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सेकेंड हैंड कार खरीदने के टिप्स:नई की जगह पुरानी कारों की डिमांड बढ़ी, 2021 में 38 लाख यूज्ड कारें बिकीं; इन्हें खरीदते वक्त आप ये जरूरी बातें फॉलो करें

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नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: नरेंद्र जिझोतिया

देश में नई कारों से ज्यादा सेकेंड हैंड कारों की डिमांड में तेजी आई है। रिसर्च फर्म फ्रॉस्ट एंड सुलिवन के मुताबिक, 2021 में 38 लाख यूज्ड और 26 लाख नई कारें बिकी हैं। फर्म का अनुमान है कि FY25 तक सेकेंड हैंड कारों की बिक्री का आंकड़ा 82 लाख तक पहुंच जाएगा। कारों की डिमांड बढ़ने की एक बड़ी वजह कोविड-19 महामारी भी है। लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचने के लिए कार खरीद रहे हैं।

अगर आप भी सेकेंड हैंड कार खरीदने जा रहे हैं, तो डील फाइनल करने से पहले उससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जरूर ध्यान रखें। तभी आप अपने लिए एक बढ़िया कार का सिलेक्शन कर पाएंगे। जब एक डीलर कार खरीदता है, तब वो उससे जुड़ी हर छोटी डिटेल पता करता है। आपको भी बस यही डिटेल पता होनी चाहिए। ये डिटेल कार बेचने के वक्त भी काम आती है।

यूज्ड कार खरीदने और बेचने वाली कंपनी CARS24 के भोपाल ब्रांच के रिटेल मैनेजर, हर्षवर्धन पांडे ने हमें कार खरीदने और बेचने के हर पहलू के बारे में बताया। बस इन्हीं के बारे में आपको ध्यान रखना है। चलिए जानते हैं इनके बारे में…

RC और इंश्योरेंस चेक करना

जब आप CARS24 पर कार बेचने जाते हैं, तो सबसे पहले गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) और इंश्योरेंस चेक किया जाता है। RC में गाड़ी के चेसिस नंबर और ओनर के नाम को RTO में रजिस्टर्ड डिटेल से मैच किया जाता है। यदि डिटेल मैच नहीं होती, तब डील नहीं होगी।

कार का इंश्योरेंस कब तक वैलिड है। उस पर नो क्लेम बोनस है या नहीं, इसे चेक किया जाता है। प्राइमरी इंस्पेक्शन में गाड़ी और ओनर की डिटेल सही निकलती है, उसके बाद डील की सेकेंड स्टेज शुरू होती है। इस स्टेज में गाड़ी का 5 अलग तरह से इंस्पेक्शन किया जाता है…

1. एक्सटीरियर: इसमें कार के चारों दरवाजे, बोनट, डिग्गी और टायर्स को चेक किया जाता है। गाड़ी के स्क्रैच या दूसरे डेमेज पार्ट को अच्छी तरह देखते हैं।
2. इंटीरियर और इलेक्ट्रिकल: कार के वैरिएंट में क्या-क्या ऑप्शन दिए गए हैं और ये सभी अच्छी तरह काम करते हैं या नहीं, इस बात को चेक किया जाता है।
3. इंजन और ट्रांसमिशन: एक छोटी टेस्ट ड्राइव से इंजन की आवाज को सुना जाता है। साथ ही, फ्रंट और रिवर्स गियर में गाड़ी की परफॉर्मेंस देखी जाती है।
4. स्टीयरिंग और सस्पेंशन: टेस्ट ड्राइव के दौरान स्टीयरिंग और सस्पेंशन को भी देखा जाता है। यदि गाड़ी के सस्पेंशन में प्रॉब्लम है तब वो आवाज करती है।
5. AC और हीटर: टेस्ट ड्राइविंग के दौरान कार का AC और हीटर सही से काम कर रहा है, इस बात को भी चेक करना चाहिए।

गाड़ी के रिपेंट और टायर को चेक करना

कंपनी पेंट कोट मीटर का इस्तेमाल करती है। यदि गाड़ी के किसी भी हिस्से पर पेंट हुआ है, तब ये मीटर उसके बारे में बता देता है। दरअसल, रिपेंट वाले हिस्से पर कलर की थिकनेस ज्यादा होती है, जिससे मीटर में रीडिंग हाई हो जाती है। इसी तरह, टायर गेज मीटर की मदद से इस बात का पता चलता है कि टायर कितने घिस चुके हैं। टायर पर एक एरो होता है, जिस पर इस मीटर को टच करके टायर के थ्रेड का पता चल जाता है। यदि रीडिंग 0.5 से 0.7 आ रही है, तब टायर घिसे हुए माने जाते हैं।

सेकेंड हैंड कार के मीटर की पहचान करना भी जरूरी
यूज्ड कार भले ही बाहर और अंदर से चमचमाती दिख रही हो, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि गाड़ी कम चली हो। यानी कई बार बेहतर कंडीशन में दिखने वाली गाड़ियों की रीडिंग कम होती है। जबकि डीलर उसकी रीडिंग में छेड़छाड़ कर सकता है। इसका काम को बोर्ड में लगी चि‍प बदलकर, या फि‍र OBD2 रीडर्स की मदद से ऑरि‍जनल चिप में रीडिंग बदलकर कर सकते हैं। ऐसे में आप इन बातों का ध्यान रखें…

  • OBD2 रीडर को पोर्ट से कनेक्‍ट कर गाड़ी कितने किलोमीटर चल चुकी है, इसका डेटा हासि‍ल करें।
  • कार की सर्वि‍स और मेंटेनेंस हि‍स्‍ट्री को पता करने की कोशिश करें। आखिरी सर्विस में कार की लास्ट रीडिंग मिल सकती है।
  • कार का ओडोमीटर में रीडिंग कम दिख रही है, लेकिन उस रीडिंग के हिसाब से टायर्स ज्यादा घिसे हुए हैं, तब उसमें गड़बड़ी गई गई है।

इन बातों का भी ध्यान रखें

  • डोर के नीचे वाले हिस्से यानी पिलर की रबर को हटाकर देखा जाता है। यदि गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है तब पिलर की बनावट बदल जाती है।
  • कार की बैटरी, हेडलाइट, बैकलाइट, फॉगलैम्प, स्टीरियो सिस्टम, सीट कवर्स, हॉर्न, वाइपर्स, स्टेपनी, टूलकिट को भी चेक किया जाता है।
  • गाड़ी का इंजन ऑयल, कूलेंट कम हो गया है या उसे बदलने की जरूरत तो नहीं है, इस बात का भी ध्यान रखा जाता है।
  • गाड़ी के ब्रेक काम कर रहे हैं। ब्रेक या सस्पेंशन से आवाज तो नहीं आ रही। इन दोनों बातों को भी ड्राइविंग के दौरान देखा जाता है।
  • गाड़ी पर किसी तरह का चालान तो नहीं है। यदि है तब तो वो किस तरह के और कितने रुपए का है, इसे भी देखा जाता है।
  • कार के इंजन के पास और ड्राइवर डोर के नीचे की तरफ चेसिस नंबर लिखा होता है, दोनों का मिलाया जाता है।

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