
- डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया दावा, एक बार गर्भपात होने पर 18 फीसदी और दूसरी बार में खतरा 38 फीसदी तक बढ़ता है
- रिसर्च में डेनमार्क की ऐसी 24,700 महिलाओं को शामिल किया गया जिनका जन्म 1957 से 1997 के बीच हुआ और टाइप-2 डायबिटीज हुई
दैनिक भास्कर
May 23, 2020, 06:58 PM IST
कई बार गर्भपात होने पर महिलाओं में डायबिटीज होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। यह दावा कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है एक बार गर्भपात होने पर टाइप-2 डायबिटीज का होने का रिस्क 18 फीसदी तक रहता है। वहीं दो बार ऐसा होने पर खतरा 38 फीसदी और तीन बार गर्भपात होने पर तक 71 फीसदी तक डायबिटीज की आशंका रहती है।
मोटापे का गर्भपात और टाइप-2 डायबिटीज से कनेक्शन
शोधकर्ताओं ने रिसर्च में ऐसी महिलाओं को शामिल किया जितना दो या तीन बार गर्भपात हो चुका था। ऐसी महिलाओं का बार-बार ब्लड शुगर जांचा गया। शोध टीम के प्रमुख डॉ. पिया एगरअप के मुताबिक, मोटापे का गर्भपात और टाइप-2 डायबिटीज से सम्बंध पाया गया है लेकिन सिर्फ यही एक कारण नहीं है।
24,700 महिलाओं पर हुई रिसर्च
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च में डेनमार्क की ऐसी 24,700 महिलाओं को शामिल किया गया जिनका जन्म 1957 से 1997 के बीच हुआ और 1977 से 2017 के बीच टाइप-2 डायबिटीज हुई। इसके अलावा रिसर्च में ऐसी 247,740 महिलाओं की जांच की गई जो डायबिटीज से नहीं जूझ रही थी।
स्वस्थ महिलाओं से समानता के बाद जारी किए नतीजे
डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं की जन्मतिथि और शैक्षणिक योग्यता की दूसरी स्वस्थ महिलाओं से समानता देखी गई। डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं की जन्मतिथि और शैक्षणिक योग्यता की दूसरी स्वस्थ महिलाओं से समानता देखी गई। शोधकर्ताओं का कहना है रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि जितनी बार गर्भपात हुआ उतना ही डायबिटीज का खतरा बढ़ा।
फैमिली हिस्ट्री होने पर खतरा और भी ज्यादा
डायबेटोलॉजिया जर्नल में प्रकाशित शोध में डॉ. एगरअप का कहना है कि गर्भपात के अलावा फैमिली मेम्बर में बीमारी की हिस्ट्री होने पर रिस्क और भी बढ़ सकता है। गर्भपात होने से महिला की रोगों से लड़ने की क्षमता पर भी असर होता है जो भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है।