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भारतीय कंपनियों के लिए आत्मनिर्भर बनने का अवसर, मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगा और आयात कम कर 75 अरब डॉलर से ज्यादा का रेवन्यू कमा सकती हैं फर्में

  • चीनी निवेशकों ने पिछले साल भारत में 23 डील के जरिए 5 अरब डॉलर का निवेश किया
  • यूसी ब्राउजर के दुनिया भर में 1.1 अरब यूजर्स हैं, इसमें से 50 करोड़ यूजर्स अकेले भारत से

दैनिक भास्कर

Jun 18, 2020, 12:29 PM IST

मुंबई. कई भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत-चीन के बीच सीमा पर बढ़ता तनाव, भारतीय टेलीकॉम इक्विपमेंट विक्रेताओं,  मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लिए अवसर के रूप में आया है। यह एक अवसर ही नहीं है, बल्कि हाल में जब कोविड-19 के लिए प्रधानमंत्री ने 20.97 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी, उस समय उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए जोर दिया था।

चीन से घिरा हुए हैं भारतीय उपभोक्ता और बाजार

  • वीवो, शाओमी, रियलमी, ओपो का करीब 72% बाजार पर कब्जा है
  • शाओमी कंपनी के 26 प्रतिशत यूजर्स भारत में हैं
  • टिकटॉक के 12 करोड़ यूजर्स भारत से, हैलोऐप के 5 करोड़ यूजर्स
  • वीवो के पास भारत का 20 प्रतिशत बाजार है।
  • यूसी ब्राउजर के 1.1 अरब यूजर्स में 50 करोड़ लोग भारत से
  • पबजी के दुनिया में 55.5 करोड़ यूजर्स हैं। भारत में 12 करोड़

चीन से आयात का वॉल्यूम भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर 
भारत चीन से 75 अरब डॉलर का आयात करता है। आयात का यह वॉल्यूम भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर है। टेलीकॉम विभाग के पूर्व सेक्रेटरी श्यामल घोष के नेतृत्व वाली टेलिकॉम इक्विपमेंट प्रोमोशन कॉउन्सिल (टीईपीसी) और टेलिकॉम इक्विपमेंट मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन (टेमा) जैसे संस्थानों ने कहा है कि वे जल्द ही केंद्र से चीन द्वारा संचालित नेटवर्क उपकरणों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहेंगे।

भारत में चीन के टेलिकॉम इक्विपमेंट निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत
टेमा के अध्यक्ष एन के गोयल ने कहा कि भारत के साथ कई वर्षों से चीन का सीमा विवाद है। इसलिए भारत में चीन के टेलिकॉम इक्विपमेंट निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। भारतीय कंपनियों ने हालांकि यह भी कहा है कि 2015 में शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के बहुत प्रचार के बावजूद नोडल मंत्रालयों के अधिकारियों द्वारा लोकल उत्पादित प्रोडक्ट्स को कभी भी सच्ची भावना से लागू नहीं किया गया।

ग्लोबल रेवेन्यू के लिहाज से चीन में भारत की प्रमुख कंपनियां

  • अडानी ग्लोबल का रेवेन्यू 2019 में 3.7 अरब डॉलर, यह कोल और पावर वितरण में है।
  • डॉ. रेड्‌डी लैब फार्मा कंपनी है। इसका रेवेन्यू 2.2 अरब डॉलर 2018-19 में रहा है। जिंदल स्टील एंड पावर का 5.6 अरब डॉलर का रेवेन्यू; स्टील, पावर और माइनिंग इंफ्रा कंपनी।
  • बीईएमएल लिमिटेड का रेवेन्यू 505 मिलियन डॉलर; माइनिंग एवं कंस्ट्रक्शन कंपनी। गोदरेज एंड बॉयस का रेवेन्यू 1.5 अरब डॉलर; कंज्यूमर गुड्स, रियल्टी और अप्लायंस की कंपनी।
  • भारत हैवी इलेक्ट्रिकल का रेवेन्यू 4.3 अरब डॉलर 2018-19 में रहा है। यह इंजीनियरिंग, मैन्यूफैक्चरर्स, कंस्ट्रक्शन में है।
  • अरबिंदो फार्मा का रेवेन्यू 2.8 अरब डॉलर रहा है। यह फार्मा सेक्टर की कंपनी है।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि आने वाले कुछ वर्ष दोनों देशों के आर्थिक हित की तेजी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैनुफैक्चरिंग इम्पोर्ट का स्तर ऊंचा होने के कारण भारत का चीन के साथ बड़ा व्यापार घाटा बढ़ा है। भारत का प्रतिस्पर्धी लाभ (competitive advantage) सर्विस है। अगर भारत चीन के सेवाओं के आयात, विशेष रूप से पर्यटन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है तो भारत के व्यापार घाटे को दूर किया जा सकता है ।

