महिलाओं की माहवारी में काम आने वाले मेन्स्ट्रुअल कप का प्रोटोटाइप पहली बार 1930 के दशक में सामने आया. इसके पेटेंट का पहला आवेदन 1937 में अमेरिकी अभिनेत्री लियोना चामर्स ने किया था.
पिछले कुछ सालों में इसके ज़्यादा आधुनिक और उन्नत संस्करण सामने आए हैं.
सिलिकॉन, रबर या लेटेक्स से बने छोटे कप के आकार की ये वस्तु महिलाओं की ज़िंदगी में धीरे-धीरे ही सही लेकिन यह अब सैनिटरी पैड की जगह लेने लगा है. इसका एक कारण ये भी है कि सैनिटरी पैड केवल एक ही बार उपयोग में आता है, जबकि मेंस्ट्रुअल कपप ज़्यादा व्यावहारिक और टिकाऊ होता है.
यह कप लचीले उत्पादों से बना होता है, लिहाजा महिलाओं के जननांग के भीतर यह कोई तकलीफ़ पैदा नहीं करता.दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील के साओ पाउलो के एक अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ अलेक्जेंड्रे पुपो इस बारे में अधिक जानकारी देती हैं.
उनके अनुसार, “इसका उपयोग करने वाली महिलाओं का कहना है कि इसका लाभ यह भी है कि इसका पता बिकनी या लेगिंग जैसे कपड़ों में नहीं चलता. वहीं यह टैंपोन की तरह फ़ालतू तत्व भी पैदा नहीं करता.”
यह कप कई साइज़ों में उपलब्ध हैं. इसकी लंबाई 4 से 6 सेमी के बीच होती है. वहीं टॉप पर इसका व्यास 3 से 5 सेमी के बीच ता है. बड़े आकार के कप की ज़रूरत उन महिलाओं को होती है, जिन्हें ज़्यादा उत्सर्जन होता है.
स्वच्छता और सुरक्षित उपयोग के मामलों में डॉक्टरों के दिशानिर्देश मानते हुए यह उत्पाद पूरी तरह सुरक्षित है और 10 साल तक यह चल सकता है.
इस लेख में हम मेन्स्ट्रुअल कप से जुड़े पांच बड़े सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं
मेंस्ट्रुअल कप को योनि में कैसे डालना चाहिए?
महिलाओं के जननांग में इस कप को डालने से पहले इसे दो या तीन हिस्सों में मोड़ना चाहिए, ताकि इसे योनि में डाला जा सके. इसे कई तरीक़े से मोड़ा जा सकता है, ताकि यह आरामदेह मालूम पड़े.
दक्षिणी ब्राजील के पोर्टो एलेग्रे के एक अस्पताल से जुड़ी स्त्री रोग विशेषज्ञ गैब्रिएला गैलिना इस बारे में बीबीसी को बताती हैं, “टॉयलेट या बेड पर कोई महिला अपने पैर फैलाकर और घुटने मोड़कर बैठ जाए. यदि उनका जननांग बहुत सूखा हो तो इस कप का प्रवेश असहज हो सकता है, लिहाजा लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. ख़ासकर जब इसका प्रयोग पहली बार हो रहा हो.”
गैलिना बताती हैं, “उसके बाद इसे धीरे-धीरे भीतर डालना चाहिए. जैसे ही ख़ून जमा करने वाले भाग को हम छोड़ते हैं, वैसे ही यह कप खुल जाता है. इसे भीतर ठीक से एडजस्ट करने के लिए इसे थोड़ा घुमा देना चाहिए.” उंगली की मदद से इसे जननांग के भीतर ऐसे रखना चाहिए जैसे कि ये टैंपोन हो. टैंपोन से यह कप इस मामले में अलग है कि इसका काम ख़ून सोखना नहीं केवल जमा करना है.
अलेक्जेंड्रे पुपो बताती हैं, “एक बार डालने के बाद यह कप जननांग की दीवारों से चिपक जाता है. यह खुला रहे, इसके लिए इसके किनारे पर लगा इलास्टिक का बैंड थोड़ा कड़ा होता है. भीतर यह थोड़ा-सा फैलकर और अवतल होकर दीवारों से जुड़ जाता है, जहां यह स्थिर रहता है.”
मेन्स्ट्रुअल कप का उपयोग एक बार में अधिक से अधिक 12 घंटे तक किया जा सकता है. हालांकि जिन महिलाओं का उत्सर्जन ज़्यादा होता है, उन्हें सलाह दी जाती है कि इसे 4 से 6 घंटे के बाद बदल लें.
इसका छोटा आकार इसे ढूंढ़ने में मददगार होता है. हालांकि इससे दिक़्क़त भी हो सकती है.
