शहर में वर्ष 1984 में हुई भीषण गैस त्रासदी को आज 37 वर्ष पूरे हो गए। इस अवसर पर राजधानी भोपाल में आज जगह-जगह भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार विदेशी डाव कंपनी और उसे सहयोग करने वाली सरकारों का विरोध किया जाएगा। प्रदर्शन का यह सिलसिला दोपहर 12 बजे से शुरू होगा, जो शाम तक चलेगा। इसमें आम नागरिक और गैस पीड़ित संगठन हिस्सा लेंगे। इन विरोध प्रदर्शनों, सभाओं और गोष्ठियों में मुख्य रूप से गैस का प्रभाव झेल चुके परिवारों के परिजन भी मौजूद रहेंगे।भोपाल के गैस पीड़ितों का दर्द 37 वर्ष बाद भी जिंदा है। इस दर्द को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, पर कम जरूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। गैस पीड़ित संगठनों और केंद्र सरकार ने लाखों प्रभावितों के दर्द को कम करने के लिए गैस कांड की जिम्मेदार डाव केमिकल कंपनी से 7 हजार 844 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा मांगा है। तत्कालीन केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका लगाई थी ताकि मिलने वाली राशि से प्रभावितों का दर्द कम किया जा सके। बीते 11 वर्षों में याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हुई है। जिसके कारण मुआवजा नहीं मिल पा रहा गैस पीड़ितों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एनडी जयप्रकाश का कहना है कि जनवरी 2020 में याचिका पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीधों वाली बेंच गठित की थी। इसमें शामिल न्यायाधीश रवींद्र भट्ट ने बैंच से इस्तीफा दे दिया था। तब से नई बैंच गठित नहीं हुई है। न्यायाधीश रवींद्र भट्ट 1989 में सरकार की तरफ से गैस प्रभावितों से जुड़ी याचिकाओं पर अपना पक्ष रखते रहे हैं। अधिवक्ता एनडी जयप्रकाश का कहना है कि वे गैस पीड़ितों की तरफ से दोबारा जल्द सुनवाई की मांग करेंगे।
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