May 12, 2024 : 9:52 PM
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In UP, the brother of Basic Education Minister, Savarna Garib Quota, became Professor of Psychology, extended the tenure of the Vice Chancellor a day earlier. | यूपी में बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई बने सवर्ण गरीब कोटे से मनोविज्ञान के प्रोफेसर, एक दिन पहले बढ़ाया कुलपति का कार्यकाल

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लखनऊ3 मिनट पहलेलेखक: गौरव पांडेय

कॉपी लिंककुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल इसी 20 मई को नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक सरकार ने बढ़ा दिया थामंत्री सतीश द्विवेदी ने पंचायत चुनाव में जान गंवाने वाले अध्यापकों को लेकर सरकार के नियमावली बदलने से पहले ही नियुक्ति पत्र बांटना शुरू किया

यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई राहुल सवर्ण गरीब कोटे से मनोविज्ञान के प्रोफेसर बन गए हैं। जिस विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति हुई है, वहां के कुलपति का कार्यकाल एक दिन पहले ही बढ़ाया गया था।

मामला, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु का है। यहां मनोविज्ञान विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। इनमें से एक ओबीसी पद पर डॉ. हरेंद्र शर्मा और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) कैटेगरी में डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी की नियुक्ति हुई है। डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई हैं।

डॉ. अरुण द्विवेदी को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने शुक्रवार को नियुक्ति पत्र दिया है। कुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 21 मई को पूरा हो रहा था, लेकिन सरकार ने एक दिन पहले 20 मई को उनका कार्यकाल नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक बढ़ा दिया है। अब ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि कुलपति का कार्यकाल इसलिए तो नहीं बढ़ाया गया, क्योंकि मंत्री के भाई की नियुक्ति होनी थी।

इस बारे में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सिर्फ 2 नहीं 7 नियुक्तियां हुई हैं। मनोविज्ञान पद पर एक अरुण द्विवेदी हैं, दूसरे शायद हरेंद्र शर्मा हैं। अरुण, मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई हैं? इस सवाल पर कुलपति कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम है। अरुण को नियुक्ति पत्र उनके आवेदन के आधार पर दिया गया है। जिसमें उनके पिता का जिक्र है, भाई का कोई जिक्र नहीं है। और न ही भाई ने कभी मुझसे कोई प्रत्यक्ष या अपरोक्ष रूप से सिफारिश की।

अरुण कहां पढ़ाते थे? इस सवाल पर कुलपति कहते हैं कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है, वह विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाते थे। मंत्री भी अपने भाई को ज्वॉइन कराने आए थे? इस पर कुलपति कहते हैं कि मंत्री विश्वविद्यालय नहीं आए थे, ये मैं जानता हूं।

सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के पीआरओ अविनाश प्रताप से इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी वह गोरखपुर में हैं, इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। अरुण द्विवेदी पहले कहीं पढ़ाते थे, तो अविनाश कहते हैं कि वह विश्वविद्यालय में तो नहीं पढ़ाते थे, क्योंकि यहां अभी तक मनोविज्ञान का कोई टीचर ही नहीं था। पहली बार भर्ती हुई है।

बताया जाता है कि डॉ. अरुण पहले राजस्थान के बनस्थली विद्यापीठ में पढ़ाते थे, जब सतीश द्विवेदी मंत्री बने तो वे नौकरी छोड़कर यूपी आ गए। यही नहीं, अरुण की पत्नी बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और इनके पास घर और जमीन भी है, हालांकि सभी भाई अभी संयुक्त परिवार में ही रहते हैं।

कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे और उनका कार्यकाल बढ़ाने का जारी हुआ शासनादेश।

कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे और उनका कार्यकाल बढ़ाने का जारी हुआ शासनादेश।

सरकार ने नियमावली बदलने का आदेश दिया और मंत्री नियुक्ति पत्र बांटने लगे

यही नहीं, बेसिक शिक्षामंत्री सतीश द्विवेदी ने हाल ही में सरकार की ओर से एक पत्र जारी कर कहा था कि राज्य में पंचायत चुनाव में सिर्फ 3 प्राथमिक अध्यापकों की ड्यूटी करते हुए जान गई है। हालांकि बाद में जब विरोध बढ़ा तो योगी सरकार ने नियमावली बदलने का आदेश देते हुए, सभी मृतक परिवारों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि परिवर्तित लिस्ट जारी की जाए, ताकि सभी को न्याय मिल सके।

लेकिन मंत्री सतीश द्विवेदी नियमावली बदलने और नई लिस्ट जारी करने से पहले ही शुक्रवार को एक मृतक आश्रित को नियुक्ति पत्र देने संतकबीर नगर पहुंच गए। यहां उन्होंने सिद्धार्थनगर के रहने वाले दयाशंकर तिवारी की पत्नी रीना तिवारी को नियुक्ति पत्र सौंपा। लेकिन उन्होंने जिस मृतक अध्यापक के आश्रित को नियुक्ति पत्र दिया, उनकी चुनाव में ड्यूटी भी नहीं लगी थी।

जिस मृतक टीचर की पत्नी को नियुक्ति पत्र दिया, उसकी पंचायत चुनाव में ड्यूटी भी नहीं लगी थी

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राधे रमन तिवारी बताते हैं कि संतकबीर नगर में 12 शिक्षकों की मौत हुई, ऐसे में मंत्री ने सिर्फ एक आश्रित को ही क्यों नियुक्ति पत्र दिया। पूरे जिले के सभी आश्रितों को पत्र बांटना चाहिए था। जिस मृतक दयाशंकर के पत्नी को नियुक्ति पत्र दिया गया है, उनका परिवार मंत्री का बहुत करीबी है।

राधे रमन का कहना है कि दयाशंकर की तो पंचायत चुनाव में ड्यूटी भी नहीं लगी थी। उनका हाल ही में जौनपुर से यहां ट्रांसफर हुआ था, इसलिए उन्हें स्कूल भी नहीं मिल पाया था। वह बीएसए ऑफिस में ही अटेंडेंस लगाते थे।

वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम होने पर ही EWS प्रमाण पत्र मिलता है

EWS प्रमाण पत्र सामान्य वर्ग के उन लोगों को दिया जा रहा है, जिनकी फैमिली इनकम 8 लाख रुपए (वार्षिक) से कम है। इसके साथ ही आवदेनकर्ता के पास 5 एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए एवं उसका घर 1000 स्क्वायर फीट से कम होना चाहिए। अगर आप शहरी निकाय क्षेत्र में रहते हैं, तो आपके पास 100 वर्ग गज से कम का आवासीय प्लॉट होना चाहिए।

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