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गर्भवती महिला की मौत के मामले की जांच पूरी, सीएमएस समेत कइयों पर गिरी गाज

  • जिला अस्पताल के सीएमएस समेत ईएसआई और निजी अस्पताल के कर्मचारियों पर कार्रवाई

दैनिक भास्कर

Jun 10, 2020, 07:48 AM IST

नोएडा. खोड़ा कॉलोनी निवासी 30 वर्षीय गर्भवती महिला की इलाज न मिलने के कारण हुई मौत के मामले में प्रशासन ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक समेत ईएसआई व निजी अस्पताल के कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व शासन के अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र लिखा है।
प्रशासन की जांच में पाया गया कि मरीज यदि जिला अस्पताल में इलाज योग्य नहीं है तो हायर सेंटर में उचित व्यवस्था के समन्वय बनाकर मरीज को रेफर किया जाना चाहिए था। यह निर्णय भी सक्षम अधिकारी की मौजूदगी में होना चाहिए। जांच में आया कि उक्त कर्मचारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को बिना बताए मरीज को वापस कर दिया। 
अस्पताल की सीएमएस को बार-बार इस तरह की घटनाओं के बारे में चेताया जा रहा था। ऐसे में जिला अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ नर्स रोजबाला, वॉर्ड आया अनीता के खिलाफ कार्रवाई करने व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक वंदना शर्मा को ट्रांसफर करते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर किसी योग्य चिकित्सा अधीक्षक की तैनाती के लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है।

इस मामले में प्राइवेट अस्पतालों की ओर से बेड नहीं होने का बहाना बनाया गया। इस संबंधित में जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रकरण में लिप्त सभी निजी अस्पतालों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस करने के निर्देश दिए। साथ ही उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में एक चिकित्सीय समिति गठित कर एफआईआर दर्ज की जाए।

दो बार पहुंचे जिम्स नहीं मिला इलाज

गर्भवती महिला को लेकर उसके परिजन दो बार जिम्स गए। पहली बार में अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मरीज को वापस कर दिया गया। दूसरी बार भर्ती किया गया लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। ऐसे में प्रथम बार में मरीज को वापस करने में लिप्त सभी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए निदेशक जिम्स को जिलाधिकारी की ओर से निर्देशित किया गया है।

वहीं गाजियाबाद जिले के निजी चिकित्सालय की ओर से लापरवाही बरती गई। ऐसे में जिलाधिकारी गाजियाबाद को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है। खोड़ा कॉलोनी निवासी महिला नीलम आठ महीने की गर्भवती थी। महिला का पति उसे लेकर कई अस्पताल गया लेकिन उसे भर्ती नहीं किया गया। वह सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। इसमें महिला की मौत हो गई।  

आपात परिस्थिति में मरीज को बिना इलाज किए वापस ना लौटाने आदेश

जिला अधिकारी सुहास एल वाई ने इस मामले के बाद आदेश दिया है कि सभी निजी व सरकारी अस्पताल यह सुनिश्चित करेंगे कि आपातकालीन परिस्थिति में किसी भी मरीज को इलाज किए बिना अथवा भर्ती किए बिना वापस नहीं किया जाए। कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए इसकी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही इस संबंध में जिम्स के निदेशक से समस्त चिकित्सालयों को अलग-अलग प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।

नोएडा: अस्पतालों में अचानक बढ़ रहे कोरोना के गंभीर मरीज, प्रशासन बोला- कोई परेशानी नहीं

नोएडा में बीते कुछ दिनों में कोरोना के सीरियस मरीजों की संख्या में अचानक बड़ा इजाफा हुआ है। एक समय में जहां नोएडा में कोरोना के मरीजों में सिर्फ 10 फीसदी को ही ऑक्सीजन की जरूरत थी, वहीं अब ये संख्या अचानक कई गुना बढ़ गई है। 5 मार्च से 29 मई के बीच जहां भर्ती 60 मरीजों में से सिर्फ सात को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही थी। 
लेकिन 8 जून तक ये संख्या 39 हो गई और इनमें से पांच मरीजों को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। इस संख्या के साथ करीब 20 फीसदी मरीजों को सीरियस घोषित करते हुए नोएडा के दो अलग-अलग अस्पतालों में चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया। चिकित्सकों का कहना है कि नोएडा में संख्या का इजाफा सिर्फ इसी कारण हुआ क्योंकि मरीज देर से अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों का कहना है कि नोएडा के दो प्रमुख कोरोना अस्पताल जिम्स और शारदा हॉस्पिटल में फिलहाल 184 मरीज इलाज करा रहे हैं।

लेकिन ये जरूर है कि नोएडा में मरीज देरी से अस्पताल पहुंचे हैं और इसी कारण सीरियस मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। जनपद में लगातार बढ़ रही कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां भी कर ली है। जानकारी के मुताबित जिला प्रशासन ने कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों को बेड्स की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया है।  

हमारे पास पर्याप्त मात्रा में बेड्स:

नोडल अधिरकारी |नोएडा के नोडल ऑफिसर नरेंद्र भूषण का कहना है कि भले ही अधिक कोरोना मरीज सामने आ रहे हों, लेकिन सीरियस मरीजों का प्रतिशत अब भी काफी कम है। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बेड्स और वेंटिलेटर मौजूद हैं और किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है।

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