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कोरोना महामारी में जरूरत पड़ने पर हेल्थ टॉप-अप प्लान से बढ़ाएं हेल्थ इंश्योरेंस कवर, इसमें कम खर्च में मिलती है ज्यादा मदद

  • टॉप-अप हेल्‍थ प्‍लान उन लोगों के लिए अतिरिक्‍त कवर होता है जिनके पास पहले से ही हेल्‍थ पॉलिसी है
  • इंश्योरेंस कंपनियां टॉप-अप प्लान के लिए कोई मेडिकल स्क्रीनिंग नहीं करती हैं

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 09:06 AM IST

नई दिल्ली. देश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है ऐसे में सही उपचार और वित्तीय सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी है। लेकिन इलाज के बढ़ते खर्चों और कोविड-19 महामारी को देखते हुए कई लोगों को लगता है कि बीमा कवर की यह रकम पर्याप्‍त नहीं है। ऐसे में वो अपने कवर को अपग्रेड करना चाहते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होता है कि नई रेगुलर हेल्‍थ पॉलिसी ली जाए या ‘टॉप-अप’ कवर लिया जाए। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे में ‘टॉप-अप’ कवर लेना सही रहेगा ये कम खर्च में आपको ज्यादा कवर देगा।

क्या है टॉप-अप हेल्‍थ प्‍लान?
टॉप-अप हेल्‍थ प्‍लान उन लोगों के लिए अतिरिक्‍त कवर होता है जिनके पास पहले से ही हेल्‍थ पॉलिसी है। यह काफी कम कीमत में मिल जाता है। चूंकि कम कीमत में इससे अतिरिक्‍त कवर मिल जाता है, इसीलिए जिस व्यक्ति के पास पहले से इंश्योरेंस कवर है उसके लिए ये सही विकल्प है।

सस्ता पड़ता है टॉप-अप
मान लीजिए आप पर 10 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर है और आप इस कवर को 10 लाख रुपए तक बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए आप नई रेगुलर हेल्‍थ पॉलिसी ले सकते हैं। लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना होंगे। जबकि इतनी की कीमत का टॉप-अप प्‍लान कहीं कम प्रीमियम पर मिल जाएगा। टॉप-अप प्‍लान की कॉस्‍ट डिडक्टिबल लिमिट से कनेक्ट रहती है। यह लिमिट पहले से तय होती है। जब किसी बीमारी का खर्च उस लिमिट को पार करता है तो टॉप-अप प्‍लान का काम शुरू होता है। डिडक्टिबल जितना ज्‍यादा होगा, टॉप-अप प्‍लान उतना सस्‍ता मिलेगा।

डिडक्टिबल लिमिट को ज्यादा रखना फायदेमंद
डिडक्टिबल लिमिट को हमेशा ज्यादा रखना चाहिए क्योंकि प्राइमरी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी इतनी राशि तक कवर उपलब्‍ध कराती है। टॉप-अप प्‍लान आमतौर पर एक बार अस्‍पताल में भर्ती होने का खर्च उठाता है। इसका मतलब यह है कि अगर उनके एक बार भर्ती होने पर अस्‍पताल का बिल डिडक्टिबल को पार कर जाता है, तो केवल तभी टॉप-अप प्‍लान का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। हालांकि ऐसे कुछ प्‍लान हैं जिनमें सिंगल क्‍लेम की लिमिट नहीं होती है। इसमें आप पूरे साल के लिए डिडक्टिबल लिमिट के ऊपर किसी भी बीमारी के लिए क्‍लेम लिया जा सकता है। इन्‍हें सुपर टॉप-अप प्‍लान कहा जाता है।

किस तरह काम करता है टॉप-अप प्लान? 
मान लीजिए आपको लगता है कि 10 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है और इसमें इजाफा किया जाना चाहिए। हेल्थ कवर की राशि जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, प्रीमियम की राशि भी बढ़ती जाती है। ऐसे में आप 15 लाख रुपए का टॉप अप कवर लेकर इसे 25 लाख कर सकते हैं। अब अगर किसी वजह से क्लेम करने की जरूरत पड़ती है और क्लेम की राशि 20 लाख रुपए होती है तो 10 लाख रुपए का क्लेम आप अपनी बेस पॉलिसी और बाकी 10 लाख रुपए का क्लेम टॉप अप पॉलिसी से कर सकते हैं।

मेडिकल स्क्रीनिंग की नहीं रहती जरूरत
इंश्योरेंस कंपनियां टॉप-अप प्लान के लिए कोई मेडिकल स्क्रीनिंग नहीं करती। यहां तक कि आप दूसरी कंपनी से भी टॉप-अप लेते हैं तो भी कोई स्क्रीनिंग नहीं होती। 

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