May 17, 2024 : 4:05 PM
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मृत कर्मचारी की पत्नी हत्यारिन तो भी फैमिली पेंशन की हकदार : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : amar ujala

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी कर्मचारी की विधवा यदि हत्यारिन है तो भी उसे फैमिली पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता। मामला अंबाला निवासी बलजीत कौर की फैमिली पेंशन रोकने के मामले से जुड़ा हुआ है।

बलजीत कौर के पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे और उनकी 2008 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद 2009 में उनकी पत्नी पर हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था। उनकी पत्नी बलजिंदर कौर को 2011 में दोषी करार दिया गया था। 2011 में उसे दोषी करार देने के बाद हरियाणा सरकार ने उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ रोक दिए थे। 

नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि तक वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं। सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने के बाद पत्नी फैमिली पेंशन की हकदार होती है। हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन से इनकार कर दिया था कि पत्नी का आचरण सही नहीं है और वह दोषी करार दी जा चुकी है। 

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि यह आदेश नियमों के विपरीत है। यदि कर्मचारी का आचरण सही नहीं है या फिर उसे गंभीर अपराध में दंड मिला है तो उसे सजा के तौर पर पेंशन या अन्य लाभ से महरूम रखा जा सकता है। यदि पत्नी का आचरण सही नहीं है या फिर वह गंभीर मामले में दोषी करार दी जा चुकी है तो भी वह फैमिली पेंशन व वित्तीय लाभ की हकदार है। 

हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए गलती कीहाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए गलती की है। यदि कर्मचारी की हत्या उसकी पत्नी करती है तभी उसे वित्तीय लाभ से वंचित रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सोने की अंडे देने वाली मुर्गी को कोई नहीं काटता। कोई पत्नी केवल वित्तीय लाभ के लिए कर्मचारी की हत्या न कर दे इसलिए नियम बनाया गया था। 

फैमिली पेंशन एक कल्याणकारी नियम है जिसे  कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है। ऐसे में पत्नी किसी अपराधिक मामले की दोषी होकर भी फैमिली पेंशन की हकदार है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को दो माह के भीतर याचिकाकर्ता को लंबित वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया है। 

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी कर्मचारी की विधवा यदि हत्यारिन है तो भी उसे फैमिली पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता। मामला अंबाला निवासी बलजीत कौर की फैमिली पेंशन रोकने के मामले से जुड़ा हुआ है।

बलजीत कौर के पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे और उनकी 2008 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद 2009 में उनकी पत्नी पर हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था। उनकी पत्नी बलजिंदर कौर को 2011 में दोषी करार दिया गया था। 2011 में उसे दोषी करार देने के बाद हरियाणा सरकार ने उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ रोक दिए थे। 

नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि तक वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं। सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने के बाद पत्नी फैमिली पेंशन की हकदार होती है। हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन से इनकार कर दिया था कि पत्नी का आचरण सही नहीं है और वह दोषी करार दी जा चुकी है। 

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि यह आदेश नियमों के विपरीत है। यदि कर्मचारी का आचरण सही नहीं है या फिर उसे गंभीर अपराध में दंड मिला है तो उसे सजा के तौर पर पेंशन या अन्य लाभ से महरूम रखा जा सकता है। यदि पत्नी का आचरण सही नहीं है या फिर वह गंभीर मामले में दोषी करार दी जा चुकी है तो भी वह फैमिली पेंशन व वित्तीय लाभ की हकदार है। 

हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए गलती की
हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार ने आदेश जारी करते हुए गलती की है। यदि कर्मचारी की हत्या उसकी पत्नी करती है तभी उसे वित्तीय लाभ से वंचित रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सोने की अंडे देने वाली मुर्गी को कोई नहीं काटता। कोई पत्नी केवल वित्तीय लाभ के लिए कर्मचारी की हत्या न कर दे इसलिए नियम बनाया गया था। 

फैमिली पेंशन एक कल्याणकारी नियम है जिसे  कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है। ऐसे में पत्नी किसी अपराधिक मामले की दोषी होकर भी फैमिली पेंशन की हकदार है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को दो माह के भीतर याचिकाकर्ता को लंबित वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया है। 

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