तेजस नेटवर्क्स, विहान नेटवर्क्स, स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज, कोरल टेलीकॉम और पॉलीकैब इंडिया जैसी देसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो टेलीकॉम ग्रुप ने कहा कि वे औपचारिक रूप से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करेंगे कि वे जल्द ही राष्ट्रीय जनमत का पालन करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय और संचार मंत्रालय को कड़े शब्दों में दिशा निर्देश जारी करें। टेमा द्वारा हाल ही में गठित की गई विंग देश की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भरता पहल के तहत स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए, और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त की अगुवाई में काम कर रही एसोसिएशन ने कहा कि चीन पर निर्भरता समाप्त करने के लिए यह सबसे अच्छा समय है।

ग्लोबल रेवेन्यू के लिहाज से चीन की भारत में प्रमुख कंपनियां

  • चीन की भारत में प्रमुख कंपनियों में ओपो ने 2018-19 में कुल 1.8 अरब डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया है।
  • विवो ने इसी अवधि में 1.5 अरब डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया है।
  • फोसन इंटरनेशनल हेल्थकेयर कंपनी है और इसने 15.9 अरब डॉलर का रेवेन्यू जनरेट किया है।
  • मीडिया होम अप्लायंस कटेगरी की कंपनी है इसने 38.6 अरब डॉलर का रेवेन्यू 2018-19 में जनरेट किया है। इसकी क्षमता 5 लाख रेफ्रिजरेटर, 6 लाख वॉशिंग मशीन और 10 लाख घरेलू उपकरणों कि निर्माण की है।
  • सैक ऑटोमोटिव कंपनी है। यह सालाना 80 हजार यूनिट का निर्माण करती है। इसका रेवेन्यू 5.9 अरब डॉलर का रहा है।
  • हायर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है। इसका रेवेन्यू 12.4 अरब डॉलर रहा है।

गोयल का कहना है कि पहले भी चीन के साथ गंभीर टकराव हुए हैं और ऐसी अनिश्चित स्थिति से टेलीकॉम में होने वाली चीनी आपूर्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है जो भारतीय टेलीकॉम नेटवर्क के लिए घातक बन सकता है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट (डीओटी) के पूर्व सलाहकार राकेश कुमार भटनागर ने कहा कि इंडस्ट्री ने अपने स्तर पर पूरी कोशिश की थी कि अगर हम चीनी टेलीकॉम इक्विपमेंट को तरजीह देते हैं तो सुरक्षा पर चेतावनी भी दें।

दिल्ली स्थित टीईपीसी के पूर्व महानिदेशक भटनागर ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता और भारत-चीन युद्ध जैसी स्थिति पर चीनी उत्पादों पर एकमुश्त प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार की असफलता पर संदेह जताया। कोई यह समझ नहीं पा रहा है कि हम निर्णायक और साहसी फैसला क्यों नहीं ले सकते। उन्होंने कहा, “चूंकि भारतीय सैनिकों द्वारा चीन के खिलाफ हमारी मातृभूमि की रक्षा करने की खबरें हैं, पूरे देश को चीनी वायरस के कारण स्वास्थ्य और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए अब वक्त आ गया है कि हम एक साहसिक निर्णय लें।

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