के विशेष सचिव ज्ञानेश कुमार का बतौर ट्रस्टी प्रतिनिधित्व हो, वहां भूमि खरीद के मामले कैसे बगैर प्रशासनिक सहयोग और जांच के हो रहे हैं। राममंदिर के भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष पीएम मोदी के करीबी व पीएमओ के सीनियर आईएएस रहे नृपेंद्र मिश्र खुद विस्तारीकरण योजना की यहां आकर लगातार समीक्षा करते हैं, फिर भी कैसे बगैर जांचे-परखे भूमि-भवन के सौदों में कानूनी संकट की स्थिति पैदा हो रही है।

मंदिरों की रजिस्ट्री भी सवालों के घेरे मेंजानकार बताते हैं कि राममंदिर ट्रस्ट ने कौशल्या भवन, फरीके भवन, दीन-दीन कुटी आदि मंदिरों की भी प्रबंधकीय अधिकार के जरिए रजिस्ट्री कराई है, जबकि आराध्य के मंदिर को न कोई बेच सकता है न खरीद सकता है। इसका स्वामित्व वहां स्थापित आराध्य का होता है, सिर्फ उनकी पूजा, सेवा, भोग, आरती आदि का अधिकार प्रबंधकीय अधिकार ट्रांसफर करके बदली जा सकती है।

आगे पढ़ें

जमीन खरीद को लेकर खड़े हो रहे कई सवाल, रजिस्ट्रियों को लेकर घिर रहा राममंदिर ट्रस्ट 

[ad_2]

Related posts

यूपी: पांच जिलों के कोविड अस्पतालों ने छिपाया 300 मौतों का सच, हर दिन के साथ गहरा रहा है शक

News Blast

बिहार में अपराध को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश को पत्रकारों ने घेरा, हुई जोरदार बहस

Admin

मुंबई लिव-इन मर्डर: पुलिस ने तोड़ा फ्लैट का दरवाजा तो बिखरे दिखे युवती के टुकड़े,

News Blast

टिप्पणी दें