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शरद पवार, उद्धव ठाकरे और बाला साहब थोराट
– फोटो : Amar Ujala (File)
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महाराष्ट्र में हो रहे ग्राम पंचायत चुनाव में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास आघाड़ी में बिखराव हो गया है, जिससे तीनों दल आमने-सामने आ गए हैं। इससे मिनी विधानसभा चुनाव कहे जाने वाले ग्राम पंचायत चुनाव में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद दिखाई देने लगी है। लेकिन सत्ताधारी दलों के नेता भी अपने तरीके से रणनीति बनाकर अधिकतम ग्राम पंचायतों में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में हाल ही संपन्न हुए विधान परिषद चुनावों में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी में आपस में गजब की सहमति बन गई थी, जिसके कारण भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। तीनों पार्टियों की जुगलबंदी के चलते परंपरागत नागपुर और पुणे सीट भी भाजपा हार गई। भाजपा को यह आशंका थी कि यदि तीनों दल ग्राम पंचायत चुनाव में भी मिलकर लड़ते हैं तो यहां भी बाजी पलट सकती है।
लेकिन अब यह साफ हो गया है कि उद्धव ठाकरे की सरकार महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवेसना-कांग्रेस-एनसीपी एकसाथ मिलकर ग्राम पंचायत चुनाव नहीं लड़ेंगे। वैसे इस मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना के नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक कहते हैं कि ग्राम पंचायत चुनाव पार्टी के चुनाव निशान पर नहीं लड़े जाते। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक ही पार्टी के कार्यकर्ता ग्राम पंचायत चुनाव में आमने-सामने होते हैं। गांव वाले अपने-अपने पैनल बनाकर चुनाव लड़ते हैं। गांव में विवाद कम हो यह प्रयास रहता है। उत्तर प्रदेश की तरह महाराष्ट्र के ग्रामीण भाग में वह कटुता नहीं है।
वहीं, महाराष्ट्र भाजपा प्रवक्ता और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की सलाहकार श्वेता शालिनी कहती हैं बीते जनवरी महीने में नांदेड़ में हुए पंचायत समिति के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण के क्षेत्र में भाजपा ने जीत हासिल की थी। उसी तरीके से बिना किसी रणनीति के हम ग्राम पंचायत चुनाव में अच्छी सफलता हासिल करेंगे। क्योंकि बहुत सारे स्थानों पर तीनों दल के कार्यकर्ता आमने-सामने हैं।
राज्य में 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों में हो रहे हैं चुनाव
राज्य चुनाव आयोग ने सूबे में 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों के चुनाव की घोषणा की है। आगामी 15 जनवरी को पंचायत चुनावों के लिए मतदान होगा। जबकि 18 जनवरी को मतगणना की जाएगी। हालांकि ये चुनाव 31 मार्च 2020 से पहले सम्पन्न कराए जाने थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते चुनाव नहीं कराया जा सका था। इन ग्राम पंचायतों में सरकार ने प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया था।
भाजपा ने शिकायत की थी कि पैसे लेकर कार्यकर्ताओं को ग्राम पंचायत का प्रशासक नियुक्त किया जा रहा है। वहीं, समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी प्रशासक नियुक्त करने के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी थी। यह नियुक्ति विवादों में आने के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया था।
सार
महाराष्ट्र में हाल ही संपन्न हुए विधान परिषद चुनावों में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी में आपस में गजब की सहमति बन गई थी, जिसके चलते भाजपा परंपरागत नागपुर और पुणे सीट भी हार गई…
विस्तार
महाराष्ट्र में हो रहे ग्राम पंचायत चुनाव में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास आघाड़ी में बिखराव हो गया है, जिससे तीनों दल आमने-सामने आ गए हैं। इससे मिनी विधानसभा चुनाव कहे जाने वाले ग्राम पंचायत चुनाव में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद दिखाई देने लगी है। लेकिन सत्ताधारी दलों के नेता भी अपने तरीके से रणनीति बनाकर अधिकतम ग्राम पंचायतों में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में हाल ही संपन्न हुए विधान परिषद चुनावों में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी में आपस में गजब की सहमति बन गई थी, जिसके कारण भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। तीनों पार्टियों की जुगलबंदी के चलते परंपरागत नागपुर और पुणे सीट भी भाजपा हार गई। भाजपा को यह आशंका थी कि यदि तीनों दल ग्राम पंचायत चुनाव में भी मिलकर लड़ते हैं तो यहां भी बाजी पलट सकती है।
लेकिन अब यह साफ हो गया है कि उद्धव ठाकरे की सरकार महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवेसना-कांग्रेस-एनसीपी एकसाथ मिलकर ग्राम पंचायत चुनाव नहीं लड़ेंगे। वैसे इस मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना के नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक कहते हैं कि ग्राम पंचायत चुनाव पार्टी के चुनाव निशान पर नहीं लड़े जाते। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक ही पार्टी के कार्यकर्ता ग्राम पंचायत चुनाव में आमने-सामने होते हैं। गांव वाले अपने-अपने पैनल बनाकर चुनाव लड़ते हैं। गांव में विवाद कम हो यह प्रयास रहता है। उत्तर प्रदेश की तरह महाराष्ट्र के ग्रामीण भाग में वह कटुता नहीं है।
वहीं, महाराष्ट्र भाजपा प्रवक्ता और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की सलाहकार श्वेता शालिनी कहती हैं बीते जनवरी महीने में नांदेड़ में हुए पंचायत समिति के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण के क्षेत्र में भाजपा ने जीत हासिल की थी। उसी तरीके से बिना किसी रणनीति के हम ग्राम पंचायत चुनाव में अच्छी सफलता हासिल करेंगे। क्योंकि बहुत सारे स्थानों पर तीनों दल के कार्यकर्ता आमने-सामने हैं।
राज्य में 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों में हो रहे हैं चुनाव
राज्य चुनाव आयोग ने सूबे में 14 हजार 234 ग्राम पंचायतों के चुनाव की घोषणा की है। आगामी 15 जनवरी को पंचायत चुनावों के लिए मतदान होगा। जबकि 18 जनवरी को मतगणना की जाएगी। हालांकि ये चुनाव 31 मार्च 2020 से पहले सम्पन्न कराए जाने थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते चुनाव नहीं कराया जा सका था। इन ग्राम पंचायतों में सरकार ने प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया था।
भाजपा ने शिकायत की थी कि पैसे लेकर कार्यकर्ताओं को ग्राम पंचायत का प्रशासक नियुक्त किया जा रहा है। वहीं, समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी प्रशासक नियुक्त करने के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी थी। यह नियुक्ति विवादों में आने के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। तब कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया था।
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