पुपो की सलाह है कि रॉड के ज़रिए इसे निकालने में बहुत ताक़त लग सकती है. इसलिए भीतर का वैक्यूम कम करने के लिए वो उंगली का इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं.
हालांकि शॉवर में इसे निकालना आरामदेह हो सकता है, पर टॉयलेट पर बैठकर इसे निकालना भी सुरक्षित है.
गैलिना के अनुसार, “ये ध्यान रखना चाहिए कि पहली बार इसका उपयोग आमतौर पर थोड़ा असहज होता है. किसी महिला को मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल की आदत पड़ने में दो या तीन कोशिशें लग सकती हैं. सलाह दी जाती है कि जब मासिक धर्म न हो तभी इसका टेस्ट कर लिया जाए.”
मेंस्ट्रुअल कप को साफ़ कैसे किया जाए?
पहली बार उपयोग से पहले मेंस्ट्रुअल कप को चूल्हे पर गर्म पानी में या माइक्रोवेव में 5 मिनट तक उबालें ताकि यह सुरक्षित हो जाए. कई ब्रांड तो इसके लिए ख़ास प्रकार का कंटेनर भी देते हैं.
माहवारी के दौरान जब इसका बार-बार उपयोग किया जाए, तो इसे पानी और साबुन से अच्छे से साफ़ करने की सलाह दी जाती है. और जब माहवारी ख़त्म हो जाए तो इसे वैसे ही उबालना चाहिए.
उसके बाद उपयोग न होने पर इसे किसी कपड़े की थैली में बंद कर रख दें. फिर जब माहवारी शुरू हो, तो इस्तेमाल से पहले इसे फिर से गर्म पानी में उबाल लेना चाहिए.
क्या इससे स्वास्थ्य को ख़तरा हो सकता है?
अच्छे से सैनिटाइज़ होने के बाद मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग बेहद सुरक्षित होता है. लेकिन अगर इसे ठीक से साफ़ न किया जाए, तो इससे संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है.
गैलिना कहती हैं कि अगर जननांग सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आ जाता है तो ये नुक़सानदेह हो सकता है. इससे कैंडिडिआसिस और वेजिनोसिस की समस्या पैदा हो सकती है.
स्त्री रोग विशेषज्ञ अलेक्जेंड्रे पुपो सलाह देती हैं कि जिन महिलाओं को कंडोम से एलर्जी है, उन्हें लेटेक्स-फ्री कप का उपयोग करना चाहिए.
मेंस्ट्रुअल कप लगाए रहने पर क्या करें और क्या न करें?
आम तौर पर मेंस्ट्रुअल कप लगाए रहने पर पेशाब करने में कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन अगर प्रेशर महसूस हो रहा है, तो इसका मतलब है कि इस कप को जननांग के भीतर थोड़ा और जाना चाहिए.
बच्चा न हो, इसके लिए यदि किसी महिला ने अपने गर्भाशय में आईयूडी लगा रखी है, उन्हें भी इसके उपयोग में समस्या नहीं आती है. ऐसा इसलिए कि दोनों की जगह अलग-अलग होती है. एक गर्भाशय के अंदर होता है, तो दूसरा जननांग के भीतर.
हालांकि जब सेक्स करना हो, तो इस कप को जननांग से निकाल देना होता है. उन महिलाओं ने जिन्होंने पहले कभी सेक्स नहीं किया है, उनके लिए और नरम क़िस्म का कप आता है.
जानकारों का कहना है कि अभी भी मेंस्ट्रुअल कप के बारे में लोगों को ज़्यादा नहीं पता, क्योंकि इसे लेकर ज़्यादा बात नहीं की जाती
मेंस्ट्रुअल कप के उपयोग के फ़ायदे और नुक़सान क्या?
डॉक्टरों की राय में मेंस्ट्रुअल कप की सबसे बड़ी ख़ूबी यही है कि यह स्थायी प्रकृति की वस्तु है.
माना जाता है कि किसी महिला को पूरी ज़िंदगी में औसतन 450 बार माहवारी होती है. इसका मतलब यह हुआ कि एक महिला को अपनी ज़िंदगी में क़रीब 7,200 सैनिटरी पैड का उपयोग करना होगा. जबकि मेंस्ट्रुअल कप की बड़ी ख़ासियत यह है कि एक कप 3 से 10 सालों तक चल सकता है.
इसकी एक और ख़ूबी है कि इसके द्वारा बना वैक्यूम माहवारी के ख़ून को हवा के संपर्क में नहीं आने देता, जिससे इस दौरान अंत:वस्त्र में गंध नहीं आती.
स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार, इसका नकारात्मक पहलू यह है कि सभी महिलाएं इस कप का सलीके से उपयोग करने में सक्षम होंगी ये ज़रूरी नहीं, ऐसे में उन्हें परेशानी झेलनी पड़ सकती है.