- गणेश पुराण: चंद्रमा ने सबसे पहले किया था चतुर्थी व्रत, इस व्रत में चंद्र दर्शन से पहले नहीं खाना चाहिए अन्न
दैनिक भास्कर
May 25, 2020, 08:04 PM IST
26 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि होने से विनायक चतुर्थी व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का अत्यधिक महत्व है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु में चतुर्थी खासतौर से किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन दोपहर में भगवान गणेश का जन्म हुआ था। उनके प्रकट होते ही संसार में शुभता का आभास हुआ। जिसके बाद ब्रम्हदेव ने चतुर्थी के व्रत को श्रेष्ठ बताया। गणेश पुराण की कथा के अनुसार सबसे पहले चंद्रमा ने गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी व्रत किया था। मंगलवार और चतुर्थी तिथि का संयोग होने पर व्रत और पूजा करने से कर्ज एवं बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
गणेश पुराण: चंद्रमा ने किया गणेश चतुर्थी का व्रत
चंद्रमा को अपनी सुन्दरता पर बहुत घमण्ड था और वह गणेश जी की विशेष आकृति देख कर हंस पड़ा।
इसके बाद गणेश जी ने उसे श्राप दिया। फिर चंद्रमा को पश्चाताप हुआ और उसने गणेश जी से क्षमा मांगी।
भगवान गणेश ने उसे श्राप से मुक्त होने के लिये पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा और चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी।
इस प्रकार चंद्रमा ने ही सबसे पहले गणेश चतुर्थी का व्रत किया था।
चतुर्थी पर क्या करें
चतुर्थी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
इसके बाद घर में ही या मंदिर जाकर गणेशजी की पूजा करें।
गणेश जी का अभिषेक करें और पूजन सामग्री चढ़ाएं।
गणेश जी को फूल और दूर्वा चढ़ाएं और लड्डूओं का भोग लगाएं।
गणेश मंदिर में कांसे के बर्तन में गुड़-धनिया रखकर दान करें।
ब्राह्मण भोजन करवाएं और अन्न, जल, वस्त्र दान करें।
क्या न करें
चतुर्थी व्रत में चंद्र दर्शन से पहले अन्न नहीं खाना चाहिए।
इस व्रत के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए।
चंद्र दर्शन के बाद भोजन में तामसिक चीजें नहीं खानी चाहिए।
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पति-पत्नी एक ही बिस्तर पर न सोएं।
प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए।
गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।