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नई दिल्ली18 घंटे पहले
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गाड़ी की समय पर सर्विसिंग कराने के साथ उसके टायरों की तरफ ध्यान देना जरूरी है। पता होना चाहिए कि गाड़ी में जो टायर लगे हैं वह किस स्थिति में हैं। गाड़ी के टायरों पर ही उसका कंट्रोल, माइलेज, बैलेंस और हैंडलिंग जैसी बातें निर्भर होती हैं।सरकार भी अब इस पर ध्यान दे रही है। दरअसल सरकार टायर को लेकर नए कानून ला रही है, जो 1 अक्टूबर 2021 से लागू होगी।
ब्रेकिंग ग्रिप वाले टायर तैयार करना
टायर कंपनी को टायर इस तरह डिजाइन करने होंगे, जिससे गीले सड़क में भी टायर की पकड़ बनी रहे। उनसे फ्यूल के कम यूज होने में मदद मिले और ब्रेकिंग ग्रिप की परफॉर्मेंस भी बढ़े। वहीं गाड़ियों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण का भी ध्यान रखा जाए। ये 2016 में यूरोप में लाए गए कानून की तरह हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो नियम अनुसार बनते हैं टायर
भारत में इस समय अपोलो टायर्स सीईएटी टायर ,जेके टायर, टीवीएस टायर जैसी कंपनियां टायर बनाती है। भारत में बेचे जाने वाले टायरों की क्वालिटी के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) नियम हैं। हालांकि, यह ग्राहकों को ऐसी जानकारी नहीं देता है जो उन्हें टायर खरीदने में मदद करें। इसलिए सरकार रेटिंग सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है।
इस रेटिंग से यह तय किया जाएगा कि टायर अधिक भरोसेमंद बन सके। भारत अब ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट हब बनता जा रहा है। जिससे फ्यूचर में ऐसे नियमों की जरूरत पड़ेगी। जानकारों के अनुसार नए नियमों को लागू करने में कंपनियों को परेशानी नहीं होगी।
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