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‘आटा-साटा’ से घातक MP का ये कुप्रथा:बचपन में शादी, बालिग होने पर लड़की इनकार करती है तो भरना पड़ता है मोटा हर्जाना; समाज की पंचायत लड़केवालों को घरों में आग लगाने तक की इजाजत दे देती है

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गुनाएक घंटा पहलेलेखक: आशीष रघुवंशी

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फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

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राजस्थान के नागौर में लड़की की खुदकुशी के बाद ‘आटा-साटा’ पर बहस छिड़ी है। पर, मध्य प्रदेश के मालवांचल में इससे भी ज्यादा खतरनाक कुप्रथा है ‘झगड़ा’। प्रथा में लड़की और उसके परिवार को अपमान तो सहना पड़ता ही है, लड़के वालों को भी मोटी रकम चुकाना पड़ती है। समाज की पंचायत रकम वसूली के लिए लड़केवालों को आगजनी तक की छूट दे देती है। ‘झगड़ा’ को समझने से पहले राजस्थान की ‘आटा-साटा’ कुप्रथा को समझते हैं।

राजस्थान के नागौर में 21 साल की लड़की ने 15 दिन पहले खुदकुशी कर ली थी। वजह थी- ‘आटा-साटा’ कुप्रथा। रेगिस्तानी इलाकों में लड़कियों की घटती संख्या ने शादी की इस नई कुप्रथा को जन्म दिया। आटा-साटा प्रथा के तहत, दुल्हन के परिवारवाले अपनी बेटी की शादी तब तक नहीं करवाते हैं, जब तक दूल्हे के परिवार की कोई लड़की उनके परिवार के सदस्य से शादी के बंधन में न बंध जाए। इस प्रथा में लड़की की उम्र का ध्यान नहीं रखा जाता। आसान भाषा में इसे इस तरीके से समझ सकते हैं कि दूल्हे की बहन को अपनी होने वाली भाभी के परिवार के किसी सदस्य के साथ शादी करना होती है। ऐसे लड़के, जिनकी शादी नहीं हो रही होती है, उनकी शादी ‘आटा-साटा’ से करा दी जाती है। साफ कहें तो बहू के बदले बेटी का सौदा कर दिया जाता है।

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मध्यप्रदेश की ‘झगड़ा’ कुप्रथा को समझिए
मध्य प्रदेश के मालवांचल में ‘झगड़ा’ की मूल जड़ बाल विवाह है। बचपन में ही लड़की की शादी कर दी जाती है। बालिग होने पर बच्चियों को ससुराल भेजा जाता है। अब अगर ऐसे में लड़की ससुराल जाने से इनकार कर दे या लड़का ही लड़की को रखने से मना कर दे तो दोनों ही स्थिति में आफत लड़कीवालों पर टूटती है। रिश्ता खत्म करने के बदले लड़केवाले समाज की पंचायत बुलाकर मोटी रकम मांगते हैं। लड़कीवालों पर दबाव बनाने के लिए लड़केवाले लड़की के गांव में फसलों और घरों में आग तक लगा देते हैं। ये छूट उन्हें समाज की पंचायत ही देती है। इतना ही नहीं, गांव के जिन लोगों का नुकसान होता है, वो भी लड़केवालों की पैरवी करते हैं और अपने नुकसान की भरपाई लड़कीवालों से ही मांगते हैं। अब ऐसे में एक और कुप्रथा जन्म लेती है – ‘नातरा’। इसे ‘झगड़ा’ का दूसरा पहलू यानी एक ही सिक्के के दो पहलू भी कह सकते हैं।

यही झगड़ा जन्म देता है दूसरी कुप्रथा ‘नातरा’ को
ज्यादातर मामलों में लड़कीवाले मोटा हर्जाना भरने की हैसियत नहीं रखते। अब लड़की की शादी ‘नातरा’ के तहत किसी और से करा दी जाती है। शर्त यह होती है कि होने वाला पति लड़की के पहले पति को ‘झगड़ा’ में तय हुआ हर्जाना भर देगा। साफ कहें तो परिवार मजबूरी में बेटी का सौदा कर देते हैं।

‘झगड़ा’ और ‘नातरा’ की वीभत्सता का अंदाजा जिलों के कोर्ट में लंबित आगजनी के मामलों की संख्या से ही लगाया जा सकता है। मालवांचल में यूं तो ‘झगड़ा’ और ‘नातरा’ के ऐसे तमाम मामले हैं, जिन्होंने लड़कियों के जीवन को नर्क बना डाला। पढ़िए वो दो मामले, जो मध्यप्रदेश में शर्म की वजह बने।

केस-1: 18 दिन लड़की से रेप करते रहे
2016 में गुना जिले में नातरा प्रथा के तहत लड़की को बेचने का मामला सामने आ चुका है। मृगवास के गोमुख गांव की लड़की को जब पिता और मामा ने बेचने की कोशिश की तो वह भागकर इंदौर चली गई। वहां से वह राजस्थान के कोटा में रहकर मेहनत-मजदूरी करने लगी। यहां घीसालाल भील से शादी कर ली। दोनों की एक संतान हुई। जानकारी लड़की के पिता और भाई को लगी तो वह उसे लेने पहुंचे गए। लड़की के इंकार करने पर उन्होंने उसके पति से डेढ़ लाख रुपए लिए और वापस चले आए।

कुछ दिन बाद पिता, मामा और भाई लड़की को जबरदस्ती घर ले आए। यहां आवलहैड़ा गांव में सुल्तान नाम के व्यक्ति से ढाई लाख रुपए में उसका सौदा कर दिया। आरोपी ने 18 दिन तक लड़की से ज्यादती की। किसी तरह उसके चंगुल से भागकर लड़की वापस पति के पास पहुंची।

केस-2: जब ससुरालवालों ने बहू के गांव में की आगजनी
दूसरा मामला राजगढ़ जिले का है। खिलचीपुर के बघेला गांव की रामकलां बाई की शादी बचपन में ही पिता प्रेमसिह सौधिया ने कमल सिंह से तय कर दी। कमल कांगनीखेडा का रहने वाला है। बालिग होने पर रामकलां जब ससुराल पहुंची तो ससुरालवालों ने उसकी पढ़ाई-लिखाई बंद करवा दी। पति शराबी था। दोबारा मायके लौटी रामकलां ने ससुराल का हाल बताते हुए वापस जाने से इनकार कर दिया।

रामकलां के ससुरालवालों ने जनवरी 2019 में बघेला में आगजनी की। ‘झगड़ा’ में रकम की मांग करते हुए लगातार नुकसान करने लगे। समाज की पंचायत ने रामकलां के परिवावालों को 9 लाख रुपए ‘झगड़ा’ देने का फैसला सुनाया। लड़कीवालों की हैसियत न होने पर लड़की का ‘नातरा’ करवाने का दबाव बनाया गया। इस स्थिति में दूसरा पति भी रकम भर सकता है। खिलचीपुर में रिपोर्ट हुई। ससुरवालों को कोर्ट में पेश किया गया।

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