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कोरोना का असर:लॉकडाउन के चलते 2 लाख से ज्यादा रेस्टोरेंट बंद, इंडस्ट्री की GST पर इनपुट टैक्स क्रेडिट बहाल करने की मांग

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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वैसे तो कोरोना ने हर सेक्टर की कमर तोड़ी है, लेकिन देश में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री प्रमुख है। पिछले 15 महीनों में देश में दो लाख से ज्यादा रेस्टोरेंट बंद हो गए हैं। इससे 30-35 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के प्रेसिडेंट अनुराग कटरियार ने दैनिक भास्कर के अजय तिवारी से बातचीत में यह जानकारी दी

सवाल: कोरोना की दोनों लहरों का रेस्टोरेंट इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ा है?
जवाब: कोरोना से पहले देश में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री का सवा 4 लाख करोड़ रुपए का सालाना बिजनेस था, जो अब सवा लाख करोड़ रह गया है। हमारी एसोसिएशन में 5 लाख से ज्यादा रेस्टोरेंट जुड़े हैं। पहली लहर में लगभग 30% रेस्टोरेंट बंद हो गए। दूसरे दौर में भी 10% रेस्टोरेंट बंद हुए हैं। इस हिसाब से देखें तो कोरोना महामारी की वजह से देश में लगभग 2 लाख रेस्टोरेंट बंद हो गए हैं। प्रत्यक्ष रूप से लगभग 73 लाख लोगों को इस इंडस्ट्री में रोजगार मिला हुआ था, जिसमें से लगभग आधे यानी 30 से 35 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है।

सवाल: रेस्टोरेंट इंडस्ट्री में भी मुख्य रूप से कौन से सेगमेंट प्रभावित हुए हैं?
जवाब: फाइन डाइनिंग पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। इसके अलावा नाइट क्लब, बैंक्वेट हाल, बार पर काफी असर हुआ है। QSR चूंकि डिलीवरी बेस्ड बिजनेस है इसलिए उसमें रिकवरी थोड़ी ठीक है।

सवाल: कोरोना की वजह से रेस्टोरेंट इंडस्ट्री में क्या खास बदलाव आया है?
जवाब: रेस्टोरेंट के काम करने का तरीका भी पहले से बदल गया है। अब न्यू नॉर्मल के तहत 50% ऑक्यूपेंसी के साथ काम हो रहा है। डिलीवरी बिजनेस कुछ हद तक सर्वाइव कर रहा है, लेकिन वहां अलग परेशानियां हैं। मैंने अपने 30 साल के कॅरियर में ऐसा चुनौती भरा समय नहीं देखा।

सवाल: ग्राहकों के सेंटिमेंट में कोई बदलाव है? अगर हां, तो क्या यह स्थायी बदलाव है?
जवाब: रेस्टोरेंट में जाना पहले नॉर्मल था, अब नहीं रहा। लोगों की डिस्पोजेबल इनकम कम हो गई है। यह अस्थायी हो सकता है। उम्मीद है कि वैक्सीनेशन में तेजी आने और प्रतिबंध खुलने के बाद ग्राहक पहले जैसे रेस्टोरेंट्स में आना शुरू कर देंगे।

सवाल: स्विगी और जोमैटो से आपकी लड़ाई चल रही है। इनसे निपटने के लिए क्या कोई रणनीति बना रहे हैं?
जवाब: हमने ऑर्डर डायरेक्ट नामक कैम्पेन शुरू किया है। इसमें हम ग्राहकों को लिंक भेजकर डायरेक्ट रेस्टोरेंट से ऑर्डर और डिलीवरी की सुविधा दे रहे हैं। इसके अलावा, हमारा डिलीवरी एप पर भी काम चल रहा है। 40-50 हजार रेस्टोरेंट से हमारा टाई अप हो चुका है। हमारा मानना है कि जो कमीशन हम स्विगी या जोमैटो को देते हैं, उसके बजाय हम ग्राहकों को ये फायदा देंगे तो ज्यादा ग्राहक हमारे साथ जुड़ेंगे।

सवाल: सरकार से इंडस्ट्री को क्या उम्मीदें हैं? क्या कोई चर्चा या पहल हुई है?
जवाब: केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार और नगर पालिका सब हमारे लिए नियम कायदे बनाते हैं, लेकिन राहत कोई भी नहीं देता। हालांकि MSME को दी गई क्रेडिट स्कीम का हमें काफी फायदा हुआ है। लेकिन हमारी सरकार से लिक्विडिटी में और मदद की उम्मीद है। हमारी मांग है कि GST पर इनपुट टैक्स क्रेडिट बहाल किया जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार को ई-कॉमर्स के लिए ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स को फायदा हो। सिर्फ कुछ गिने चुने एग्रीगेटर्स को नहीं।

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