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संक्रमितों में नए लक्षणों का पता चला, मरीजों में तीन दिन बाद सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है, स्वाद पहचनाने की क्षमता पर भी असर पड़ता है

  • सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी ने कोरोना के 103 मरीजों पर छह हफ्ते तक अध्ययन किया, इसमें नए लक्षण सामने आए
  • शोध में युवा और महिला मरीजों में सूंघने और स्वाद पहचानने की क्षमता खत्म होने की समस्या ज्यादा दिखी

दैनिक भास्कर

May 09, 2020, 04:28 PM IST

न्यूयॉर्क. कोरोनावायरस के नए-नए लक्षण निकलकर सामने आ रहे हैं। सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के एक नए शोध में पता चला है कि संक्रमित मरीजों की तीन दिन बाद सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है। यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता ने बताया कि कई मरीजों की स्वाद पहचानने की क्षमता पर भी असर पड़ा है। शोध में युवा और महिला मरीजों में ऐसी दिक्कत खास तौर पर देखने को मिलीं। स्वीट्जरलैंड के कैंटोंसपिट औरो हॉस्पिटल में कोरोना के 103 मरीजों पर छह हफ्ते तक अध्ययन करने के बाद ये तथ्य सामने आए। इन संक्रमितों से पूछा गया कि उनमें कितने दिनों से लक्षण हैं। लक्षणों की टाइमिंग और गंभीरता से जुड़े सवाल किए गए।

इससे पहले अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) भी कोरोना से स्वाद और सूंघने की क्षमता खत्म होने की बात कह चुका है। सीडीसी ने इन लक्षणों को अपनी आधिकारिक सूची में भी जोड़ा है। 

सूंघने की क्षमता खत्म होने का अन्य लक्षणों से सीधा संबंध

सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के यूसी कॉलेज ऑफ मेडिसिन डिपार्टमेंट के ओटोलरीन्गोलॉजी सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर अहमद सेदाघाट के मुताबिक संक्रमण से एनोस्मिया (सूघंने की क्षमता में कमी) होना बहुत खतरनाक है। इसका सीधा संबंध मरीज में सामने आ रहे दूसरे लक्षणों से हैं। अगर एस्नोमिया के लक्षण ज्यादा हैं तो मरीज में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बुखार जैसी समस्या भी ज्यादा होगी।

नए लक्षण का पता चलना कोरोना के इलाज में अहम

सेदाघाट के मुताबिक शोध में करीब 61% मरीजों ने सूंघने की क्षमता खत्म होने की बात मानी। इनमें यह क्षमता खत्म होने का औसत समय 3 दिन 4 घंटे पाया गया।शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह लक्षण पता चलना अहम है। अब किसी में कोरोना संक्रमण के साथ सूंघने की क्षमता कम है तो यह जाना जा सकता है कि वह संक्रमण के पहले हफ्ते में है। ऐसे में अगले एक या दो हफ्ते उसके इलाज के लिए बचे रहेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि यह बीमारी का संकेत भर देता है, इसे पूरा कारण नहीं माना जाना चाहिए।

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