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तीन महीने में ई-स्पोर्ट्स पर सट्‌टेबाजी 40 गुना तक बढ़ी, इस साल रेवेन्यू 1 लाख करोड़ तक हो सकता है

  • 5 साल में सट्टेबाजी के मामले में तीसरे नंबर पर होगा ई-स्पाेर्ट्स
  • ग्लोबल गैम्बल इंडस्ट्री 38 लाख करोड़ रुपए की है
  • अमेरिकी कोर्ट ने 2018 में सट्‌टेबाजी को वैध करने की बात कही थी

सेथ सीशल

Jun 17, 2020, 05:31 AM IST

न्यूयॉर्क. कोरोनावायरस की वजह से स्पोर्ट्स इवेंट मार्च से रद्द हैं। हालांकि धीरे-धीरे इवेंट्स की वापसी शुरू हो गई है। इस दौरान ई-स्पोर्ट्स के प्रति लोगों की रुचि काफी बढ़ी है। खेल पर दांव लगाने वालों यानी सट्‌टेबाजों ने ई-स्पोर्ट्स का रुख कर लिया है।

स्पोर्ट्स बुक पिनेकल के ट्रेंडिंग डायरेक्टर मार्को ब्लूम ने कहा, ‘अमेरिका में ई-स्पोर्ट्स पर सट्टेबाजी 2010 से शुरू हुई। तब हफ्ते में 100 डॉलर (करीब 7600 रुपए) का दांव लगता था।’ कोरोना की वजह से करीब 38 लाख करोड़ रुपए की ग्लोबल गैम्बल इंडस्ट्री ई-स्पोर्ट्स पर निर्भर हो गई। मार्च से बुकमेकर्स की ई-स्पोर्ट्स पर बेटिंग 40 गुना तक बढ़ गई है। दुनिया भर में ई-स्पोर्ट्स की गैम्बल रेवेन्यू साल के अंत तक दोगुनी होकर करीब 1 लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। 

कमाई के लिए कई और राज्य सट्‌टेबाजी की इजाजत देंगे 

कैसिनो मैनेजमेंट कंपनी फिफ्थ स्ट्रीट गेमिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सेठ शोएर ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि उत्तरी अमेरिका में अगले 5 से 10 सालों में ई-स्पोर्ट्स बेटिंग के मामले में एनएफएल और एनबीए के बाद तीसरे स्थान पर आ जाएगा।’

टैक्स से कमाई बढ़ाने के लिए कई और राज्य ई-स्पोर्ट्स पर सट्‌टेबाजी की अनुमति दे सकते हैं। प्रिंसेटन पब्लिक अफेयर्स ग्रुप के बिल पास्करेल ने कहा, ‘मुझे पहले उम्मीद थी कि 3-4 राज्य स्पोर्ट्स बेटिंग की अनुमति दे सकते हैं। लेकिन अब यह दोगुना भी हो सकता है।’  

अमेरिका में कोर्ट ने 2018 में सट्‌टेबाजी को वैध किया था
अमेरिकी कोर्ट ने 2018 में सट्‌टेबाजी को वैध करने की बात कही थी। नेवादा में 1949 से सट्‌टेबाजी हो रही है। 2016 में पहली ई-स्पोर्ट्स बेटिंग शुरू हुई थी। 2017 में दो और टूर्नामेंट पर सट्‌टेबाजी शुरू हुई। इस साल नेवादा में 13 ई-स्पोर्ट्स लीग पर सट्‌टा लगाने की अनुमति मिल गई है।

नेवादा गेमिंग कंट्रोल बोर्ड के चीफ इंफोर्समेंट डिविजन जेम्स टेलर ने कहा, ‘लोग सट्‌टा लगाना चाहते हैं। हमारा लाइसेंस कस्टमर्स को यह मौका देता है। ई-स्पोर्ट्स की खासियत है कि खिलाड़ी घर पर बैठ कर भी मुकाबला कर सकते हैं।’

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