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- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Swami Vivekanand Story About Mother, Swami Vivekanad Lesson
2 दिन पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – प्रश्नों के उत्तर देने में स्वामी विवेकानंद की शैली बहुत व्यावहारिक हुआ करती थी। वे जानते थे कि केवल शब्दों से सिद्धांतों को समझाया नहीं जा सकता, उनका प्रयोग भी कराना पड़ता है।
एक बार एक व्यक्ति ने स्वामी जी से कहा, ‘आप अपने प्रवचनों में मां को बहुत महत्व देते हैं। स्त्री को मां के रूप में क्यों पूजा जाता है?
स्वामी जी उस व्यक्ति को शब्दों से समझा सकते थे, लेकिन उन्होंने एक प्रयोग करने के लिए कहा। वे बोले, ‘एक काम करो, पांच सेर वजन का पत्थर ले आओ।’
उस समय वजन की भाषा यही होती थी। पांच सेर यानी करीब साढ़े चार किलो। वह व्यक्ति इतना भारी पत्थर ले आया।
विवेकानंद जी बोले, ‘इस पत्थर को एक कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बांध लो। अगले 24 घंटे जो भी काम करते हो, वो करते रहो और फिर मेरे पास आना।’
वह व्यक्ति आज्ञाकारी था, उसने पेट पर वह पत्थर बांध लिया। दिनभर काम किया, लेकिन वह परेशान हो गया। वह सोच रहा था कि मैंने ये क्या सवाल पूछ लिया, जिसके उत्तर में पत्थर पेट पर बांधना पड़ा है।
24 घंटे के बाद वह व्यक्ति पेट पर बंधे पत्थर के साथ स्वामी जी के पास पहुंचा। उसने कहा, ‘आपने मुझे 24 घंटे की मुसीबत तो दी, अब उत्तर दीजिए।’
विवेकानंद ने उस व्यक्ति से कहा, ‘तुमको ये मुसीबत लगी, परेशान हुए तो विचार करो, एक मां शिशु को अपने गर्भ में रखती है तो उसका वजन इतना ही होता है। तुम 24 घंटे में परेशान हो गए, लेकिन स्त्री नौ माह तक बच्चे का ध्यान रखती है और साथ ही जीवन के सारे काम भी करती है, उसके बाद बच्चे को जन्म देती है। ये महत्व है मां का।’
सीख – स्त्री की मां के रूप में पूजा की जानी चाहिए। गर्भावस्था का बोझ पुरुष नहीं उठा सकता है। माता-बहन के साथ ही सभी महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।