- Hindi News
- Jeevan mantra
- Dharm
- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Story Of Mahatma Gandhi, Motivational Story About Gift In Hindi
5 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
- कॉपी लिंक
कहानी – किसी के प्रेम और उपहार का सम्मान करना, महात्मा गांधी अपने अलग ढंग से समझाते थे। गांधी जी की स्मृति बहुत तेज थी। अगर उन्होंने किसी से कोई चीज ली है तो वे कभी भूलते नहीं थे।
एक दिन सर्वोदय कार्यकर्ता काका कालेलकर गांधी जी की सेवा में लगे हुए थे। उस समय किसी अधिवेशन की तैयारी चल रही थी। काका कालेलकर ने देखा कि गांधी जी कुछ परेशान थे, वे अपने आसपास झुक-झुक कर कुछ ढूंढ रहे थे।
कालेलकर जी को समझ आ गया था कि गांधी जी की कोई वस्तु खो गई है, जिसे वे खोज रहे थे। काका ने पूछा, ‘आप परेशान दिख रहे हैं, ऐसी कौन सी कीमती वस्तु खो गई है? हमें अधिवेशन में चलना है, समय बहुत कम है। आप कुछ उलझे हुए लग रहे हैं।’
गांधी जी ने कहा, ‘काका, एक छोटी सी पेंसिल है, मुझे दिख नहीं रही है, आप भी ढूंढों।’
काका कालेलकर ने कहा, ‘एक छोटी पेंसिल के लिए आप परेशान हो रहे हैं, मेरी पेंसिल ले लीजिए।’ उन्होंने अपनी पेंसिल दी, जो कि बड़ी भी थी, लेकिन गांधी जी तो अड़ गए और बोले, ‘मुझे वही पेंसिल चाहिए।’
कुछ देर बाद वह पेंसिल मिल गई। काका कालेलकर को आश्चर्य हुआ। वे बोले, ‘आप इतनी छोटी पेंसिल के लिए परेशान हो रहे थे।’
गांधी जी बोले, ‘बात पेंसिल की नहीं है। बात उस भावना की है जो मुझे उस बच्चे ने पेंसिल के साथ दी थी। मेरी यात्रा में एक बच्चा मुझे दक्षिण में मिला था और उसने मुझे ये पेंसिल दी थी। जब भी मैं ये पेंसिल इस्तेमाल करता हूं, मुझे किसी के प्रेम का प्रवाह दिखता है। कोई आपको उपहार दे तो उस वस्तु से अधिक देने वाले के भाव की कीमत होती है।’
सीख – अगर हमें कोई भेंट मिलती है तो ये न देखें कि वह चीज हमारे काम की है या नहीं। देने वाले की भावनाओं और प्रेम का सम्मान करना चाहिए।