May 5, 2024 : 11:30 PM
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MP Chunav 2023: मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई तो शिवराज के अलावा ये पांच चेहरे हो सकते हैं सीएम कुर्सी के दावेदार!

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो गई है। अब सभी को नतीजों का इंतजार है। 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे। इसके साथ ही सभी सियासी दलों के अपने-अपने दावे हैं। भाजपा दावा कर रही है कि पूर्ण बहुमत के साथ हमारी सरकार बन रही है। इसके साथ ही सीएम फेस को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अटकलें इस बात को लेकर है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो एमपी में शिवराज सिंह चौहान के अलावे सीएम फेस के उम्मीदवार कौन-कौन होंगे।

दरअसल, मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने इस बार चेहरे की घोषणा नहीं की है। पार्टी ने कहा है कि हम सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रहे हैं। उनके नाम और सरकार के काम पर वोट मांग रही है। वहीं, चेहरे के सवाल पर सीएम शिवराज सिंह चौहान भी कुछ नहीं बोलते हैं। हालांकि बीजेपी का कहना है कि नतीजों के बाद संसदीय बोर्ड तय करेगी।

प्रहलाद सिंह पटेल की दावेदारी मजबूत

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने इस बार केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। वह पार्टी के कद्दावर नेता हैं। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार तक में वह मंत्री रहे हैं। प्रहलाद सिंह पटेल नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रदेश में वह सबसे बड़े ओबीसी नेता हैं। एमपी में अगर बीजेपी की वापसी होती है तो इनके नाम पर पार्टी विचार कर सकती है।

फग्गन सिंह कुलस्ते

वहीं, आदिवासी वोटरों को साधने के लिए भी बीजेपी एमपी में नया दांव खेल सकती है। मध्य प्रदेश में 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है। बीजेपी को 2018 के चुनाव में तगड़ा झटका लगा था। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते उसी समुदाय से आते हैं। वह निवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी में सत्ता में वापस लौटती है तो इनकी भी लॉटरी लग सकती है।

नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एमपी में चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक हैं। शुरुआती दौर में इनके नाम की चर्चा भी जोरों पर थी। नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन बेटे की वीडियो की वजह से इनकी दावेदारी पर असर पड़ा है। साथ जाति भी एक फैक्टर है। हालांकि रेस से अभी बाहर नहीं हुए हैं।

कैलाश विजयवर्गीय भी दावेदार

वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस बार चुनावी मैदान में हैं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद से वह साइड लाइन में थे। पार्टी ने बेटे का टिकट काटकर उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। साथ ही वह क्षेत्र में दावा भी करते हैं कि मैं यहां विधायक बनने नहीं आया हूं। सता में आने के बाद यह भी दांवा ठोक सकते हैं।

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