उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में राजनीतिक घमासान के बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में FIR दर्ज होने में देरी और अब तक किसी की गिरफ्तारी न होने से स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर सवाल भी उठने लगे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को खुद ही नोटिस लिया। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच आज इस केस की सुनवाई कर रही है।
उधर, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने बुधवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर जाकर मुलाकात की। उन्होंने विपक्ष की मांग के बीच यह साफ कर दिया कि वे इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं और मेरा मेरा बेटा घटनास्थल पर नहीं थे। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें लखीमपुर मामले में अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र मुख्य आरोपी हैं। किसानों का आरोप है कि आशीष मिश्र की फायरिंग में किसान की मौत हुई और उसकी गाड़ी ने ही किसानों को रौंदा था।
उधर, राहुल और प्रियंका गांधी ने बुधवार देर शाम लखीमपुर में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। राहुल को पहले यूपी सरकार ने जाने की परमिशन नहीं दी थी। परमिशन मिली भी तो उन्हें लखनऊ एयरपोर्ट पर रोका गया। बाद में राहुल सीतापुर पहुंचे और प्रियंका को साथ लेकर लखीमपुर खीरी गए।
मृतकों के परिजन को पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार देगी 50-50 लाख
लखीमपुर में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में 4 प्रदर्शनकारी किसानों और एक पत्रकार समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार ने मृतक किसानों के परिवारों और पत्रकार के परिवार को 50-50 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही 45-45 लाख दे चुकी है। इस तरह हर पीड़ित परिवार को 1.45 करोड़ रुपए की सहायता मिलेगी।
किसान नेता आशीष की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े
लखीमपुर मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी न होने पर किसान संगठनों में नाराजगी है। इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमारी चार मांगें थीं- मुआवजा, नौकरी, मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी और मंत्री की बर्खास्तगी। मुआवजा मिल गया, FIR भी हुई, पर गिरफ्तारी नहीं हुई। हम 6 दिन का समय दे रहे हैं। अगर गिरफ्तारी नहीं हुई तो बड़ा प्रदर्शन होगा। सरकार को अगर लगता है कि 45 लाख में समझौता हुआ है तो किसान परिवार राशि लौटा देंगे।’