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अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 12 Jun 2021 03:50 AM IST
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शिवसेना ने कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने पर चिंता जताई है। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस में पतझड़ शुरू है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल को छोड़ दें तो कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
यह देश का राजनीतिक संतुलन बिगड़ने वाली बात है। इसलिए राहुल गांधी को चाहिए कि वह नए सिरे से अपनी टीम का गठन करें। शिवसेना ने शुक्रवार को पार्टी के मुखपत्र में ‘कांग्रेस के समक्ष प्रश्नचिह्न’ शीर्षक के तहत प्रकाशित संपादकीय में लिखा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाले जितिन प्रसाद अब भाजपाई बन गए हैं। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस पार्टी के बचे-खुचे दिग्गज भी अब नाव से धड़ाधड़ कूद रहे हैं।
यह सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है, ऐसा नहीं है। राजस्थान में अब सचिन पायलट ने पार्टी नेतृत्व को विदाई की चेतावनी दे दी है। सचिन और उनके समर्थक पहले से ही नाराज हैं। सचिन पायलट ने साल भर पहले बगावत की थी। उसे किसी तरह शांत किया गया, फिर भी असंतोष आज भी जारी ही है।
पंजाब कांग्रेस में बड़ी फूट पड़ गई है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ विरोधी गुट ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है। उस पर चिंता तब और बढ़ जाती है जब प्रसाद जैसे नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते हैं। इस पतझड़ से बची-खुची कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। इसलिए राहुल गांधी को अपनी नई टीम तैयार कर इस प्रश्नचिह्न का ठोस जवाब देना चाहिए।
जितिन प्रसाद के ब्राह्मण वोटों के सहारे भाजपामुखपत्र में लिखा है कि जितिन प्रसाद के आगमन का भाजपा में जश्न मनाया जा रहा है। इसकी वजह उत्तर प्रदेश में चुनाव का जातीय गणित है। यदि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोटों पर प्रसाद का इतना प्रभाव था तो इन मतों को वे कांग्रेस की ओर क्यों नहीं मोड़ सके? इसका दूसरा अर्थ ये भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थक उच्च जाति के मतदाता अब उनसे दूर जा रहे हैं।
अब तक उत्तर प्रदेश में भाजपा को किसी और गणित व चेहरे की जरूरत नहीं पड़ी थी। सिर्फ नरेंद्र मोदी ही सब कुछ है, यही नीति थी। राम मंदिर या हिंदुत्व के नाम पर वोट मिल रहे थे। अब उत्तर प्रदेश में हालात इतने खराब हो गए हैं कि जितिन प्रसाद के ब्राह्मण वोटों का सहारा लेना पड़ रहा है।
विस्तार
शिवसेना ने कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने पर चिंता जताई है। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस में पतझड़ शुरू है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल को छोड़ दें तो कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
यह देश का राजनीतिक संतुलन बिगड़ने वाली बात है। इसलिए राहुल गांधी को चाहिए कि वह नए सिरे से अपनी टीम का गठन करें। शिवसेना ने शुक्रवार को पार्टी के मुखपत्र में ‘कांग्रेस के समक्ष प्रश्नचिह्न’ शीर्षक के तहत प्रकाशित संपादकीय में लिखा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने वाले जितिन प्रसाद अब भाजपाई बन गए हैं। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस पार्टी के बचे-खुचे दिग्गज भी अब नाव से धड़ाधड़ कूद रहे हैं।
यह सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है, ऐसा नहीं है। राजस्थान में अब सचिन पायलट ने पार्टी नेतृत्व को विदाई की चेतावनी दे दी है। सचिन और उनके समर्थक पहले से ही नाराज हैं। सचिन पायलट ने साल भर पहले बगावत की थी। उसे किसी तरह शांत किया गया, फिर भी असंतोष आज भी जारी ही है।
पंजाब कांग्रेस में बड़ी फूट पड़ गई है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ विरोधी गुट ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है। उस पर चिंता तब और बढ़ जाती है जब प्रसाद जैसे नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते हैं। इस पतझड़ से बची-खुची कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। इसलिए राहुल गांधी को अपनी नई टीम तैयार कर इस प्रश्नचिह्न का ठोस जवाब देना चाहिए।
जितिन प्रसाद के ब्राह्मण वोटों के सहारे भाजपा
मुखपत्र में लिखा है कि जितिन प्रसाद के आगमन का भाजपा में जश्न मनाया जा रहा है। इसकी वजह उत्तर प्रदेश में चुनाव का जातीय गणित है। यदि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोटों पर प्रसाद का इतना प्रभाव था तो इन मतों को वे कांग्रेस की ओर क्यों नहीं मोड़ सके? इसका दूसरा अर्थ ये भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थक उच्च जाति के मतदाता अब उनसे दूर जा रहे हैं।
अब तक उत्तर प्रदेश में भाजपा को किसी और गणित व चेहरे की जरूरत नहीं पड़ी थी। सिर्फ नरेंद्र मोदी ही सब कुछ है, यही नीति थी। राम मंदिर या हिंदुत्व के नाम पर वोट मिल रहे थे। अब उत्तर प्रदेश में हालात इतने खराब हो गए हैं कि जितिन प्रसाद के ब्राह्मण वोटों का सहारा लेना पड़ रहा है।
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