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चीन से कतराने वाली पेट्र्रोलियम कंपनियों को बीपीसीएल का विनिवेश करेगा आकर्षित

  • अमेरिका सहित कई देश चीन को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए खतरा मान रहे
  • ऐसे में भारत बीपीसीएल जैसी सरकारी कंपनियों में निवेश के लिए वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित कर सकता है

दैनिक भास्कर

Jun 07, 2020, 02:46 PM IST

नई दिल्ली. चीन के प्रति बढ़ रहे आक्रोष के बीच वैश्विक पेट्र्रोलियम निवेशक भारतीय संपत्तियों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। यह बात भारत पेट्र्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही। सरकार बीपीसीएल का निनिवेश करने जा रही है और इसके लिए निवेशकों से बोली मांगी गई है।

यूरोप की अधिकतर कंपनियां चीन में निवेश नहीं करना चाहेंगी

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीपीसीएल के वित्त निदेशक एन विजयगोपाल ने कहा कि दुनियाभर में जब परिस्थितियां सामान्य होंगी, तब ऑयल सेक्टर में निवेश के लिए विकल्प बहुत कम होंगे। भारत एकमात्र आकर्षक निवेश गंतव्य होगा। यूरोप की अधिकतर कंपनियां चीन नहीं जाना चाहेंगी। ऐसे में वे कहां जा सकती हैं?

अमेरिका सहित कई देश चीन को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए खतरा मान रहे

अमेरिका सहित कई देश चीन को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए खतरा मान रहे हैं। इसके विरोध में वे एकजुट हो रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए निवेश हासिल करने का अवसर पैदा हो  रहा है। कोरोनावायरस महामारी का खतरा टल जाने के बाद भारत बीपीसीएल जैसी सरकारी कंपनियों में निवेश करने के लिए वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित कर सकता है।

महामारी के बावजूद एक्सॉन मोबिल, शेल, बीपी और अरैमको जैसी कंपनियों की हालत खराब नहीं होने वाली

विजयगोपाल ने कहा कि वैश्विक कंपनियां पूंजीगत खर्च घटा रही हैं। वे नकदी बचा रही हैं। लेकिन एक्सॉन मोबिल, शेल, बीपी और सऊदी अरैमको जैसी कंपनियों की हालत खराब नहीं होने वाली है। मांग बढ़ने के बाद जब ये कंपनियां फिर से खर्च करना शुरू करेंगी, तब उनके पास काफी कैश होगा।

भारत दुनिया में पेट्र्रोलियम ऑयल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है

भारत दुनिया में पेट्र्रोलियम ऑयल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। विस्तार की इच्छा रखने वाली जिन बड़ी कंपनियों को स्थिर बाजार की खोज होगी, उनके लिए भारत चीन के मुकाबले एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरेगा। कुछ कंपनियों ने बीपीसीएल को खरीदने की इच्छा का इजहार भी किया है।

भारत में तेल की मांग भविष्य में और बढ़ने की संभावना है

भारत में तेल की मांग भविष्य में और बढ़ने की संभावना है। हालांकि मार्च में कोरोनावायरस को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद तेल की मांग में जबरदस्त गिरावट आई थी। लेकिन लॉकडाउन को खोलने के लिए धीरे-धीरे उठाए गए कदमों के बाद पेट्रोलियम की मांग में फिर से तेजी आई है। तेल बाजार में विस्तार शुरू होने में हालांकि अभी और समय लगेगा।

83 फीसदी रिफाइनिंग क्षमता पर वापस आ गई है बीपीसीएल

बीपीसलएल जैसी जिन रिफाइनिंग कंपनियों ने प्रोसेसिंग घटा दी थी, वे फिर से अपनी रिफाइनिंग क्षमता बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि मई में मेरी रिफाइनरी में सामान्य क्षमता के मुकाबले तकरीबन 83 फीसदी पर काम हुआ। बिक्री सामान्य स्तर के मुकाबले करीब 76 फीसदी रही। इसलिए हमारी क्षमता के सामान्य स्तर पर वापस पहुंचने को लेकर संदेह का कोई कारण नहीं है।

बीपीसीएल का वैल्यू 7.4 अरब डॉलर से घटकर 5.7 अरब डॉलर पर आया

कोरोनावायरस महामारी के दौरान भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों पर दोहरी मार पड़ी थी। एक ओर क्रूड की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। दूसरी ओर मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। इसके कारण उनके शेयरों में भी भारी गिरावट आई थी। फरवरी के शुरू में बीपीसीएल 7.4 अरब डॉलर की कंपनी थी। अभी यह 5.7 अरब डॉलर की कंपनी रह गई है।

बीपीसीएल के लिए 31 जुलाई तक बोली लगा सकते हैं निवेशक

विजयगोपाल हालांकि इसे कोई समस्या नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि निवेशक संपत्ति और संकट से वापस बाहर निकलकर विकास करने की क्षमता के आधार पर कंपनी का मूल्यांकन करेंगे। इस बीच सरकार ने बीपीसीएल के लिए शुरुआती बोली लगाने की तिथि को दूसरी बार आगे खिसकाकर अब 31 जुलाई कर दिया है।

देश की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनिंग कंपनी है बीपीसीएल

बीपीसीएल देश की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनिंग कंपनी है। यह दूसरी सबसे बड़ी ईंधन रिटेरल कंपनी है। 2018-19 में देश में इसकी बाजार हिस्सेदारी 21 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि जब कोई वैल्यू देता है, तो वह सिर्फ 6 महीने के लिए वैल्यू नहीं दे रहा होता है। हमारा 100 साल का इतिहास है। हम अगले 100 साल तक ऊर्जा कंपनी बने रहेंगे। पेट्र्रोल और डीजल नहीं होगा, तब भी हमारा अस्तित्व कायम रहेगा।

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