- राहुल ने बुधवार को भी गलवान घटना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा था
- विदेश मंत्री ने 1996 और 2005 में हुए समझौतों का जिक्र करते हुए राहुल को जवाब दिया
दैनिक भास्कर
Jun 18, 2020, 05:41 PM IST
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गलवान घाटी की घटना को लेकर एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा- सरकार ने बिना हथियारों के जवानों को शहीद होने के लिए क्यों भेज दिया? चीन की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वो हमारे जवानों की हत्या कर सके? इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर जवाब दिया कि गलवान में जो जवान शहीद हुए वे निहत्थे नहीं थे। उनके पास हथियार थे। विदेश मंत्री ने 1996 और 2005 के समझौते का हवाला दिया और कहा कि टकराव के दौरान जवान इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।
1996 का समझौता
- चीन के राष्ट्रपति जियांग जेमिन 1996 में भारत के दौरे पर आए थे। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा थे। दोनों देशों में एलएसी को लेकर एक और समझौता हुआ।
- समझौते के तहत एलएसी पर दोनों पक्ष न तो सेना का इस्तेमाल करेंगे और न ही इसकी धमकी देंगे।
- अगर किसी मतभेद की वजह से दोनों तरफ के सैनिक आमने-सामने आते हैं तो वह संयम रखेंगे। विवाद को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।
- दोनों पक्ष तनाव रोकने के लिए डिप्लोमैटिक और दूसरे चैनलों से हल निकालेंगे।
- एलएसी के पास दो किलोमीटर के एरिया में कोई फायर नहीं होगा, कोई पक्ष आग लगाएगा, विस्फोट नहीं करेगा और न ही खतरनाक रसायनों का उपयोग करेगा।
2005 का समझौता
- भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ में 2005 में सीमा विवाद के मुद्दे को सुलझाने के लिए एक समझौता हुआ।
- समझौते के मुताबिक, दोनों देश बॉर्डर पर जो स्थिति है, उसी में रहेंगे। साथ ही एलएसी पर सेनाओं के बीच विश्वास बनाने के लए प्रोटोकॉल बनाए गए थे।
- इसके लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स हैं जो विवाद सुलझाने के लिए मैकेनिज्म तैयार करते हैं। इनकी कोशिश रहती है कि आखिरी फैसला आने से पहले बॉर्डर पर किसी तरह का तनाव ना हो।
राहुल ने मोदी से भी पूछा था- चुप क्यों हैं?
राहुल ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा था। राहुल ने पूछा था- मोदी चुप क्यों हैं? इस मामले को वे छिपा क्यों रहे हैं? बता दें कि सोमवार रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 43 जवानों के भी मारे जाने या घायल होने की खबर आई।
चीन की हिम्मत कैसे हुई?
राहुल ने गुरुवार को एक ट्वीट किया। इसमें फिर सरकार पर तंज कसा। कहा- चीन की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि वो हमारे निहत्थे सैनिकों की हत्या कर सके। बिना हथियारों के हमारे सैनिकों को वहां शहीद होने के लिए किसने भेजा।
मोदी से मांगा था जवाब
राहुल ने बुधवार को भी एक ट्वीट किया था। इसमें सीधे प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए उनसे गलवान घाटी की घटना पर जवाब मांगा था। राहुल ने कहा था- मोदी चुप क्यों हैं? इस मामले को वे छिपा क्यों रहे हैं? अब बहुत हो चुका, हमें पता चलना चाहिए कि आखिर हुआ क्या था? राहुल ने कहा कि चीन हमारे सैनिकों को मारने और हमारी जमीन पर आने की हिम्मत कैसे कर सकता है?
Why is the PM silent?
Why is he hiding?Enough is enough. We need to know what has happened.
How dare China kill our soldiers?
How dare they take our land?— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 17, 2020
राजनाथ सिंह को टैग किया था
बुधवार को ही राहुल ने एक और ट्वीट किया। इस बार उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ को टैग करते हु कुछ सवाल पूछे थे। राहुल ने पूछा था- आपने चीन का नाम क्यों नहीं लिया। शोक व्यक्त करने में दो दिन क्यों लगाए। जब सैनिक शहीद हो रहे थे तो आप रैली क्यों कर रहे थे। आप छिप क्यों रहे हैं।
If it was so painful:
1. Why insult Indian Army by not naming China in your tweet?
2. Why take 2 days to condole?
3. Why address rallies as soldiers were being martyred?
4. Why hide and get the Army blamed by the crony media?
5. Why make paid-media blame Army instead of GOI? https://t.co/mpLpMRxwS7— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 17, 2020
कांग्रेस अध्यक्ष बोलीं- प्रधानमंत्री देश को बताएं कि चीन ने ऐसा कैसे किया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कहा था- चीन की हरकत को लेकर आज हर तरफ गुस्सा है। प्रधानमंत्री को आगे आना चाहिए और देश को बताना चाहिए कि आखिर चीन ने ऐसा दुस्साहस कैसे किया। चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कैसे किया। हमारे 20 जवान कैसे शहीद हो गए।
हम सरकार के साथ चट्टान के समान खड़े हैं- कांग्रेस
बुधवार को ही कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा था- हम सरकार और राष्ट्र के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं। चीन को उसकी आंखों में आंखें डालकर वाजिब जवाब दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सभी दलों की बैठक बुलाने का प्रधानमंत्री का कदम अच्छा है। यह प्रशंसनीय है। मगर इसमें थोड़ी देर हो गई है। यदि एक महीने पहले प्रधानमंत्री ने यह मीटिंग बुलवाई होती तो हम और भी ज्यादा मदद कर सकते थे।