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Hindi NewsLocalDelhi ncrMass Department Forecast Heat For 3 Months, Day Temperature Will Be Higher By 1 Degree Than Last Summer
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नई दिल्ली/राजधानी हरियाणा2 घंटे पहले
कॉपी लिंकपांच साल से यही ट्रेंड- जैसा बताया गया, वैसी गर्मी पड़ी
मौसम विभाग ने सोमवार को 3 महीनों मार्च, अप्रैल और मई के लिए गर्मी का पूर्वानुमान जारी किया है। विभाग ने कहा है कि इस साल दक्षिण और मध्य भारत काे छाेड़कर उत्तर भारत सहित अधिकतर हिस्साें में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। यह एक डिग्री तक अधिक रह सकता है। इसका प्रमाण मार्च के पहले दिन ही दिख गया।
उत्तर और मध्य भारत में 1 मार्च का पारा सामान्य से 3 से 6 डिग्री अधिक रहा। मौसम विभाग 5 साल से ग्रीष्मकालीन पूर्वानुमान जारी कर रहा है। हर साल विभाग ने बताया है कि गर्मी अधिक रहेगी और उसकी भविष्यवाणी सही साबित हुई है। यह पूर्वानुमान का छठा साल है। मौसम विभाग के चंडीगढ़ सेंटर के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि हरियाणा में मार्च से मई तक पारा सामान्य से ज्यादा रहेगा।
पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ में तापमान बढ़ेगा
उत्तर, पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर हिस्साें, मध्य भारत के पूर्वी-पश्चिमी भागों के कुछ हिस्सों, उत्तरी प्रायद्वीप के तटीय हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। अधिकांश समय लू चल सकती है।दक्षिण, दक्षिण के समीपवर्ती मध्य भारत के हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना।पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओडिशा में सामान्य से ज्यादा पारा रहने की उम्मीद है।कोंकण और गोवा इलाके में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।पिछले पांच सालों में मौसम विभाग के पूर्वानुमान की सटीकता 90% तक रही है।
मौसमी घटनाओं से 50 साल में 1.4 लाख मौतें
लू, बिजली गिरने जैसी घटनाएं बढ़ने से देश में 50 सालों में 1.4 लाख लोगों की मौतें हुई हैं। मौसम विज्ञानियों के शोध में यह बात सामने आई है। 1970 से 2019 के बीच 7063 एक्स्ट्रीम वेदर इवेंट्स हुईं।
भारत में सूखे का संकट तेजी से बढ़ सकता है: आईआईटी गांधीनगर
दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन से भारत में आने वाले वर्षों में सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी। इसका कृषि उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा। सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर के अनुसंधानकर्ताओं ने यह दावा किया है। अध्ययन एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे में जलवायु परिवर्तन की भूमिका की पड़ताल की गई है। इसके अनुसार, परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन हफ्ते में बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। इससे फसल पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
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