- भारत और चीन के मेजर जनरल लेवल की बातचीत बुधवार को भी हुई थी, लेकिन इसमें भी सहमति नहीं बनी
- चीन के अब कहा- भारत मौजूदा हालात पर गलत राय न बनाए और चीन की इच्छाशक्ति को कमजोर करके न देखे
दैनिक भास्कर
Jun 18, 2020, 05:52 PM IST
नई दिल्ली. लद्दाख की गलवान घाटी में तनाव को दूर करने के लिए भारत और चीन के मेजर जनरल लेवल की दूसरे दौर की बातचीत गुरुवार को हुई। यह बेनतीजा रही। शाम को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत और चीन मिलिट्री और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए तनाव कम करने की कोशिश कर रहे थे। 6 जून को मिलिट्री कमांडरों के बीच इसी पर चर्चा हुई थी। इसके बाद लगातार दोनों पक्षों में बातचीत हो रही थी। 15 जून की रात जो कुछ हुआ, उसके लिए चीन पूरी तरह से जिम्मेदार है। हाई लेवल पर जो सहमति बनी थी, अगर चीन उसका पालन करता तो यह नुकसान नहीं होता।
जैसा की प्रधानमंत्री ने कल कहा था कि हम शांति से मसला हल करना चाहते हैं। लेकिन, हम भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। जैसा की सेना ने आज दोपहर में ही बयान दिया है कि अब हमारा कोई भी सैनिक लापता नहीं है।
सेना ने कहा- कोई भारतीय जवान लापता नहीं हुआ
इससे पहले बुधवार को हुई बातचीत में भी दोनों देशों के अफसरों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। इस बीच भारतीय सेना ने साफ किया कि गलवान घाटी झड़प में कोई भी भारतीय जवान लापता नहीं हुआ है। दरअसल, अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 17 जून के अपने लेख में भारतीय जवानों के लापता होने की बात कही थी।
आर्मी के सूत्रों के मुताबिक, सभी सैनिकों की गिनती हो गई
आर्मी के सूत्रों के मुताबिक, सभी सैनिकों की गिनती हो गई है। गलवान घाटी में सोमवार रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 सैनिक शहीद हुए हैं। झड़प के बाद चार सैनिकों की हालत गंभीर है। आर्मी के सूत्रों ने बताया कि चीन के करीब 45 सैनिक मारे गए हैं। इससे पहले 40 सैनिकों के मरने की खबर आई थीं। इनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की। इसी गलवान घाटी में 1962 की जंग में 33 भारतीय सैनिकों की जान गई थी।
चीन ने 3 दिन में तीसरी बार कहा- झड़प के लिए भारतीय जवान जिम्मेदार
- चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने गलवान झड़प पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय फ्रंट-लाइन के सैनिकों ने समझौता तोड़ा और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को पार कर उकसाया और अफसरों-सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद ही झड़प हुई और जान गई। उन्होंने कहा कि भारत मौजूदा हालात पर गलत राय न बनाए और चीन की अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने की इच्छाशक्ति को कमजोर करके न देखे।
- चीन की तरफ से तीन दिन में यह तीसरा बयान है, जिसमें उन्होंने इस झड़प के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। मंगलवार को दोपहर करीब 1 बजे हिंसक झड़प की खबर दुनिया के सामने आई थी। इसके बाद, चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच रजामंदी बनी थी, लेकिन भारतीय जवानों ने इसे तोड़ दिया और बॉर्डर क्रॉस किया।
- इसके बाद बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियन ने कहा कि गलवान घाटी की संप्रभुता हमेशा से चीन के हिस्से ही रही है। भारतीय सेना ने बॉर्डर प्रोटोकॉल तोड़ा। उन्होंने न केवल सीमा का उल्लंघन किया, बल्कि कमांडर लेवल की बातचीत का भी ध्यान नहीं रखा।
भारत ने गलवान पर चीन के दावे को खारिज
उधर, भारत ने बुधवार देर रात फिर चीन के गलवान घाटी पर दावे को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- दोनों देशों के बीच 6 जून को कमांडर स्तर की बातचीत में जिम्मेदारी के साथ हालात संभालने पर समझौता हुआ था। अब इस तरह बढ़ा-चढ़ाकर कर किए जा रहे दावे समझौते के उलट हैं।
जयशंकर ने कहा था- दोनों देश समझौतों का सम्मान करें
चीन के विदेश मंत्री से बातचीत के पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- सीमा पर इस घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा। वक्त की मांग यही है कि चीन अपने इस कदम का फिर से मूल्यांकन करे और कदम उठाए। दोनों पक्ष पहले समझौतों का सम्मान करें और एकतरफा कार्रवाई ना करें।