कानपुर2 घंटे पहले
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प्रतीकात्मक फोटो।
कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को लेकर प्रशासन एक तरफ तमाम तैयारियों में लगा है। इसी बीच डेंगू बीमारी ने कानपुर शहर को अपनी चपेट में ले लिए है। 9 अगस्त से लेकर अब तक शहर में वायरल के 200 से ज्यादा मरीज तो वहीं, पिछले 15 दिनों में डेंगू के 18 मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें से डेंगू के 4 मरीज हैलट में भर्ती हुए हैं। वहीं, अन्य मरीज शहर के अलग-अलग नर्सिंग होम्स में भर्ती है।
कोरोना के बाद डेंगू की दस्तक
शहर में एक प्राइवेट नर्सिंग होम चलने वाले डॉ. संजय गुप्ता की माने तो बारिश के कारण नमी बढ़ी है, जिसकी वजह से जगह-जगह पानी भरा हुआ है। जिससे डेंगू होने के आसार बढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे मौसम ठंडा होगा। डेंगू के मरीज और बढ़ेंगे। उन्होंने बताया, हमारे नर्सिंग होम में 3 मरीज वायरल फीवर की तकलीफ से एडमिट हुए थे। मगर जब उनका टेस्ट किया गया तो उनके ब्लड प्लेटलेट्स कम पाए गए। इनमें से एक को चिकनगुनिया है और अन्य को डेंगू।
डेंगू के मरीजों की बढ़ रही संख्या
- रामदेवी स्थित निजी नर्सिंग होम में भी पिछले 3 दिनों में 6 मरीज वायरल के सामने आए हैं। इनमें से 3 को डेंगू की पुष्टि हुई है।
- ऐसा ही हाल स्वरूप नगर के एक बड़े नर्सिंग होम का है। यहां डेंगू के 3 मरीज कानपुर देहात से भर्ती होने आए है, जिनमें से एक मरीज के प्लेटलेट्स 11000 बताई जा रही है।
- वहीं, चांदनी नर्सिंग होम में भी 4 मरीज अपना डेंगू का इलाज करवा रहे हैं।
- आर्य नगर में बने नर्सिंग होम में भी 3 डेंगू के मरीज भर्ती हुए हैं, इनमे से एक 6 साल का बच्चा बताया जा रहा है।
- एलनगंज के निजी अस्पताल में एक मरीज डेंगू का भर्ती हुआ है और 4 वायरल के हैं।
सरकारी अस्पताल में भी एडमिट है डेंगू के मरीज…
हैलट अस्पताल में 4 मरीज डेंगू के रिपोर्ट हुए हैं। वहीं, बुधवार को उर्सला ओपीडी में डेंगू के लक्षणों वाले 3 मरीज एडमिट किए गए है। जिनका इलाज उर्सला के सीनियर डॉक्टर की देख-रेख में चल रहा है। हैलट के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम ने बताया कि, वायरल के मरीज काफी आ रहे हैं, मगर 2 दिन से डेंगू के लक्षण वाले मरीज भी ओपीडी में आने लगे हैं। जिनका टेस्ट कराया जा रहा है, जो लोग पॉजिटिव पाए जाते हैं, हम उनको एडमिट कर इलाज शुरू कर देते है।
कोरोना के बाद से कम हुए डेंगू के मरीज
हैलट अस्पताल में पिछले 2 सालों के मुकाबले बहुत ही कम मरीज डेंगू के रिपोर्ट हो रहे है। डॉ.एसके गौतम ने बताया, कोरोना के बाद डेंगू शहर से बिल्कुल खत्म सा हो गया था। कई दिनों में एक या दो केस आते थे। इसकी मुख्य वजह लोगों में कोरोना के बाद से साफ-सफाई रखना और साथ ही बेवजह घर से बाहर न निकलना है। कोरोना की तीसरी संभावित लहर और दूसरी लहर में अब सामने आ रहे मामलों के दौर में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां नई मुसीबत पैदा कर सकती हैं। इनके अलावा वायरल फीवर और फ्लू के मामले भी लगातार चलते रहते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन मरीजों को डेंगू या चिकनगुनिया होता है, उनको कोविड संक्रमण होने के ज्यादा आसार होते है। हालांकि, हम लोग ऐसी किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं।
प्रशासन ने फॉगिंग पर ध्यान नहीं दिया…
आपको बता दें, बारिश शुरू होने से पहले ही प्रशासन और नगर निगम फॉगिंग और दवा छिड़काव का काम कर लिया करती थी, मगर इस बार थोड़ी ढ़िलाई के बाद डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज शहर में बढ़ने लगे है। शहर में पहला केस मिलते ही प्रशासन ने कई स्थानों से जांच के लिए पानी के सैंपल लिए गए। साथ ही लोगों को हिदायत दी कि कूलर, गमलों, टायर आदि में बहुत दिनों तक पानी भरा न रहने दें। जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि, शहर में पहला डेंगू का केस 18 जुलाई को गुजैनी से मिला था। हमारी टीम ने उसके घर के आसपास से पानी के सैंपल जमा किए। साथ ही क्षेत्र में लार्वासाइडल दवा का छिड़काव कराया। जो सैंपल हमने उसके घर के आसपास से लिए थे, उसमें कुछ नहीं पाया गया।
CMO को शहर में बढ़ते डेंगू के मरीजों के बारे में पता नहीं
CMO डॉ. नेपाल सिंह से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हम लोगों ने पहले ही सभी निजी अस्पतालों को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। साथ ही कहा गया था कि डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों को लेकर प्रशासन को रिपोर्ट करें। मगर उसके बाद भी अगर यह निजी नर्सिंग होम वाले नहीं मान रहे हैं तो उनके खिलाफ आज ही नोटिस जारी किया जाएगा। जब हमने सीएमओ से सरकारी अस्पतालों के बारे में पूछा तो उनके हिसाब से शहर में अब तक सिर्फ एक ही मरीज रिपोर्ट हुआ है, जिसका इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं, अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. जीके मिश्रा का कहना है कि वायरल के साथ डेंगू के लिए सभी जिलों को अलर्ट किया गया है। टेस्टिंग के साथ मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए गए थे। अगर शहर में डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं तो उन्हें रिपोर्ट क्यों नहीं किया जा रहा है।