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आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बड़ा नहीं, ब्याज में राहत नहीं देना ज्यादा हानिकारक

  • मोराटोरियम अवधि में ब्याज वसूलने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से मांगा जवाब
  • आरबीआई ने कहा था- 6 महीने का ब्याज माफ किया तो बैंकिंग सिस्टम को दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा

दैनिक भास्कर

Jun 04, 2020, 07:25 PM IST

नई दिल्ली. 6 महीने की मोराटोरियम अवधि में ब्याज वसूलने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बड़ा नहीं हो सकता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उस जवाब पर की है, जिसमें आरबीआई ने कहा था कि मोराटोरियम में ब्याज नहीं लेने से बैंकिंग सिस्टम को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

एक तरफ राहत, दूसरी तरफ ब्याज की वसूली

जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह सामान्य समय नहीं है। एक तरफ आप मोराटोरियम की सुविधा दे रहे हैं। दूसरी तरफ आप इस अवधि के लिए ब्याज वसूल रहे हैं। इस अवधि ब्याज में राहत नहीं देना ज्यादा खतरनाक है और यह काफी गंभीर मुद्दा है। पीठ ने कहा कि इस मामले में दो मुद्दे प्रमुख हैं। पहला मोराटोरियम अवधि में कोई ब्याज नहीं और दूसरा ब्याज पर कोई ब्याज नहीं। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने वित्त मंत्रालय से जानना चाहा कि क्या ब्याज माफ किया जा सकता है या यह मोराटोरियम अवधि के दौरान जारी रहेगा? 

अब 12 जून को होगी सुनवाई

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि वह इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय से चर्चा करेंगे और दोनों मुद्दों पर अलग से जवाब पेश करेंगे। पीठ ने मेहता को इन दोनों मुद्दों पर 12 जून से पहले जवाब पेश करने की अनुमति दे दी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी। आपको बता दें कि आरबीआई की ओर से मोराटोरियम सुविधा देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। आगरा निवासी गजेंद्र शर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इस समय सुनवाई कर रहा है।  

आरबीआई का जवाब कोर्ट से पहले मीडिया में आने पर जताई चिंता

इससे पहले मामले की सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के जवाब के कोर्ट में पेश होने से पहले मीडिया में आने पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा, ‘क्या आरबीआई ने पहले मीडिया को रिपोर्ट फाइल की और बाद में कोर्ट में?’ पीठ ने आरबीआई को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए।

क्या है मोराटोरियम?

कोरोना संक्रमण के कारण ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए आरबीआई ने मार्च में कर्जदारों को लोन भुगतान पर 3 महीने की मोहलत (मोराटोरियम) की सुविधा दी थी। यह सुविधा मार्च से मई तक के लिए दी थी। मई में आरबीआई ने फिर मोराटोरियम को तीन महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए लागू कर दिया था। 

मोराटोरियम अवधि का देना होगा ब्याज

मोराटोरियम की घोषणा करते हुए आरबीआई ने साफ कहा था कि इस सुविधा के तहत कर्जदारों को केवल लोन के भुगतान को स्थगित किया गया है। आरबीआई ने कहा था कि जो भी कर्जदार इस सुविधा का लाभ लेंगें, उन्हें इस अवधि के ब्याज का भुगतान करना होगा।

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