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एक्स्ट्रा प्रेशर से बच्चे के मेंटल हेल्थ को खतरा, इसलिए दूसरे पैरेंट्स से आगे निकलने की होड़ में अपने बच्चों पर स्किल्स सीखने का दबाव न बनाएं

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पैरेंट्स को इस बात की फिक्र है कि अगर उनका बच्चा साधारण रहा तो पीछे रह जाएगा
  • बच्चे को बेहतर बनाने की कोशिश में ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं पैरेंट्स, गरीब माता-पिता को नहीं मिल पाता मौका

दैनिक भास्कर

Jun 17, 2020, 05:09 PM IST

मेलिंडा वीनर मोयर. पुराने वक्त से तुलना की जाए तो आज के बच्चों पर समाज का खासा दबाव है। उनसे कम उम्र में ज्यादा स्किल्स सीखने की उम्मीद की जा रही है। बच्चों को स्कूल के अलावा कई दूसरी क्लासेज में भेजना आज जरूरी सा हो गया है। यह सोचने वाली बाद है कि इस तरह की क्लासेज माता-पिता को कैसे आर्थिक रूप से प्रभावित कर रही हैं? क्या बच्चों की इन चीजों की जरूरत है? क्या ये क्लासेज हमारे बच्चों को बेहतर बना रही हैं? 

पैरेंट्स ज्यादा खर्च कर रहे हैं

  • रिसर्च बताती है कि धनी माता-पिता बच्चों को बेहतर बनाने वाली एक्टिविटीज पर ज्यादा खर्च करते हैं। 2016 में एमरी यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजिस्ट सबीनो कोर्नरिच ने कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे की छानबीन की। उन्होंने पाया कि महंगाई को एडजस्ट करने के बाद अमेरिका के अमीर पैरेंट्स ने 1972 से 2010 के बीच 6 साल के बच्चों की एक्टिविटीज के लिए तीन गुना खर्च किया है। हालांकि मिडिल और लोअर क्लास में खर्च का इजाफा काफी कम हुआ था। 
  • इस इजाफे का कारण एक्टिविटीज की बढ़ी हुई कीमत भी हो सकती हैं। ग्रेटर न्यूयॉर्क के वायएमसीए में यूथ एंड कम्युनिटी डेवलपमेंट की वाइस प्रेसि़डेंट लॉरेन बार ने कहा कि “हम जो भी प्रेजेंट कर रहे हैं उसका स्ट्रक्चर पूरी तरह बदल चुका है।” उन्होंने बताया माता-पिता पहले की तरह बच्चों को खेलने देने के बजाए यह चाहते हैं कि क्लासेज उनके बच्चों को स्पेशल स्किल्स सिखाएं। यही वजह है कि संस्थाएं स्टाफ और उपकरणों के लिए पहले से ज्यादा चार्ज करने लगी हैं।  
  • हालांकि सभी कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। जैसे-जैसे एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टिविटीज पॉपुलर होती जा रही हैं, नए प्रोग्राम भी आते जा रहे हैं। जिससे कॉम्पिटीशन बढ़ा है। संगीतकार अब बच्चों को सार्वजनिक जगहों पर जैसे पार्क में ट्रैनिंग दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें किराए की चिंता नहीं होती इसलिए वे कम पैसे लेते हैं। 

दूसरे पैरेंट्स के साथ बने रहने की होड़

  • ऐसा क्या है जो माता-पिता महंगी और बेहतर करने वाली एक्टिविटीज के लिए परेशान हैं? कोलंबिया यूनिवर्सिटी के टीचर्स कॉलेज और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सूनिया लूथर के मुताबिक, पैरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर उनका बच्चा असाधारण नहीं हुआ तो पीछे रह जाएगा। 
  • इसका इल्जाम किस पर लगाएं? 2006 से 2018 के बीच अमेरिका की 50 टॉप कॉम्पिटीटिव यूनिवर्सिटी के एडमिशन रेट 45 प्रतिशत गिर गए। 2006 में औसत 36 प्रतिशत और 2018 में 23 प्रतिशत ही आवेदक स्वीकृत हुए। डॉक्टर लूथर के अनुसार, आज के वक्त में सफल होना बेहद मुश्किल है इसलिए हम बच्चों को बेहतर देने की कोशिश कर रहे हैं।

एक्स्ट्रा करिकुलर्स के साथ परेशानियां

  • यह कहना मुश्किल है कि इस तरह की एक्टिविटीज बच्चों के लिए मददगार हैं या नहीं। ऐसा लगता है कि बच्चों के लिए नई चीजें और जीवन में नई चुनौतियों का सामना करना ज्यादा बेहतर होगा। स्टडीज बताती हैं कि जो बच्चे एक्स्ट्रा करिकुलर्स में भाग लेते हैं वो बेहतर ग्रेड्स पाते हैं, लेकिन यह पता लगाना मुश्किल है कि अच्छे परिणाम का कारण यही एक्टिविटीज हैं। 
  • इंडियाना यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजिस्ट जेसिका कैलार्को के मुताबिक, एक्स्ट्राकरिकुलर्स वो होते हैं जहां पैरेंट्स एक दूसरे से जुड़ते हैं। जब पैरेंट्स अपने बच्चे को खेलते या डांस क्लास में देखते हैं तो वे रणनीति बनाते हैं और जानकारी को इस तरह से साझा करते हैं, जो उनके बच्चों की मदद कर सके। वे आपस में यह बात करते हैं कि मैथ्स का अच्छा ट्यूटर कौन है या उनके बच्चों को बड़ी क्लासेज में कैसे भेजा जाए। इसके अलावा वो बच्चे जिनके माता-पिता एक्स्ट्राकरिकुलर्स का खर्च नहीं उठा सकते या जिनके पास इस तरह से नेटवर्क बनाने का मौका नहीं होता। वो पीछे रह जाते हैं। 
  • पैरेंट्स का अपने बच्चों पर प्रेशर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। लूथर और अन्य लोगों ने यह पाया है कि अच्छा परिणाम देने वाले स्कूल में पढ़ने वाले बड़े बच्चों में नशे की आदत की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा इन बच्चों में डिप्रेशन और घबराहट से ग्रस्त होने का जोखिम भी बना रहता है। नेशनल एकेडमीज ऑफ साइंस इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन की 2019 की रिपोर्ट के लेखक समेत कुछ लोग सफल होने को लेकर दिए जा रहे दबाव की तरफ इशारा किया है। उन्होंने एक्स्ट्रा करिकुलर के दबाव को सिम्पटम भी बताया है। 
  • हमें बच्चों को किसी ऐसी एक्टिविटी में एनरोल कराते वक्त स्वतंत्र महसूस करना चाहिए। ऐसी एक्टिविटीज में उन्हें शामिल किया जाए, जो उनके लिए फायदेमंद हो और जिसमें उन्हें मजा आए। हमें हमारे बच्चों को बच्चा ही रहने देना होगा। सबसे जरूरी बात हमें बच्चों को यह भरोसा दिलाना है कि हम उन्हें हर हाल में प्यार करते हैं।

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