दैनिक भास्कर
Jun 13, 2020, 07:33 PM IST
उमेश कुमार उपाध्याय.
‘ए वतन, ए वतन’ और ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं’ जैसे बेहतरीन गानें देने वाले प्रेम धवन का नाम हमेशा से हिंदी फिल्म जगत के मशहूर गीतकारों में लिया जाता है। आज स्वर्गीय संगीतकार के जन्मदिन पर उनके करीबी मित्र मनोज कुमार ने भास्कर से उनसे जुड़े कुछ यादगार किस्से सुनाए
Iगीतकार प्रेम धवन का नाम सुनते ही मनोज कुमार ने कहा, प्रेम धवन… क्या नाम ले लिया। मेरे बड़े प्यारे और मेहरबान मित्र थे। मैं जब नया-नया आया था, तब मेरे भाई की फिल्मों में गाने लिखते थे और डांस डायरेक्ट करते थे। वे एक्टर भी थे। उन्होंने विमल दा राय की फिल्म ‘2 बीघा जमीन’ में डांसिंग की है।
मैं जब ‘शहीद’ फिल्म के लिए प्रेम धवन के पास गया। मैंने कहा कि प्रेम धवन जी ‘शहीद’ फिल्म में म्यूजिक देना है। उन्होंने कहा कि क्या बात कर रहे हो। मैं म्यूजिक कैसे दूंगा। मेरी दाल रोटी चल रही है गाने लिखकर उसे चलने दो। मैंने कहा कि मैं फिल्म बना रहा हूं। अगर आपने म्यूजिक नहीं दिया तो मैं ही नहीं बनाऊंगा। फिर तो मेरी जिद के आगे वे मान गए। फिर तो उन्होंने क्या रिलिक्स दिया। ‘शहीद’ के गीत अमर हैं।
वे जितने गुणी थें उतना नाम नहीं हुआ- मनोज कुमार
उस समय वो मुंबई स्थित जुहू एरिया में रहते थे लेकिन बाद में टाउन में रहने चले गए। उन्होंने शुरू में साहिर साहब और ओ पी नय्यर को भी अपने पास रखा। उन्होंने क्या गीत लिखे हैं- ‘सीने में सुलगते हैं अरमान’, ‘आंखों में उदासी छाई है…’, ‘ए मेरे प्यारे वतन’. सरफरोशी की तमन्ना… जो भी है हम तो लुट गए तेरे प्यार में… ए वतन ए वतन मुझ को तेरी कसम… मेरा रंग दे बसंती चोला…। वे जितने गुणी थे उतना उनका नाम नहीं हुआ। वे गीतकार, संगीतकार, डांस डायरेक्टर आदि थे। प्रेम धवन एक बहुत बड़ी हस्ती थी पर उनका उतना नाम नहीं हुआ।
देश का भला तभी होगा जब सब एक भाषा में बात करेंगे- प्रेम धवन
वे तो आदर्शवादी थे। उन्होंने बाद में पंजाब गवर्नमेंट सेंट्रल गवर्नमेंट के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाई। उनके घर में गेट टू गेदर था तब कृष्णा मेनन डिफेंस मिनिस्टर थे। वह प्रेम धवन जी के घर आए थे तब मैं, मोहम्मद रफी साहब सहित और भी कई लोग थे। कृष्णा मेनन से रफी साहब उर्दू में बात कर रहे थे तब मैं अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर रहा था। यह देखकर प्रेम धवन ने कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि कृष्णा मेनन, मोहम्मद रफी और मनोज कुमार तीनों देश के टॉप के आदमी हैं लेकिन एक दूसरे की भाषा नहीं समझते हैं। वे हिंदी और वे इंग्लिश नहीं समझ रहे हैं। देश का भला तभी हो पाएगा जब सभी एक भाषा में बात करें।