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वैश्विक आर्थिक सुस्ती बनी रही तो चालू कारोबारी साल में 10-12 फीसदी घट सकता है देश का निर्यात : निर्यातक संघ

  • फियो ने कहा, महामारी का खतरा यदि बढ़ा, तो देश का निर्यात 20 फीसदी तक गिर सकता है
  • देश का निर्यात अप्रैल में रिकॉर्ड 60 फीसदी और मई में 36.47 फीसदी गिर गया था

दैनिक भास्कर

Jun 25, 2020, 08:20 PM IST

नई दिल्ली. देश का निर्यात चालू काराबारी साल (2020-21) में 10-12 फीसदी घट सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) ने गुरुवार को कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण पूरी दुनिया में मांग घट गई है और यदि यह स्थिति आगे भी बनी रही, तो निर्यात में गिरावट दर्ज की जाएगी। फियो के प्रेसिडेंट एसके सर्राफ ने कहा कि कई चीन विरोधी माहौल वाले देशों से निर्यातकों को काफी इनक्वायरी मिल रही है। लेकिन रत्न व आभूषण, अपैरल, फुटवियर, हैंडीक्राफ्ट्स और कार्पेट्स जैसे सेक्टर्स में मांग अभी भी कम है। ये सेक्टर बड़े पैमाने पर रोजगार देते हैं।

अप्रैल में देश के निर्यात में रिकॉर्ड 60 फीसदी गिरावट आई थी

सर्राफ ने कहा कि पहले हमने निर्यात में 20 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था। लेकिन दो दिन पहले विश्व व्यापार संघ (डब्ल्यूटीओ) ने दूसरी तिमाही में वैश्विक व्यापार में 13 फीसदी गिरावट रहने का अनुमान दिया। इसके बाद हम उम्मीद करते हैं कि चालू कारोबारी साल में देश का निर्यातत 10-12 फीसदी घट सकता है। महामारी का दूसरा दौर यदि आया, तो निर्यात में गिरावट का स्तर 20 फीसदी तक जा सकता है। अप्रैल में देश के निर्यात में रिकॉर्ड 60 फीसदी गिरावट आई थी। मई में इसमें 36.47 फीसदी गिरावट रही।

ईयू, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता करे सरकार

सराफ ने सलाह दी कि सरकार को यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ जल्द-से-जल्द मुक्त व्यापार समझौता करना चाहिए। देश हित को सुरक्षित रखते हुए सरकार को रीजनल कंप्रीहेंसिव पार्टनरशिप एग्रीमेंट (आरसीईपी) के साथ फिर से वार्ता शुरू करना चाहिए। देश के कई मुद्दों का समाधान नहीं  होने पर सरकार ने आरसीईपी में नहीं जुड़ने का फैसला किया है।

चीन विरोधी लहर वाले देशों में निर्यात का बड़ा अवसर

सर्राफ ने कहा कि निर्यातकों को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मांग बढ़ाने वाले देशों पर ध्यान देना चाहिए और ईयू, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे चीन विरोधी लहर वाले देशों में अवसर तलाशने चाहिए। हमें जापान जैसे देशों से काफी इनक्वायरी मिल रही है। शुल्क बढ़ाकर आयात घटाया जा सकता है, लेकिन बेहतर तरीका यह होगा कि ऐसे माहौल बनाए जाएं, जिनमें भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स की लागत घटे।

वित्तीय प्रोत्साहनों के जरिये घरेलू निवेश और एफडीआई को बढ़ावा दे सरकार

चीन से आयात घटाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसके लिए लंबी और छोटी अवधि की योजना पर काम करने होंगे। भारत ने मोबाइल सेक्टर में चीन पर से आयात निर्भरता घटा ली है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्युनिकेशंस, फॉर्मुलेशन ऑफ स्पेशलिटी केमिकल्स आदि सेक्टर्स में भी दोहराया जा सकता है। वित्तीय प्रोत्साहनों के जरिये हमें भारतीय निवेश और एफडीआई को बढ़ावा देना होगा।

विश्व व्यापार के नियमों के तहत चीन से आयात रोक सकती है सरकार

क्या भारत विश्व व्यापार नियमों के तहत चीन से आयात पर रोक लगा सकता  है? इस सवाल के जवाब में फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि देश हित की रक्षा के लिए सरकार ऐसा कर सकती है। कारोबारी साल 2019-20 में भारत का निर्यात 4.78 फीसदी गिरकर 314.31 अरब डॉलर का रहा।

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