
मध्य प्रदेश में सीहोर ज़िले का सलकनपुर. ये बुधनी विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहाँ विंध्यवासिनी बीजासन देवी सिद्धपीठ और मंदिर है.
मंदिर, पहाड़ी के ऊपर है. नीचे एक हेलिपैड बना हुआ है, जहाँ पुलिस और सरकारी अमला तैनात है.
तभी ख़ामोशी को चीरता हुआ हेलिकॉप्टर धूल उड़ाते हुए पहुँचा.
इस हेलिकॉप्टर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी और दोनों बेटों के साथ उतरे.उन्होंने अपने जूते उतारे और हाथ जोड़कर वहीं से विंध्यवासिनी बीजासन देवी को प्रणाम किया.
ये उनकी ‘कुल देवी’ का मंदिर है. आज का दिन चौहान के लिए ख़ास है, क्योंकि आज वो बुधनी में अपना ‘रोड शो’ करने जा रहे हैं.
बुधनी उनकी जन्मभूमि भी है और कर्मभूमि भी.
यहीं पास में रेहटी तहसील है, जहाँ पर उनके दो रथ पहले से ही तैयार खड़े हैं. परिवार सहित रथ पर सवार होकर वो बुधनी के लिए निकल पड़े.
रास्ते में जगह-जगह स्वागत द्वार हैं और साथ ही लोगों का हुजूम भी है.
शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री हैं.
वर्ष 2005 से वो चार बार राज्य के सियासी सिंहासन पर विराजमान हुए.
इस दौरान वर्ष 2018 में उन्हें बहुमत हासिल नहीं हुआ और कांग्रेस के कमलनाथ ने कमान संभाली.
लेकिन दो सालों के बाद यानी 2020 में वो फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए.
बुधनी उनका विधानसभा क्षेत्र है, जहाँ से उन्होंने अपना पहला विधानसभा का चुनाव जीता था.
वो विदिशा से पाँच बार सांसद भी रहे. लेकिन 2006 से वो फिर बुधनी से लगातार विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं.
आजकल बुधनी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव का प्रचार अपने पूरे शबाब पर है.
इस बार मुक़ाबला रोचक

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लेकिन इस बार का चुनाव बड़ा रोचक है, क्योंकि इस बार भारतीय जनता पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाया है.
जबकि, वो मध्य प्रदेश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री हैं.
रथ में जब उनके इंटरव्यू के लिए मुझे बुलाया गया, तो रात के आठ बज चुके थे.
नसरुल्लाह गंज पहुँचते-पहुँचते रात के नौ बज चुके थे. पूरा दिन, हर पचास मीटर पर स्वागत कर रहे लोगों की भीड़ के बीच जाना और उन्हें संबोधित करते रहने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर कोई थकान नहीं दिख रही थी.
उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें रोड शो ख़त्म कर रात को एक बजे तक इंदौर भी पहुँचना हैं, जहाँ उनकी बैठक गृह मंत्री अमित शाह के साथ होने वाली है.अमित शाह की बात आई, तो मुझे भोपाल में अमित शाह के संवाददाता सम्मलेन की याद आ गई, जब उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी जीत जाती है, तो मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा ये संगठन तय करेगा.
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जानकार मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी समय-समय पर नेतृत्व का परिवर्तन करती रहती है.
वो कहते हैं कि इसके लिए शिवराज सिंह चौहान को भी मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए.
पाँच दशकों से भी ज़्यादा से मध्य प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा कहते हैं, ”इसमें कोई शक नहीं है कि शिवराज सिंह की प्रदेश में अपनी एक अलग पकड़ है. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी का कैडर भी काम करता है.”
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बातों बातों में शिवराज सिंह चौहान बुधनी में बिताए अपने बचपन और अपने दोस्तों की बातें भी करते हैं. उन्हें वो दौर याद है और उनके दोस्तों को भी.
उनके पुराने दोस्तों में से एक मान सिंह पवार सीहोर में रहते हैं.
वो उस दौर को याद करते हैं जब सभी दोस्त एक साथ मिलकर काम किया करते थे. खाना भी पकाया करते थे.
बुधनी विधानसभा के शाहगंज में हमारी मुलाक़ात उनके पुराने साथी चंद्र प्रकाश पाण्डेय से हुई. वो प्रचार में जुटे हुए थे.
उन्होंने बताया, ”शिवराज जी ने बुधनी में बचपन से ही काफ़ी संघर्ष किया है. यहाँ आंदोलन भी किए. बुधनी विधानसभा हो या पूरा संसदीय क्षेत्र, पूरा इलाक़ा उन्होंने पैदल ही नाप दिया. पैदाल यात्राएँ कीं. शुरू के बुधनी विधानसभा में तो 90 प्रतिशत लोगों को तो वो व्यक्तिगत रूप से जानते हैं.”